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राजसमंद: सूर्यग्रहण के चलते द्वारिकाधीश मंदिर में भगवान के श्रृंगार कर्मों में बदलाव - द्वारकाधीश मंदिर के कर्मों में किया गया बदलाव

दशक का आखिरी सूर्य ग्रहण गुरुवार सुबह 8:04 बजे शुरू हुआ. ऐसे में राजसमंद के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में गुरुवार को सूर्यग्रहण होने के चलते प्रभु के श्रृंगार और अन्य कर्मों में बदलाव किया गया. सूर्यग्रहण खत्म होने के बाद ही प्रभु श्री द्वारिकाधीश जी के श्रृंगार का क्रम फिर शुरू हुआ.

राजसमंद न्यूज, Lord's adornment in the Dwarkadhish temple
द्वारिकाधीश मंदिर में प्रभु के श्रृंगार के कर्मों में बदलाव
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Published : Dec 26, 2019, 2:13 PM IST

राजसमंद. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर में गुरुवार को सूर्यग्रहण होने के चलते प्रभु के श्रंगार और अन्य कर्मों में बदलाव किया गया. मंदिर मंडल जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया, कि इस साल का अंतिम ग्रहण सबसे बड़ा ग्रहण होने के चलते पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में भगवान की सेवा के क्रम में बदलाव किया गया. उन्होंने बताया, कि सुबह 8 बजकर 8 मिनट से प्रभु ग्रहण में विराज गए.

द्वारिकाधीश मंदिर में प्रभु के श्रृंगार के कर्मों में बदलाव

ऐसी मान्यता है, कि जबतक ग्रहण होता है. तबतक प्रभु न तो सोते हैं. ना ही भोजन करते हैं और ना ही प्रभु का श्रृंगार किया जाता है. सूर्यग्रहण के दौरान प्रभु के दर्शनों का क्रम लगातार जारी रहा. वहीं शहर की महिलाओं ने मंदिर के चौक में भजन कीर्तन गाकर पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया.

पढ़ेंः देखें, देश के अलग-अलग हिस्सों से कैसा दिखा सूर्यग्रहण का अद्भुत नजारा

उन्होंने बताया कि 11 बजकर 5 मिनट पर प्रभु श्री द्वारिकाधीश जी के श्रृंगार का क्रम फिर शुरू हुआ.बाद में प्रभु को भोग लगाया गया. ग्रहण के बाद ही भोजन सामग्री बनने का सिलसिला भी शुरू हुआ.

राजसमंद. पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर में गुरुवार को सूर्यग्रहण होने के चलते प्रभु के श्रंगार और अन्य कर्मों में बदलाव किया गया. मंदिर मंडल जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया, कि इस साल का अंतिम ग्रहण सबसे बड़ा ग्रहण होने के चलते पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में भगवान की सेवा के क्रम में बदलाव किया गया. उन्होंने बताया, कि सुबह 8 बजकर 8 मिनट से प्रभु ग्रहण में विराज गए.

द्वारिकाधीश मंदिर में प्रभु के श्रृंगार के कर्मों में बदलाव

ऐसी मान्यता है, कि जबतक ग्रहण होता है. तबतक प्रभु न तो सोते हैं. ना ही भोजन करते हैं और ना ही प्रभु का श्रृंगार किया जाता है. सूर्यग्रहण के दौरान प्रभु के दर्शनों का क्रम लगातार जारी रहा. वहीं शहर की महिलाओं ने मंदिर के चौक में भजन कीर्तन गाकर पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया.

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उन्होंने बताया कि 11 बजकर 5 मिनट पर प्रभु श्री द्वारिकाधीश जी के श्रृंगार का क्रम फिर शुरू हुआ.बाद में प्रभु को भोग लगाया गया. ग्रहण के बाद ही भोजन सामग्री बनने का सिलसिला भी शुरू हुआ.

Intro:राजसमंद- पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर में गुरुवार को सूर्य ग्रहण होने के चलते प्रभु के श्रंगार और अन्य कर्मों में बदलाव किया गया. मंदिर मंडल जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य ने बताया कि इस साल का अंतिम ग्रहण सबसे बड़ा ग्रहण होने के चलते पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के तृतीय पीठ श्री द्वारकाधीश मंदिर में सूर्य ग्रहण होने के चलते भगवान की सेवा के क्रम में बदलाव किया गया. उन्होंने बताया कि सुबह 8 बस कर 8 मिनट से प्रभु ग्रहण में विराज गए


Body:उन्होंने बताया कि ऐसी मान्यता है. कि जब तक ग्रहण होता है.तब तक प्रभु न तो सोते हैं. नहीं भोजन आरोग्य तय हैं. और ना ही प्रभु का संघार धराया जाता है. इस दौरान प्रभु के दर्शनों का क्रम लगातार जारी रहा. वहीं शहर की महिलाओं ने मंदिर के चौक में भजन कीर्तन गाकर पूरा भक्ति में माहौल कर दिया. उन्होंने बताया कि 11:05 पर प्रभु श्री द्वारिकाधीश जी को श्रंगार का क्रम फिर शुरू होगा तब ग्रहण समाप्त हो चुका होगा. के बाद ही प्रभु को भोग धराया जाएगा. ग्रहण के बाद ही भोजन सामग्री बनने का सिलसिला शुरू होगा. गौरतलब है कि आज सूर्य ग्रहण होने के चलते भगवान के श्रृंगार के कर्मों में बदलाव किया गया


Conclusion:बाइट- पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय तृतीय पीठ श्री द्वारिकाधीश मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी विनित सनाढ्य
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