राजसमंद. पंचायत राज चुनाव से महज कुछ माह पहले कांग्रेस को जिले में निकाय चुनाव के रूप में संजीवनी मिल गई है. कांग्रेस पार्टी आमेट और नाथद्वारा दोनों ही नगर पालिका में अपना करने में कामयाब रही. आमेट नगर पालिका में तो कांग्रेस पिछले 45 साल के बनवास तोड़ने में सफल साबित हुई. लेकिन आखिरकार आमेट में कांग्रेस नगर पालिका के इतिहास में पहली बार बोर्ड बनाने जा रही है.
आमेट नगर पालिका में नगर पालिका बनने के बाद लंबे समय से भाजपा का ही बोर्ड बनते आया है. देखा जाए तो पिछले 45 साल से भाजपा ही आमेट नगरपालिका की सत्ता पर काबिज थी. सिर्फ साल 2009 में भाजपा से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़े कैलाश मेवाड़ा ही आमेट नगर पालिका से निर्दलीय चेयरमैन बने थे. लेकिन उसके बाद और पहले यहां से सिर्फ भाजपा का ही चेयरमैन बनते आया था.
आमेट नगर पालिका में परिसीमन से पहले 20 वार्ड थे. लेकिन परिसीमन के बाद यहां 25 वार्ड हो गए. लंबे समय से बनवास काट रही कांग्रेस को एक ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो पार्टी की परचम लहरा सके. आमेट नगर पालिका में पार्टी को सत्ता दिला सके. इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने 2009 में निर्दलीय प्रत्याशी रहे. कैलाश मेवाड़ा के ऊपर दांव लगाया और कांग्रेस पार्टी का चेयरमैन प्रत्याशी भी घोषित किया गया.
ये पढ़ेंः निकाय चुनाव में कांग्रेस की परफॉर्मेंस अपेक्षाकृत कमजोर: सतीश पूनिया
कांग्रेस को मिली भारी भरकम जीत
कांग्रेस को इस बार आमेट नगर पालिका चुनाव में भारी भरकम जीत हासिल हुई, जिसका एक मुख्य कारण है कि कांग्रेस ने जिस कैलाश मेवाड़ा पर दांव लगाया. क्योंकि इसके पीछे कई कारण है. जहां एक ओर भाजपा ने साल 2009 में कैलाश मेवाड़ा को निर्दलीय चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से उन्हें निष्कासित किया. वहीं कैलाश मेवाड़ा भाजपा के उन तमाम नेताओं से आक्रोशित थे, जिन्होंने उन्हें पार्टी की सदस्यता निष्कासित कराने के लिए अहम भूमिका निभाई थी.
ये पढ़ेंः राज्य सरकार ने कहा, जनहित में लिया जयपुर में दो नगर निगम बनाने का फैसला
साल 2019 में निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस के जिला अध्यक्ष देवकीनंदन गुर्जर ने निकाय चुनाव से ठीक पहले कैलाश मेवाड़ा से संपर्क किया और उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल किया. जिसके बाद कांग्रेस ने निकाय चुनाव की कमान कैलाश मेवाड़ा के हाथ में सौंप दी. यही कारण रहा कि करीब 25 वार्डों में से 17 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. जबकि भाजपा को सिर्फ 8 सीट ही मिली. इस इस बार आमेट नगर पालिका में करीब 9 हजार 807 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. वहीं मैदान में करीब 56 प्रत्याशी मौजूद थे. लेकिन आमेट की जनता ने सब को नकारते हुए कांग्रेस पार्टी को सत्ता दी.
आमेट नगर पालिका में भाजपा की हार के कारण
आमेट नगर पालिका में लगातार भाजपा बोर्ड बनाती आ रही थी. वहीं जनता में भाजपा को लेकर anti-incumbency भी दिखाई देने लगी थी. वहीं कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ से भी यहां की जनता नाखुश थी. गौर करने वाली बात है कि 12 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को यहां से बड़ी जीत हासिल हुई थी. लेकिन निकाय चुनावा में पार्टी को इतनी बुरी हार झेलनी पड़ी. वहीं भाजपा के भीतर की खींचतान और गुटबाजी के कारण पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा. इस चुनाव में सांसद दीया कुमारी से लेकर भाजपा के कई नेताओं ने चुनाव प्रचार किया. लेकिन उसके बावजूद भी सफलता दिलाने में असफल साबित रहे.
आमेट नगर पालिका बनने के बाद अध्यक्षों और प्रशासकों की सूची
- 1. रघुनाथ सिंह सिसोदिया- प्रशासक
- 2.भंवर लाल लोधा- अध्यक्ष
- 3. बहादुर सिंह- प्रशासक
- 4. रामचरण चौधरी- प्रशासक
- 5. जीवंत सिंह- प्रशासक
- 6. उमेश तोमर- प्रशासक
- 7. हेम सिंह चौहान- प्रशासक
- 8. हरि सिंह प्रकाश वर्मा- प्रशासक
- 9. सुमन कुमार- प्रशासक
- 10. रंग लाल चौधरी- प्रशासक
- 11. हेम सिंह चौहान- प्रशासक
- 12. अजीत सिंह चौहान- प्रशासक
- 13. मुकुंद सिंह- प्रशासक
- 14. रंग लाल चौधरी- प्रशासक
- 15. बालकृष्ण शर्मा- प्रशासक
- 16. प्रदीप कुमार चारण- प्रशासक
- 17. शंभूलाल शर्मा- प्रशासक
- 18. शांतिलाल- प्रशासक
- 19. अजय काटिया- प्रशासक
- 20. मोहन लाल शर्मा- प्रशासक
- 21. कैलाश चंद्र- प्रशासक
- 22. डालचंद कोठारी- अध्यक्ष
- 23. राजेंद्र लोहार- अध्यक्ष
- 24. चंपालाल मेवाड़ा- अध्यक्ष
- 25. दयाराम रेगर- अध्यक्ष
- 26. संपत लाल मेहता- अध्यक्ष
- 27. दयाराम रेगर- अध्यक्ष
- 28. प्रेम देवी- अध्यक्ष
- 29. कैलाश मेवाड़ा- अध्यक्ष
- 30. नर्मदा देवी बागवान- अध्यक्ष