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राजसमंद: शहीद उद्यान की जमीन पर अवैध कब्जा

राजसमंद जिले की बिनोल ग्राम पंचायत मुख्यालय पर पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए नारायण लाल गुर्जर की स्मृति में प्रस्तावित शहीद उपवन और शहीद स्मारक का निर्माण कार्य पिछले दो सालों से फाइलों में अटका पड़ा है. ऐसे में शहीद के परिजन आहत हैं तो ग्रामीणों में रोष जताया है.

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शहीद उद्यान की जमीन पर अवैध कब्जा
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Published : Feb 16, 2021, 2:13 PM IST

राजसमंद. शहीद नारायण लाल गुर्जर के पैतृक गांव बिनोल में शहीद की स्मृतियों को संजोने और आमजन में देशप्रेम का भाव जागृत करने के साथ ही शहीद से क्षेत्र के लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य को लेकर दो साल पहले जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने बिनोल गांव के स्थित चरागाह और वन क्षेत्र की 13 बीघा जमीन पर शहीद स्मारक और उपवन निर्माण का प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भिजवाया था.

इसके बाद करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से निर्माण की योजना बनाई गई. वहीं पंचायत ने दो बार अभियान चलाकर प्रस्तावित उपवन और स्मारक स्थल पर अवैध रूप से काबिज लोगों को बेदखल किया था. लेकिन, दो वर्ष बाद भी शहीद स्मारक को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. ऐसे में एक बार फिर से लोगों ने इसकी भूमि पर कब्जे और निर्माण करना शुरू कर दिया है.

यह भी पढ़ें: सुरक्षा में सेंध! पपला को ले जा रही पुलिस के घेरे में घुसी हरियाणों के बदमाशों की 3 गाड़ियां, फिर...

बता दें कि दूसरी ओर शहीद स्मारक का निर्माण तो दूर, वहां पर बनाई जाने वाली प्रस्तावित सड़क पटवार मंडल और वन चौकी के मध्य का कार्य भी आपसी खींचतान की भेंट चढ़ चुका है. इसको लेकर ग्रामीणों में रोष जताया है.

राजसमंद. शहीद नारायण लाल गुर्जर के पैतृक गांव बिनोल में शहीद की स्मृतियों को संजोने और आमजन में देशप्रेम का भाव जागृत करने के साथ ही शहीद से क्षेत्र के लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य को लेकर दो साल पहले जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने बिनोल गांव के स्थित चरागाह और वन क्षेत्र की 13 बीघा जमीन पर शहीद स्मारक और उपवन निर्माण का प्रस्ताव बनाकर प्रशासन को भिजवाया था.

इसके बाद करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से निर्माण की योजना बनाई गई. वहीं पंचायत ने दो बार अभियान चलाकर प्रस्तावित उपवन और स्मारक स्थल पर अवैध रूप से काबिज लोगों को बेदखल किया था. लेकिन, दो वर्ष बाद भी शहीद स्मारक को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. ऐसे में एक बार फिर से लोगों ने इसकी भूमि पर कब्जे और निर्माण करना शुरू कर दिया है.

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बता दें कि दूसरी ओर शहीद स्मारक का निर्माण तो दूर, वहां पर बनाई जाने वाली प्रस्तावित सड़क पटवार मंडल और वन चौकी के मध्य का कार्य भी आपसी खींचतान की भेंट चढ़ चुका है. इसको लेकर ग्रामीणों में रोष जताया है.

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