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रियलिटी चेक: राजसमंद में अभिभावकों ने स्कूल बस के किराए को लेकर बताई ये बड़ी समस्या

प्रदेशभर में ईटीवी भारत बच्चों की स्कूल बसों का रियलिटी चेक कर रहा है. जिससे स्कूल बसों की हकीकत सामने आए. वहीं दूसरी तरफ ईटीवी भारत ने अभिभावकों की स्कूल बसों को लेकर क्या है पीड़ा, क्या किस तरह से परिजनों पर स्कूल प्रशासन दबाव बनाता है, फीस और बस लगाने को लेकर परिजनों की क्या समस्या है...देखिए राजसमंद से स्कूली बच्चों के परिजनों से बातचीत

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Published : Sep 5, 2019, 10:51 PM IST

राजसमंद. ईटीवी भारत ने राजसमंद की कई स्कूलों में पढ़ने वाले कुछ अभिभावकों से बात की. स्कूलों बसों के रियलिटी चेक के बाद ये हमारा दूसरा अभियान था. जिसमें हमें जानना था कि क्या निजी स्कूल प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के नाम पर परिजनों पर किसी तरह का दबाव बनाते है. या फिर बच्चों को सुविधा के साथ किस प्रकार का किराया वसूला जाता है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: जोधपुर में स्कूल बसों द्वारा गाइडलाइन फॉलो नहीं करने पर कट रहा चालान

जब हमने कांकरोली निवासी गुंजन पालीवाल ने बात की तो उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में सुविधाएं तो ठीक है. लेकिन स्कूल बसों का हर साल किराया बढ़ा देना और एडमिशन के समय अन्य शुल्क लेना यह सब गलत है. इसके लिए राज्य सरकार को ठोस नियम बनानी चाहिए कि प्राइवेट स्कूल भी एक ही शुल्क ले. उन्होंने बताया कि मेरा बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है. जिसकी दूरी मात्र 3 किलोमीटर है. उसका किराया भी उतना ही है. जितना कि 10 किलोमीटर वाले का है. कहने का मतलब प्राइवेट स्कूलों ने एक योजनाबद्ध तरीके से स्कूलों की और बाल वाहिनी बसों की फीस निर्धारित कर रखी है. यह सही नियम नहीं है.

अभिभावकों ने स्कूल बस के किराए को लेकर बताई ये बड़ी समस्या..देखिए रिपोर्ट

वहीं एक अभिभावक मुकेश जोशी ने बताया कि स्कूलों में आए दिन अलग अलग कार्यक्रम तो होते हैं. लेकिन उनकी एवज में कई प्रकार के शुल्क भी लगा दी जाते हैं. जिससे हम आम व्यक्तियों की जेब पर भारी खर्च आता है. वहीं एक अभिभावक मोहम्मद आजाद ने बताया कि बस की सुविधा तो ठीक है. लेकिन किराया ज्यादा है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती दिखी राजसमंद में बाल वाहिनी बसें

आपको बता दें की इससे पहले ईटीवी भारत में राजसमंद जिले की प्रमुख स्कूलों का रियलिटी टेस्ट किया था. जिसमें स्कूलों की बाल वाहिनी बसों की हालत तो ठीक पाई गई थी. लेकिन जिस प्रकार से बच्चों के परिवार के सदस्य स्कूल की बढ़ती फीस को लेकर चिंता जता रहे हैं. यह कहीं ना कहीं चिंता का विषय है. इस ओर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए.

राजसमंद. ईटीवी भारत ने राजसमंद की कई स्कूलों में पढ़ने वाले कुछ अभिभावकों से बात की. स्कूलों बसों के रियलिटी चेक के बाद ये हमारा दूसरा अभियान था. जिसमें हमें जानना था कि क्या निजी स्कूल प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के नाम पर परिजनों पर किसी तरह का दबाव बनाते है. या फिर बच्चों को सुविधा के साथ किस प्रकार का किराया वसूला जाता है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: जोधपुर में स्कूल बसों द्वारा गाइडलाइन फॉलो नहीं करने पर कट रहा चालान

जब हमने कांकरोली निवासी गुंजन पालीवाल ने बात की तो उन्होंने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में सुविधाएं तो ठीक है. लेकिन स्कूल बसों का हर साल किराया बढ़ा देना और एडमिशन के समय अन्य शुल्क लेना यह सब गलत है. इसके लिए राज्य सरकार को ठोस नियम बनानी चाहिए कि प्राइवेट स्कूल भी एक ही शुल्क ले. उन्होंने बताया कि मेरा बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है. जिसकी दूरी मात्र 3 किलोमीटर है. उसका किराया भी उतना ही है. जितना कि 10 किलोमीटर वाले का है. कहने का मतलब प्राइवेट स्कूलों ने एक योजनाबद्ध तरीके से स्कूलों की और बाल वाहिनी बसों की फीस निर्धारित कर रखी है. यह सही नियम नहीं है.

अभिभावकों ने स्कूल बस के किराए को लेकर बताई ये बड़ी समस्या..देखिए रिपोर्ट

वहीं एक अभिभावक मुकेश जोशी ने बताया कि स्कूलों में आए दिन अलग अलग कार्यक्रम तो होते हैं. लेकिन उनकी एवज में कई प्रकार के शुल्क भी लगा दी जाते हैं. जिससे हम आम व्यक्तियों की जेब पर भारी खर्च आता है. वहीं एक अभिभावक मोहम्मद आजाद ने बताया कि बस की सुविधा तो ठीक है. लेकिन किराया ज्यादा है.

पढ़ें- रियलिटी चेक: कुछ खामियां छोड़कर बाकी नियमों का पालन करती दिखी राजसमंद में बाल वाहिनी बसें

आपको बता दें की इससे पहले ईटीवी भारत में राजसमंद जिले की प्रमुख स्कूलों का रियलिटी टेस्ट किया था. जिसमें स्कूलों की बाल वाहिनी बसों की हालत तो ठीक पाई गई थी. लेकिन जिस प्रकार से बच्चों के परिवार के सदस्य स्कूल की बढ़ती फीस को लेकर चिंता जता रहे हैं. यह कहीं ना कहीं चिंता का विषय है. इस ओर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए.

Intro:राजसमंद- प्रदेश भर में ईटीवी भारत बाल वाहिनी बसों का जहां एक तरफ रियलिटी टेस्ट कर रहा है. कि क्या बाल वाहिनी बसों में बच्चों को उपयुक्त सुविधा दी जा रही है. या नहीं तो वहीं दूसरी तरफ ईटीवी भारत ने रियलिटी टेस्ट के बाद स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों से भी बातचीत की इसी कड़ी में राजसमंद जिले के कई स्कूलों मैं पढ़ने वाले बच्चों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात कर उनसे जानकारी जानने की कोशिश की क्या उनके बच्चों को उपयुक्त सुविधा के साथ किस प्रकार का किराया वसूला जाता है. जिसको लेकर कांकरोली निवासी गुंजन पालीवाल का कहना है.कि प्राइवेट स्कूलों में सुविधाएं तो ठीक है. लेकिन स्कूल बसों का हर साल किराया बढ़ा देना और एडमिशन के समय अन्य शुल्क लेना यह सब गलत है.


Body:इसके लिए राज्य सरकार को ठोस नियम बनानी चाहिए. कि प्राइवेट स्कूल भी एक ही शुल्क ले उन्होंने बताया कि मेरा बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है. जिसकी दूरी मात्र 3 किलोमीटर है. उसका किराया भी उतना ही है. जितना कि 10 किलोमीटर वाले का कहने का मतलब प्राइवेट स्कूलों ने एक योजनाबद्ध तरीके से स्कूलों की और बाल वाहिनी बसों की फीस निर्धारित कर रखी है. यह सही नियम नहीं है. वहीं इनके अलावा भी कई लोगों ने बाल वाहिनी बसों का उपयुक्त तो बताया लेकिन मनमर्जी करने का स्कूलों पर आरोप भी लगाया राजसमंद के लिए मुकेश जोशी का कहना था. कि स्कूलों में आए दिन अलग अलग कार्यक्रम तो होते हैं.लेकिन


Conclusion:उनकी एवज में कई प्रकार के शुल्क भी लगा दी जाते हैं. जिससे हम आम व्यक्तियों की जेब पर भारी खर्च आता है. आपको बता दे की इससे पहले ईटीवी भारत में राजसमंद जिले की प्रमुख स्कूलों का रियलिटी टेस्ट किया था. जिसमें स्कूलों की बाल वाहिनी बसों की हालत तो ठीक पाई गई थी.लेकिन जिस प्रकार से बच्चों के परिवार के सदस्य स्कूल की बढ़ती फीस को लेकर चिंता जता रहे हैं.यह कहीं ना कहीं चिंता का विषय है.इस और सरकार को भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि जहां स्कूलों की मनमर्जी के कारण राजसमंद के बाशिंदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.शिक्षा विभाग को भी अब देखना होगा. कि आने वाले समय में क्या इन बच्चों के परिवार के सदस्यों को कोई राहत मिल पाती है.
1 बाइट- गुंजल पालीवाल
2 मुकेश जोशी
3 मोहम्मद आजाद
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