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श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा बंद करने का विरोध, दोबारा से शुरू करने के लिए दिया ज्ञापन

राजसमंद के प्रभु श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा बंद करने के निर्णय का शहर के श्री लालन ग्रुप ने विरोध किया है. वहीं ग्रुप के सदस्यों ने इस परंपरा को जारी रखे जाने की मांग को लेकर मंदिर प्रशासन को ज्ञापन दिया है.

tradition of loot at Annakoot festival, अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा बंद
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Published : Oct 31, 2019, 11:57 AM IST

राजसमंद. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव में लूट की करीब 300 साल पुरानी परंपरा को मंदिर प्रशासन बंद करने जा रहा है. वहीं श्री लालन ग्रुप राजसमंद मंदिर प्रशासन के फैसले का विरोध कर रहा है. साथ ही ग्रुप के सदस्यों ने इस परंपरा को फिर शुरू करने को लेकर मंदिर प्रशासन को ज्ञापन दिया है.

अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा बंद किए जाने का विरोध

बता दें कि 28 अक्टूबर को अन्नकूट भील आदिवासी समाज द्वारा लूटा गया. जिस पर मंदिर प्रशासन ने विभिन्न प्रकार के प्रसादों को हटा लिया. वहीं भील आदिवासी समाज ने अन्नकूट प्रसाद लूट की परंपरा का विरोध किया गया. जिस पर मंदिर प्रशासन में आपसी समझाइश की गई और अन्नकूट लूट की परंपरा को विधिवत विधान पूर्ण हुआ. लेकिन मंदिर प्रशासन की ओर से द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव की परंपरा को समाप्त करने की घोषणा कर दी गई.

ये पढेंः श्री द्वारकाधीश मंदिर में 300 वर्षों से चली आ रही अन्नकूट लूट की परंपरा समाप्त

श्री लल्लन ग्रुप अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बताया कि मंदिर मंडल द्वारा की गई इस घोषणा का वे विरोध करते हैं. उनका कहना रहा कि मंदिर मंडल से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है. साथ ही उनका आग्रह रहा कि सभी वर्गों को साथ लेकर वैष्णव परंपरा का ध्यान रखते हुए समस्त नगरवासियों को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय लिया जाए. उन्होंने बताया कि वर्षों पुरानी इन परंपराओं से धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है. इसलिए किसी की आस्थाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.

राजसमंद. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव में लूट की करीब 300 साल पुरानी परंपरा को मंदिर प्रशासन बंद करने जा रहा है. वहीं श्री लालन ग्रुप राजसमंद मंदिर प्रशासन के फैसले का विरोध कर रहा है. साथ ही ग्रुप के सदस्यों ने इस परंपरा को फिर शुरू करने को लेकर मंदिर प्रशासन को ज्ञापन दिया है.

अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा बंद किए जाने का विरोध

बता दें कि 28 अक्टूबर को अन्नकूट भील आदिवासी समाज द्वारा लूटा गया. जिस पर मंदिर प्रशासन ने विभिन्न प्रकार के प्रसादों को हटा लिया. वहीं भील आदिवासी समाज ने अन्नकूट प्रसाद लूट की परंपरा का विरोध किया गया. जिस पर मंदिर प्रशासन में आपसी समझाइश की गई और अन्नकूट लूट की परंपरा को विधिवत विधान पूर्ण हुआ. लेकिन मंदिर प्रशासन की ओर से द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव की परंपरा को समाप्त करने की घोषणा कर दी गई.

ये पढेंः श्री द्वारकाधीश मंदिर में 300 वर्षों से चली आ रही अन्नकूट लूट की परंपरा समाप्त

श्री लल्लन ग्रुप अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बताया कि मंदिर मंडल द्वारा की गई इस घोषणा का वे विरोध करते हैं. उनका कहना रहा कि मंदिर मंडल से इस पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है. साथ ही उनका आग्रह रहा कि सभी वर्गों को साथ लेकर वैष्णव परंपरा का ध्यान रखते हुए समस्त नगरवासियों को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय लिया जाए. उन्होंने बताया कि वर्षों पुरानी इन परंपराओं से धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है. इसलिए किसी की आस्थाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.

Intro:राजसमंद- जिला मुख्यालय पर स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में मंदिर प्रशासन द्वारा 300 वर्ष पुरानी परंपरा अन्नकूट महोत्सव में लूट की परंपरा को बंद करने के मंदिर प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए.श्री लालन ग्रुप राजसमंद की ओर से इस परंपरा को बंद करने को लेकर मंदिर प्रशासन का विरोध जताया गया. और इस उत्सव को फिर शुरू करने को लेकर एक ज्ञापन भी मंदिर प्रशासन को दिया गया. ज्ञापन में बताया कि 28 अक्टूबर को अन्नकूट भील आदिवासी समाज द्वारा लूटा गया.जिसमें मंदिर प्रशासन द्वारा विभिन्न प्रकार का प्रसाद हटा लिया गया. जिससे भील आदिवासी समाज द्वारा अन्नकूट प्रसाद लूट की परंपरा का विरोध किया गया.


Body:जिस पर मंदिर प्रशासन में आपसी समझाइश की गई. तत्पश्चात अन्नकूट लूट की परंपरा को विधिवत विधान पूर्ण हुआ. लेकिन द्वारकाधीश मंदिर में अन्नकूट महोत्सव की परंपरा को मंदिर प्रशासन की ओर से समाप्त करने की घोषणा कर दी गई. यह ठीक नहीं है. श्री लल्लन ग्रुप अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने बताया कि मंदिर मंडल द्वारा की गई.इस घोषणा का हम विरोध करते हैं. यह एकतरफा कदम है.हम मंदिर मंडल से मांग करते हैं. कि इस पर पुन विचार किया जाए. सभी वर्गों को साथ लेकर वैष्णव परंपरा का ध्यान रखते हुए समस्त नगरवासियों को विश्वास में लेकर ही कोई निर्णय लिया जाए. परंपरा को बाधित होना या समाप्त होना कोई उपाय नहीं है. उन्होंने बताया कि मंदिर प्रशासन को इस फैसले को बदलने की जरूरत है.


Conclusion:वर्षों पुरानी परंपराओं से धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है. इस लिए किसी की आस्थाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.
बाइट कुलदीप शर्मा लालन ग्रुप अध्यक्ष
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