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प्रतापगढ़: कागजों में सिमटकर ना रह जाए 'शुद्ध के लिए युद्ध अभियान'

खाद्य विभाग ने 2 दिनों में प्रतापगढ़ के धरियावद और अरनोद सहित जिले के कई जगहों पर जांच की और नमूने लिए हैं. स्वास्थ्य विभाग और खाद्य विभाग की टीम द्वारा लिए गए सैंपल उदयपुर प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे. इसकी रिपोर्ट 15 दिन बाद मिलेगी. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि शुद्ध के प्रति युद्ध अभियान कागजों में सिमटकर ना रह जाए. वहीं, जिला एवं स्वास्थ्य अधिकारी विष्णु दयाल मीणा मीडिया के सवालों के जवाब देने की बजाय मीटिंग में रहने और समय नहीं होने के कारण बात नहीं करने की बात कर रहे हैं.

Pratapgarh News, शुद्ध के लिए युद्ध अभियान
प्रतापगढ़ में चल रहा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान
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Published : Nov 13, 2020, 8:23 PM IST

प्रतापगढ़. दिवाली के त्योहार के पहले जिले में मिठाइयों की जांच शुरू की गई खाद्य विभाग की टीम होटलों और मिठाइयों की दुकानों में जांच कर रही है. नमूने भी लिए जा रहे हैं. विभाग की ओर से लिए गए नमूनों की रिपोर्ट 15 दिन बाद आएगी, तब तक त्योहार समाप्त होने के साथ मिठाइयां भी बिक चुकी होगी. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि शुद्ध के प्रति युद्ध अभियान कागजों में सिमटकर ना रह जाए.

बता दें कि खाद्य विभाग ने 2 दिनों में प्रतापगढ़ के धरियावद और अरनोद सहित जिले के कई जगहों पर जांच की और नमूने लिए हैं. स्वास्थ्य विभाग और खाद्य विभाग की टीम द्वारा लिए गए सैंपल उदयपुर प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे. इसकी रिपोर्ट 15 दिन बाद मिलेगी. जबकि 14 नवंबर को ही दिवाली है.

पढ़ें: बूंदी के बाजारों में धनतेरस पर जमकर हुई खरीदारी...व्यापारियों के चेहरे पर लौटी खुशियां

जिले में पहले खाद्य निरीक्षक के समय के भी कई मामले अभी तक कोर्ट में विचाराधीन है. उनके सैंपल लिए गए थे. उनको लेकर तत्कालीन खाद्य निरीक्षक को प्रतापगढ़ में कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसके बावजदू जब त्योहार नजदीक होते हैं, तभी स्वास्थ्य विभाग की टीम नमूने लेने पहुंचती है, जिससे मिलावटखोर बच जाते है और बाजारों में सभी जहरीला मावा और मिठाई बिक चुकी होती है.

पढ़ें: Special : पिछले वर्ष ढीला पड़ा शुद्ध के लिए 'युद्ध', अब टारगेट पूरा करने के लिए छापेमारी में जुटा स्वास्थ्य महकमा

कम खर्च में मिठाई बनाने में ना सिर्फ नकली खोवा इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि मिठाइयों को आकर्षण बनाने के लिए खाने वाले रंग की जगह कपड़ा रंगने वाले रासायनिक रंग और चांदी के वर्क की जगह एल्युमीनियम की पतली पट्टी का इस्तेमाल हो रहा है. बाजार में मिलावटी मिठाई ही नहीं बेसन, मिर्च, धनिया, हल्दी पाउडर, दूध और खुला तेल भी धड़ल्ले से बिक रहा है. गांव में नकली ब्रांड के तेल छोटे पाउच में बिक रहे हैं. लेकिन, इतना कुछ होने के बाद भी जिला एवं स्वास्थ्य अधिकारी विष्णु दयाल मीणा मीडिया के सवालों के जवाब देने की बजाय मीटिंग में रहने और समय नहीं होने के कारण बात नहीं करने की बात कर रहे हैं.

मिलावटी खाद्य पदार्थ पहुंचाते हैं शरीर को नुकसान

मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से अंधापन, लकवा, लीवर में गड़बड़ी और ट्यूमर जैसे खतरनाक समस्याएं हो सकती है. मसाले में मिट्टी, लकड़ी का बुरादा मिलाया जाता है, जो आहार तंत्र, दांत को प्रभावित करता है. सरसों तेल में आर्जीमोन तेल एपिडेमिक ड्रॉप्सी मिलाया जाता है, जो आहार तंत्र को क्षति पहुंचाता है. बेसन हल्दी में पीला रंग मिलाया जाता है, जो प्रजनन और पाचन तंत्र यकृत्व गुर्दे को प्रभावित करता है. लाल मिर्च में रोडा माइंड मिलाया जाता है, जिससे यकृत गुर्दे को हनी होती है. चांदी वर्क में एल्युमिनियम मिला होता है, जिससे पेट की बीमारी होती है.

प्रतापगढ़. दिवाली के त्योहार के पहले जिले में मिठाइयों की जांच शुरू की गई खाद्य विभाग की टीम होटलों और मिठाइयों की दुकानों में जांच कर रही है. नमूने भी लिए जा रहे हैं. विभाग की ओर से लिए गए नमूनों की रिपोर्ट 15 दिन बाद आएगी, तब तक त्योहार समाप्त होने के साथ मिठाइयां भी बिक चुकी होगी. ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि शुद्ध के प्रति युद्ध अभियान कागजों में सिमटकर ना रह जाए.

बता दें कि खाद्य विभाग ने 2 दिनों में प्रतापगढ़ के धरियावद और अरनोद सहित जिले के कई जगहों पर जांच की और नमूने लिए हैं. स्वास्थ्य विभाग और खाद्य विभाग की टीम द्वारा लिए गए सैंपल उदयपुर प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे. इसकी रिपोर्ट 15 दिन बाद मिलेगी. जबकि 14 नवंबर को ही दिवाली है.

पढ़ें: बूंदी के बाजारों में धनतेरस पर जमकर हुई खरीदारी...व्यापारियों के चेहरे पर लौटी खुशियां

जिले में पहले खाद्य निरीक्षक के समय के भी कई मामले अभी तक कोर्ट में विचाराधीन है. उनके सैंपल लिए गए थे. उनको लेकर तत्कालीन खाद्य निरीक्षक को प्रतापगढ़ में कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसके बावजदू जब त्योहार नजदीक होते हैं, तभी स्वास्थ्य विभाग की टीम नमूने लेने पहुंचती है, जिससे मिलावटखोर बच जाते है और बाजारों में सभी जहरीला मावा और मिठाई बिक चुकी होती है.

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कम खर्च में मिठाई बनाने में ना सिर्फ नकली खोवा इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि मिठाइयों को आकर्षण बनाने के लिए खाने वाले रंग की जगह कपड़ा रंगने वाले रासायनिक रंग और चांदी के वर्क की जगह एल्युमीनियम की पतली पट्टी का इस्तेमाल हो रहा है. बाजार में मिलावटी मिठाई ही नहीं बेसन, मिर्च, धनिया, हल्दी पाउडर, दूध और खुला तेल भी धड़ल्ले से बिक रहा है. गांव में नकली ब्रांड के तेल छोटे पाउच में बिक रहे हैं. लेकिन, इतना कुछ होने के बाद भी जिला एवं स्वास्थ्य अधिकारी विष्णु दयाल मीणा मीडिया के सवालों के जवाब देने की बजाय मीटिंग में रहने और समय नहीं होने के कारण बात नहीं करने की बात कर रहे हैं.

मिलावटी खाद्य पदार्थ पहुंचाते हैं शरीर को नुकसान

मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से अंधापन, लकवा, लीवर में गड़बड़ी और ट्यूमर जैसे खतरनाक समस्याएं हो सकती है. मसाले में मिट्टी, लकड़ी का बुरादा मिलाया जाता है, जो आहार तंत्र, दांत को प्रभावित करता है. सरसों तेल में आर्जीमोन तेल एपिडेमिक ड्रॉप्सी मिलाया जाता है, जो आहार तंत्र को क्षति पहुंचाता है. बेसन हल्दी में पीला रंग मिलाया जाता है, जो प्रजनन और पाचन तंत्र यकृत्व गुर्दे को प्रभावित करता है. लाल मिर्च में रोडा माइंड मिलाया जाता है, जिससे यकृत गुर्दे को हनी होती है. चांदी वर्क में एल्युमिनियम मिला होता है, जिससे पेट की बीमारी होती है.

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