ETV Bharat / state

श्री चारभुजा नाथ मंदिर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जलझूलनी एकादशी का पर्व

देश भर में सोमवार को जल झूलनी ग्यारस का पावन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. कहा जाता है कि योग योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के 18 दिन बाद यह पावन पर्व मनाया जाता है. वहीं देश विदेश में विख्यात मेवाड़ के चारधामों में से एक पहचाने जाने वाले गढ़बोर स्थित प्रभु श्री चारभुजानाथ मंदिर में भी जलझूलनी ग्यारस का पावन पर्व सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.

राजसमंद न्यूज, Rajsamand News, चारभुजा नाथ गढ़बोर मंदिर, Charbhuja Nath Garhbor Temple, जलझूलनी ग्यारस पर्व, Jaljulani Gyaras festival,
author img

By

Published : Sep 9, 2019, 6:32 PM IST

Updated : Sep 9, 2019, 7:02 PM IST

राजसमंद. जिले में स्थित गढ़बोर प्रभु श्रीचारभुजानाथ मंदिर में जल झूलनी ग्यारस का पर्व सोमवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बता दें कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु रविवार से ही आना प्रारंभ हो गए थे. वहीं सोमवार को प्रभु चारभुजा नाथ को राजभोग और दर्शन के पश्चात शाही लवाजमें के साथ ठाकुरजी का वैवाण निकाला गया.

चारभुजा नाथ गढ़बोर मंदिर में मनाया गया जलझूलनी ग्यारस का पर्व

बता दें कि सोमवार को 11.45 बजे चारभुजा जी के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में विराजमान करके शोभायात्रा निकाली गई. जो कि कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई दूधतलाई पहुंची, जहां स्नान मनोरथ के दर्शन हुए. गुलाल उड़ाते हुए श्रद्धालु प्रभु को सोने चांदी की पालकी में विराजित किए हुए थे. वहीं शोभायात्रा में हाथी, घोड़ा और ऊंट की सवारी भी शामिल हुई. लाखों श्रद्धालुओं से धर्मनगरी चारभुजा गढ़बोर कस्बा पूरी तरह से आस्था की नगरी बना हुआ दिखाई दिया.

5285 साल पुराना है मंदिर

आपको बता दें कि इस अवसर पर मेवाड़, मारवाड़ और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचे. गोमती नदी के किनारे बसा यह मंदिर करीब 5285 साल पुराना माना जाता है. पांडवों के हाथों स्थापित इस मंदिर में कृष्ण चतुर्भुज स्वरूप में विराजित है. यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 47 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है. इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने और उनकी आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

यह भी पढ़ें : छात्र संघ चुनाव के दौरान लाठीचार्ज के विरोध में आज शहर बंद

सुरक्षा के कड़े इंतजामात
वहीं इस बार दूध तलाई में पर्याप्त पानी भगवान को झुलाने के लिए पर्याप्त रहा. दूध तलाई में पानी की आवक होने से नजारा मनोरम हो गया. मेले में लोगों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सुचारू रखने के लिए मंदिर चौक में पूरे कस्बे में लाउडस्पीकर लगाए गए थे. जिसका संचालन मंदिर चौक परिसर में स्थापित अस्थाई पुलिस चौकी से किया जा रहा था.

जिला पुलिस अधीक्षक भवन भूषण यादव सहित सुरक्षा व्यवस्था में एक एएसपी, 3 डीएसपी, पांच वक्त निरीक्षक, सहायक निरीक्षक सहित करीब 550 से अधिक पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था. साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे. मेवाड़ मारवाड़ का यह तीन दिवसीय लक्खी मेला 10 सितंबर तक चलेगा. जिसमें लाखों श्रद्धालु प्रभु श्री चारभुजा नाथ के दर्शनों का लाभ लेंगे.

राजसमंद. जिले में स्थित गढ़बोर प्रभु श्रीचारभुजानाथ मंदिर में जल झूलनी ग्यारस का पर्व सोमवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बता दें कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु रविवार से ही आना प्रारंभ हो गए थे. वहीं सोमवार को प्रभु चारभुजा नाथ को राजभोग और दर्शन के पश्चात शाही लवाजमें के साथ ठाकुरजी का वैवाण निकाला गया.

चारभुजा नाथ गढ़बोर मंदिर में मनाया गया जलझूलनी ग्यारस का पर्व

बता दें कि सोमवार को 11.45 बजे चारभुजा जी के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में विराजमान करके शोभायात्रा निकाली गई. जो कि कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई दूधतलाई पहुंची, जहां स्नान मनोरथ के दर्शन हुए. गुलाल उड़ाते हुए श्रद्धालु प्रभु को सोने चांदी की पालकी में विराजित किए हुए थे. वहीं शोभायात्रा में हाथी, घोड़ा और ऊंट की सवारी भी शामिल हुई. लाखों श्रद्धालुओं से धर्मनगरी चारभुजा गढ़बोर कस्बा पूरी तरह से आस्था की नगरी बना हुआ दिखाई दिया.

5285 साल पुराना है मंदिर

आपको बता दें कि इस अवसर पर मेवाड़, मारवाड़ और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचे. गोमती नदी के किनारे बसा यह मंदिर करीब 5285 साल पुराना माना जाता है. पांडवों के हाथों स्थापित इस मंदिर में कृष्ण चतुर्भुज स्वरूप में विराजित है. यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 47 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है. इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने और उनकी आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

यह भी पढ़ें : छात्र संघ चुनाव के दौरान लाठीचार्ज के विरोध में आज शहर बंद

सुरक्षा के कड़े इंतजामात
वहीं इस बार दूध तलाई में पर्याप्त पानी भगवान को झुलाने के लिए पर्याप्त रहा. दूध तलाई में पानी की आवक होने से नजारा मनोरम हो गया. मेले में लोगों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सुचारू रखने के लिए मंदिर चौक में पूरे कस्बे में लाउडस्पीकर लगाए गए थे. जिसका संचालन मंदिर चौक परिसर में स्थापित अस्थाई पुलिस चौकी से किया जा रहा था.

जिला पुलिस अधीक्षक भवन भूषण यादव सहित सुरक्षा व्यवस्था में एक एएसपी, 3 डीएसपी, पांच वक्त निरीक्षक, सहायक निरीक्षक सहित करीब 550 से अधिक पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था. साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे. मेवाड़ मारवाड़ का यह तीन दिवसीय लक्खी मेला 10 सितंबर तक चलेगा. जिसमें लाखों श्रद्धालु प्रभु श्री चारभुजा नाथ के दर्शनों का लाभ लेंगे.

Intro:राजसमंद- आज पूरे देश भर में जल झूलनी ग्यारस का पावन पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. कहा जाता है.कि योग योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के 18 दिन बाद यह पावन पर्व मनाया जाता है. जिसको लेकर आज पूरे देश भर में जलझूलनी ग्यारस का पावन पर्व मनाया जा रहा है. वही देश विदेश में विख्यात मेवाड़ के चारधामों में से एक पहचाने जाने वाले गढ़बोर स्थित प्रभु श्री चारभुजा नाथ मंदिर में भी जल झूलनी ग्यारस का पावन पर्व सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.


Body:हजारों की संख्या में श्रद्धालु रविवार से ही आना प्रारंभ हो गए थे. तो वहीं सोमवार को प्रभु चारभुजा नाथ को राजभोग के दर्शन के पश्चात शाही लवाजमें के साथ ठाकुरजी का वैवाण निकाला गया. सोमवार को 11.45 बजे चारभुजा जी के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में विराजमान करके शोभायात्रा निकाली गई. जो कि कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई.दूधतलाई पहुंची जहां स्नान मनोरथ के दर्शन हुए. गुलाल अबीर उड़ाते हुए श्रद्धालु प्रभु को सोने चांदी की पालकी विराजित किए हुए थे.वही शोभायात्रा में हाथी घोड़ा ऊंट की सवारी भी शामिल हुई. लाखों श्रद्धालुओं से धर्मनगरी चारभुजा गढ़बोर कस्बा पूरी तरह से आस्था की नगरी बना हुआ दिखाई दिया. आपको बता दें कि इस अवसर पर मेवाड़ मारवाड़ और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंचे.गोमती नदी के किनारे बसा यह मंदिर करीब 5285 साल पुराना माना जाता है. पांडवों के हाथों स्थापित इस मंदिर में कृष्ण को चतुर्भुज स्वरूप में विराजित है.यह मंदिर राजसमंद जिला मुख्यालय से करीब 47 किलोमीटर दूर गोमती नदी के तट पर बसा हुआ है. यह मान्यता है. कि भगवान श्री कृष्ण की चतुर्भुज स्वरूप भगवान विराजमान है.यहां भगवान के दर्शन करने और उनकी आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.


Conclusion:इस बार दूध तलाई में पर्याप्त पानी भी रहा गत वर्ष बारिश कम होने से दूध तलाई में पानी नहीं होने से चारभुजा जी की प्रतिमा को कडावो मैं पानी भर कर झुलाया गया था.लेकिन इस बार स्नान मनोरथ के लिए पानी आधा भरा हुआ था. जो भगवान को झुलाने के लिए पर्याप्त रहा. दूध तलाई में पानी की आवक होने से नजारा मनोरम हो गया. तो वहीं मेले में लाखों लोगों की संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सुचारू रखने के लिए मंदिर चौक में पूरे कस्बे में लाउडस्पीकर लगाए गए थे.जिसका संचालन मंदिर चौक परिसर में स्थापित अस्थाई पुलिस चौकी से किया जा रहा था. जिला पुलिस अधीक्षक भवन भूषण यादव सहित सुरक्षा व्यवस्था में एक एएसपी 3 डीएसपी पांच वक्त निरीक्षक सहायक निरीक्षक सहित करीब 550 से अधिक वर्दीधारी व शादी वर्दीधारी पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था.जो कस्बे के चप्पे-चप्पे पर अपनी नजर बनाए हुए थे. वही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कस्बे में भीड़भाड़ वाले स्थानों सहित जगह जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. इसके अलावा अन्य स्थानों पर राम रेवाड़ी के दौरान ड्रोन से भी निगरानी की जा रही थी.मेवाड़ मारवाड़ का यह तीन दिवसीय लक्खी मेला 10 सितंबर तक चलेगा. जिसमें लाखों श्रद्धालु प्रभु श्री चारभुजा नाथ के दर्शनों का लाभ लेंगे.
Last Updated : Sep 9, 2019, 7:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.