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स्पेशल: गांधी दर्शन से रूबरू करवाता 'गांधी सेवा सदन स्कूल', उनसे जुड़ी हर वस्तुओं का संग्रहण

गांधी जयंती देश भर में हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर मनाई जाती है. इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है. मोहनदास कर्मचंद गांधी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर में हुआ था. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के अमूल्य योगदान और अहिंसा के तरीके के कारण उन्हें याद किया जाता है. साल 1930 में उन्होंने दांडी मार्च किया था. इसके बाद साल 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत की थी.

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गांधी दर्शन से रूबरू करवाता सेवा सदन स्कूल
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Published : Oct 1, 2020, 7:11 PM IST

राजसमंद. महात्मा गांधी का नाम जुबां पर आते ही सत्य और अहिंसा की याद आती है, जिसकी बदौलत उन्होंने बिना ढाल और तलवार के देश को आजादी दिलाई थी. जिन्हें हिंद की संतानें राष्ट्रपिता की उपाधि से संबोधित करती हैं. वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थे. गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. उनके जन्मदिन को वैश्विक फलक पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

गांधी दर्शन से रूबरू करवाता सेवा सदन स्कूल

गांधी अपने आप में एक नाम नहीं, बल्कि उनके विचार जीवन जीने की पद्धति हैं. 2 अक्टूबर 2020 को, जब हम और आप महात्मा गांधी का 151वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं. उस दौरान हमें गांधी के जीवन से बहुत कुछ सीखने और समझने की आवश्यकता है. आज दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. इस महामारी की जड़ कहीं न कहीं मनुष्य के अनियंत्रित होती जीवन शैली है. गांधी ने एक स्वस्थ दिनचर्या का पाठ पढ़ाया था. ऐसे में गांधी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत महात्मा गांधी से जुड़ी हुई उनकी यादों को साझा कर रहा है.

यह भी पढ़ें: स्पेशल: लॉकडाउन और कोरोना ने छिना रोजगार, तो खिलौनों से मिला काम

राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल, अपने आप में विख्यात है. गांधी सेवा सदन स्कूल सर्वोदय और अनुव्रत दर्शन पर आधारित है. इस गांधी सेवा सदन की स्थापना 26 नवंबर 1952 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवेंद्र कुमार कर्णावट ने की थी. ईटीवी भारत की टीम भी विद्यालय पहुंची, जहां देखा कि गांधी सेवा सदन कहीं न कहीं गांधी संग्रहालय से कमतर नहीं है.

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गांधी सेवा सदन स्कूल का गेट

गांधी से जुड़ी हुई हर वस्तुओं का संग्रहण

यहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी हर छोटी बड़ी वस्तुओं को संग्रहित करके रखा गया है. ताकि आज की पीढ़ी गांधी को जाने और समझे. गांधी सेवा सदन में महात्मा गांधी के संपूर्ण जीवन चरित्र को संग्रहित किया गया है. गांधी सेवा सदन में गांधी से संबंधित चित्र, हस्तलिपि, पुस्तकें आदि को रखा गया है. गांधी के चरखी की विविध रूप भी संग्रहालय में देखे जा सकते हैं, जिसके माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर उकेरने का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जमाने में देखा था. इस दौरान संवाददाता की मुलाकात गांधी सेवा सदन के मंत्री डॉ. महेंद्र कर्णावट से हुई. वे बताते हैं कि इस संग्रहालय की मदद से बच्चों को गांधी के जीवन मूल्यों से अवगत कराया जाता है.

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गांधी सेवा सदन में लगी महात्मा गांधी की मूर्ति

यह भी पढ़ें: जयपुर: जनजाति अंचल में गांधी जयंती से नेहरू जयंती तक चलेगा 'ऑपरेशन विद्या भूमि' अभियान

उन्होंने बताया कि यहां पर विभिन्न प्रवृतियां चलती हैं. उसमें एक प्रवृत्ति है, गांधी स्वराज दर्शन. इसके अंतर्गत साल 1857 लेकर 15 अगस्त 1947 तक की भारतीय आजादी की कहानी को दर्शाया गया है. महात्मा गांधी के पूरे जीवन दर्शन को यहां पर संग्रहालय के रूप में चित्रांकन किया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिक्षा की दृष्टि से चिंतन था. शिक्षा में बालक जो कुछ सीखता है, वह उसके जीवन में उतरना चाहिए. इसीलिए उन्होंने बुनियादी शिक्षा का सिद्धांत दिया, जिसका अर्थ है कि बालक हर कार्य को करना सीखे.

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गांधी जी के जीवन से जुड़ी हुई वस्तुएं

वहीं उन्होंने वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कहा कि आज की शिक्षा ग्रहण शिक्षा बन गई है, जो केवल डिग्रियां देती है. आचरण नहीं सिखाती. इसीलिए आज का नवयुवक नैतिक और मानवीय मूल्यों से युक्त नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आने वाले कल भी में भी रहेंगे.

राजसमंद. महात्मा गांधी का नाम जुबां पर आते ही सत्य और अहिंसा की याद आती है, जिसकी बदौलत उन्होंने बिना ढाल और तलवार के देश को आजादी दिलाई थी. जिन्हें हिंद की संतानें राष्ट्रपिता की उपाधि से संबोधित करती हैं. वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थे. गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. उनके जन्मदिन को वैश्विक फलक पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

गांधी दर्शन से रूबरू करवाता सेवा सदन स्कूल

गांधी अपने आप में एक नाम नहीं, बल्कि उनके विचार जीवन जीने की पद्धति हैं. 2 अक्टूबर 2020 को, जब हम और आप महात्मा गांधी का 151वां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं. उस दौरान हमें गांधी के जीवन से बहुत कुछ सीखने और समझने की आवश्यकता है. आज दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. इस महामारी की जड़ कहीं न कहीं मनुष्य के अनियंत्रित होती जीवन शैली है. गांधी ने एक स्वस्थ दिनचर्या का पाठ पढ़ाया था. ऐसे में गांधी जयंती के अवसर पर ईटीवी भारत महात्मा गांधी से जुड़ी हुई उनकी यादों को साझा कर रहा है.

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राजसमंद जिला मुख्यालय पर स्थित गांधी सेवा सदन स्कूल, अपने आप में विख्यात है. गांधी सेवा सदन स्कूल सर्वोदय और अनुव्रत दर्शन पर आधारित है. इस गांधी सेवा सदन की स्थापना 26 नवंबर 1952 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देवेंद्र कुमार कर्णावट ने की थी. ईटीवी भारत की टीम भी विद्यालय पहुंची, जहां देखा कि गांधी सेवा सदन कहीं न कहीं गांधी संग्रहालय से कमतर नहीं है.

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गांधी सेवा सदन स्कूल का गेट

गांधी से जुड़ी हुई हर वस्तुओं का संग्रहण

यहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी हर छोटी बड़ी वस्तुओं को संग्रहित करके रखा गया है. ताकि आज की पीढ़ी गांधी को जाने और समझे. गांधी सेवा सदन में महात्मा गांधी के संपूर्ण जीवन चरित्र को संग्रहित किया गया है. गांधी सेवा सदन में गांधी से संबंधित चित्र, हस्तलिपि, पुस्तकें आदि को रखा गया है. गांधी के चरखी की विविध रूप भी संग्रहालय में देखे जा सकते हैं, जिसके माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर उकेरने का सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जमाने में देखा था. इस दौरान संवाददाता की मुलाकात गांधी सेवा सदन के मंत्री डॉ. महेंद्र कर्णावट से हुई. वे बताते हैं कि इस संग्रहालय की मदद से बच्चों को गांधी के जीवन मूल्यों से अवगत कराया जाता है.

गांधी सेवा सदन स्कूल  सेवा सदन स्कूल राजसमंद  ईटीवी भारत स्पेशल स्टोरी  गांधी के दर्शन  gandhi philosophy  News of Gandhi Jayanti  Mohandas Karmchand Gandhi  Gandhi Seva Sadan School  Seva Sadan School Rajsamand
गांधी सेवा सदन में लगी महात्मा गांधी की मूर्ति

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उन्होंने बताया कि यहां पर विभिन्न प्रवृतियां चलती हैं. उसमें एक प्रवृत्ति है, गांधी स्वराज दर्शन. इसके अंतर्गत साल 1857 लेकर 15 अगस्त 1947 तक की भारतीय आजादी की कहानी को दर्शाया गया है. महात्मा गांधी के पूरे जीवन दर्शन को यहां पर संग्रहालय के रूप में चित्रांकन किया गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का शिक्षा की दृष्टि से चिंतन था. शिक्षा में बालक जो कुछ सीखता है, वह उसके जीवन में उतरना चाहिए. इसीलिए उन्होंने बुनियादी शिक्षा का सिद्धांत दिया, जिसका अर्थ है कि बालक हर कार्य को करना सीखे.

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गांधी जी के जीवन से जुड़ी हुई वस्तुएं

वहीं उन्होंने वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कहा कि आज की शिक्षा ग्रहण शिक्षा बन गई है, जो केवल डिग्रियां देती है. आचरण नहीं सिखाती. इसीलिए आज का नवयुवक नैतिक और मानवीय मूल्यों से युक्त नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं और आने वाले कल भी में भी रहेंगे.

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