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नेजा खेलः 'नेजा' लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए डंडे - नेजा खेल

प्रतापगढ़ जिले के छोटे से टांडा गांव एक ऐसा वाकया घटित हुआ है जिसकी किसे ने कल्पना भी ना की होगी. जहां महिलाएं डंडों से मर्दों की जमकर मरम्मत कर रही हैं.

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नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए डंडे
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Published : Mar 13, 2020, 7:17 AM IST

Updated : Mar 13, 2020, 10:31 PM IST

प्रतापगढ़. जिले के छोटे से गांव टांडा गांव एक ऐसा वाकया घटित हुआ है जिसकी किसे ने कल्पना भी ना की होगी. जहां महिलाएं लकड़ियों से मर्दों की जमकर मरम्मत कर रही है. गांव का ये मैदान किसी युद्ध के मैदान से कम नजर नहीं आ रहा है. लाठियों से उनकी जमकर पिटाई कर रही हैं. महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले तो इस दृश्य को देखकर तो पुरुष सशक्तिकरण की दुहाई देने लगेंगे.

नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए डंडे

मर्दों को पीटने का यह खतरनाक खेल प्रतापगढ़ जिले के टांडा गांव में खेला जा रहा है. ग्राम वासियों अपनी बोली में इसे नेजा कहते हैं. इस खेल में बड़े बुजुर्गों, युवा महिलाएं सभी बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं. इस खेल में महिलाओं का पूरा वर्चस्व रहता है, पूरी दादागिरी रहती है.

साल भर अपने पति, ससुर व जेठ के कठोर अनुशासन में रहने वाली यह गांव की महिलाएं इस खेल का पूरा फायदा उठा रही है. जमकर अपनी पूरी भड़ास निकाल रही है पति हो या पड़ोसी, युवा हो या बुजुर्ग, ससुर हो या जेठ किसी को नहीं छोड़ रही.

पढ़ें: प्रतापगढ़ में आदिवासी समुदाय धूमधाम से मना रहा 'गेर नृत्य', लोगों में है खास लोकप्रिय

एक तरह से नेजे का दिन ग्रामीण महिलाओं के लिए महिला दिवस या आजादी के दिन से कम नहीं होता है. इस दिन महिलाओं को पूरी छूट रहती है. कोई भी उन्हें बुरा भला नहीं कहता, उन्हें पूरी इज्जत दी जाती है. कोई भी महिलाओं के ऊपर हाथ नहीं उठाता है. गांव का मुखिया ढिंढोरा पीटना है और गांव में सब को ले जाने व खेलने का निमंत्रण देता है.

शाम होते ही गांव की महिलाएं और पुरुष एक खुली जगह इकट्ठे हो जाते हैं. महिलाएं और पुरुष अलग-अलग पोलियो में नगाड़े की थाप पर नाचते गाते हैं और एक दूसरे को छींटाकशी करते हैं. बीच मैदान में रेत से भरा एक बोरा और एक नगाड़ा रख दिया जाता है. महिलाएं हाथों में लक्ष्मी लेकिन मजबूत कहानियां लहराते हुए पुरुषों को बोरा उठा ले जाने की खुली चुनौती देती है.

पुरुष बोरा उठाने की कोशिश करते हैं और महिलाएं उनकी पूरी खबर लेती है. पीट-पीट कर बुरा हाल कर देती है. यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक यह बोरा उठा ले जाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो जाते. जब खेतों में गेहूं चने और अफीम की फसल पक कर तैयार हो जाती है और किसान कुछ फुर्सत में आ जाते हैं. तब प्रतापगढ़ जिले के टांडा गांव में इस तरह का खेल खेला जाता है.

यह भी पढ़ें: बांसवाड़ा: जोलाना की अनूठी परंपरा, यहां खेली जाती है कंडा मार होली

इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि इस खेल से गांव की देवी खुश हो जाती है और गांव को किसी प्राकृतिक आपदा या काल का सामना नहीं करना पड़ता है. गांव में आत्माओं का साया नहीं रहता है और गांव में हमेशा खुशहाली रहती है.

प्रतापगढ़. जिले के छोटे से गांव टांडा गांव एक ऐसा वाकया घटित हुआ है जिसकी किसे ने कल्पना भी ना की होगी. जहां महिलाएं लकड़ियों से मर्दों की जमकर मरम्मत कर रही है. गांव का ये मैदान किसी युद्ध के मैदान से कम नजर नहीं आ रहा है. लाठियों से उनकी जमकर पिटाई कर रही हैं. महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले तो इस दृश्य को देखकर तो पुरुष सशक्तिकरण की दुहाई देने लगेंगे.

नेजा लूटने आए युवाओं पर महिलाओं ने बरसाए डंडे

मर्दों को पीटने का यह खतरनाक खेल प्रतापगढ़ जिले के टांडा गांव में खेला जा रहा है. ग्राम वासियों अपनी बोली में इसे नेजा कहते हैं. इस खेल में बड़े बुजुर्गों, युवा महिलाएं सभी बड़े उत्साह के साथ भाग लेते हैं. इस खेल में महिलाओं का पूरा वर्चस्व रहता है, पूरी दादागिरी रहती है.

साल भर अपने पति, ससुर व जेठ के कठोर अनुशासन में रहने वाली यह गांव की महिलाएं इस खेल का पूरा फायदा उठा रही है. जमकर अपनी पूरी भड़ास निकाल रही है पति हो या पड़ोसी, युवा हो या बुजुर्ग, ससुर हो या जेठ किसी को नहीं छोड़ रही.

पढ़ें: प्रतापगढ़ में आदिवासी समुदाय धूमधाम से मना रहा 'गेर नृत्य', लोगों में है खास लोकप्रिय

एक तरह से नेजे का दिन ग्रामीण महिलाओं के लिए महिला दिवस या आजादी के दिन से कम नहीं होता है. इस दिन महिलाओं को पूरी छूट रहती है. कोई भी उन्हें बुरा भला नहीं कहता, उन्हें पूरी इज्जत दी जाती है. कोई भी महिलाओं के ऊपर हाथ नहीं उठाता है. गांव का मुखिया ढिंढोरा पीटना है और गांव में सब को ले जाने व खेलने का निमंत्रण देता है.

शाम होते ही गांव की महिलाएं और पुरुष एक खुली जगह इकट्ठे हो जाते हैं. महिलाएं और पुरुष अलग-अलग पोलियो में नगाड़े की थाप पर नाचते गाते हैं और एक दूसरे को छींटाकशी करते हैं. बीच मैदान में रेत से भरा एक बोरा और एक नगाड़ा रख दिया जाता है. महिलाएं हाथों में लक्ष्मी लेकिन मजबूत कहानियां लहराते हुए पुरुषों को बोरा उठा ले जाने की खुली चुनौती देती है.

पुरुष बोरा उठाने की कोशिश करते हैं और महिलाएं उनकी पूरी खबर लेती है. पीट-पीट कर बुरा हाल कर देती है. यह सिलसिला तब तक चलता रहता है जब तक यह बोरा उठा ले जाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो जाते. जब खेतों में गेहूं चने और अफीम की फसल पक कर तैयार हो जाती है और किसान कुछ फुर्सत में आ जाते हैं. तब प्रतापगढ़ जिले के टांडा गांव में इस तरह का खेल खेला जाता है.

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इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि इस खेल से गांव की देवी खुश हो जाती है और गांव को किसी प्राकृतिक आपदा या काल का सामना नहीं करना पड़ता है. गांव में आत्माओं का साया नहीं रहता है और गांव में हमेशा खुशहाली रहती है.

Last Updated : Mar 13, 2020, 10:31 PM IST
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