राजसमंद. अरावली पर्वतमाला की सुरम्य पहाड़ियों के बीच राजसमंद जिले की सीमा पर स्थित है भगवान शिव का ऐतिहासिक मंदिर. जिसे परशुराम महादेव के नाम से जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि पहाड़ियों की गुफा में स्थित परशुराम महादेव गुफा मंदिर का निर्माण भगवान परशुराम ने खुद अपने फरसे से किया था. उन्होंने चट्टान को अपने फरसे से काटा था. परशुराम महान तपस्वी और भगवान विष्णु के अवतार थे.
ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने अवतरित होकर परशुराम को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था. जिसके बाद वे सप्त चिरंजीवी में शामिल हुए. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम आज भी इसी धरती पर तपस्या में लीन है. राजसमंद जिले में स्थित अरावली की पहाड़ियों की तलहटी पर बसा परशुराम महादेव मंदिर हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार किया जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण भगवान परशुराम ने अपने फरसे से बड़ी चट्टान को काटकर किया था. शिवरात्रि और सावन मास में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. भगवान परशुराम की कड़ी तपस्या के कारण यह प्रमुख शिव धाम के रूप में विख्यात है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने जब अपनी माता की हत्या कर दी थी तो वह मातृ हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए कुंडिया गांव में स्थित कुंड में स्नान करने गए थे. वहां से बनास नदी के किनारे गुफा में चलकर वो 5 दिन के बाद गुफा के रास्ते परशुराम महादेव की जगह पर आए थे.
यहां बैठकर उन्होंने भगवान शिव की गुप्त तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न कर अमरत्व का वरदान प्राप्त किया. यहां भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर परशुराम को कई दिव्यास्त्र और अस्त्र-शस्त्र भी प्रदान किए. भगवान परशुराम को जिस पर फरसे के लिए पहचाना जाता है, वह फरसा भी भगवान शिव ने इसी स्थान पर परशुराम को दिया था. ऐसे में कालांतर में आगे चलकर यह मंदिर परशुराम महादेव के रूप में विख्यात हुआ.भगवान शिव का परशुराम महादेव मंदिर राजसमंद और पाली जिले की सीमा पर स्थित है यह मंदिर 3 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है.
यहां मुख्य शिव मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 600 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है. वहीं, पाली जिले की सीमा में 3 कुंड भी हैं जो 12 महीना तक पानी से लबालब रहते हैं यहां मंदिर में पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं एक रास्ता रास्ता मंजिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र से होकर जाता है जबकि दूसरा रास्ता पाली जिला की सादडी इलाके से होकर पहुंचता है. भगवान परशुराम मंदिर तक पहुंचने के लिए मेवाड़ और मारवाड़ से दो रास्ते पहुंच ते हैं. मारवाड़ वालों के लिए पाली जिले में से होकर रास्ता गुजरता है जबकि मेवाड़ वासियों के लिए यह रास्ता राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ इलाके से होकर परशुराम महादेव तक पहुंचता है.
पाली जिले में जो रास्ता है वह 1600 मीटर का है इसमें चढ़ाई कम है जबकि मेवाड़ से आने वालों के लिए 1200 मीटर का रास्ता लेकिन इसमें चढ़ाई काफी अधिक है. यह मंदिर समुद्र तल से 3955 फीट है तो करीब 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है .बारिश के दिनों में यहां काफी सुंदर सा माहौल बन जाता है .शिवरात्रि के मौके पर प्रदेशभर के साथ ही देश के कई राज्यों से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं और यहां महसूस होने वाले चमत्कारों से रूबरू होते हैं. इसी आस्था के कारण परशुराम महादेव मंदिर को मेवाड़ का अमरनाथ भी कहा जाता है.