राजसमंद. पूर्व मंत्री एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कृषि बिल के संबंध में अपना बयान दिया है. उन्होंने 20 सितंबर को किसानों के लिए एक स्वर्णिम दिवस बताया, साथ ही कहा कि कृषि संबंधी विधेयकों के पारित होने से किसानों को बिचौलियों के शोषण से मुक्ति मिलेगी. अब किसानों को अपनी उपज केवल मंडी समिति में बेचने की गुलामी से छुटकारा मिला है. किसान अब अपनी उपज अपने खेत खलिहान से, अपने घर, गांव से या देश में कहीं भी जहां उसे अच्छे मूल्य मिले, बेच सकेगा.

किरण माहेश्वरी ने कहा कि समर्थन मूल्यों पर सरकारी खरीद की पूरी व्यवस्था प्रशासकीय आदेशों से भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से संचालित होती है. इन विधेयकों में समर्थन मूल्यों की व्यवस्था से कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है. मोदी सरकार ने विगत 6 साल में समर्थन मूल्यों में डेढ़ गुनी से अधिक वृद्धि की है. माहेश्वरी ने संविदा पर खेती और फसल बोने से पहले ही उपज को बेचने का कानून किसानों की आय में वृद्धि का बड़ा प्रयास बताया है. इससे किसानों को भावों में होने वाले उतार चढ़ाव की चिंता से मुक्ति मिलेगी. वे समर्थन मूल्यों से भी अधिक मूल्यों पर अपनी उपज बुवाई से पहले ही बेचकर चिंता मुक्त रह सकेंगे. पूर्व खरीद समझौता करने वाले व्यापारी किसानों को उन्नत तकनीक, बीज और अन्य सहायता देंगे, ताकि उन्हें अधिकतम उपज खरीदने का अवसर मिले. संविदा खेती में कृषि भूमि के स्वामित्व पर कोई भी आंच नहीं आएगी.
यह भी पढ़ें: 'एक देश एक बाजार' से किसानों को होगा लाभ : किरण माहेश्वरी
विधायक माहेश्वरी ने कहा कि कांग्रेस ने साल 1993 में ही पंजाब में टमाटर की संविदा खेती के लिए एक कंपनी को अनुमति दी थी. आज इसका विरोध केवल बिचौलियों के शोषण को बचाने का ही है. प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. खेती में सिंचाई व्यवस्था के लिए 50 हजार करोड़ रुपयों की विशेष योजना पर काम किया जा रहा है. 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि में 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष की सीधी सहायता दी जा रही है. फसल बीमा योजना से किसानों को मौसम की मार से बचाने का काम किया गया है. पशुपालन और वाणिज्यिक खेती के लिए 15 हजार करोड़ रुपयों की योजना चलाई जा रही है. कृषि संरचना के लिए एक लाख करोड़ रुपयों की विशेष योजना से किसानों को उपज के भण्डारण और सही समय पर बेचने की स्वतंत्रता मिलेगी.