प्रतापगढ़. पेयजल पुनर्गठन योजना के तहत शहर में नई पाइपलाइन डालने के दौरान सड़कें खोदने और उनकी फिर से मरम्मत करने में ढिलाई बरतने को लेकर दायर याचिका में स्थायी लोक अदालत ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने काम में पर्यवेक्षकीय लापरवाही बरतने पर जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता पर 5 लाख का जुर्माना लगाया है.
कोर्ट ने यह जुर्माना उनके वेतन से काटने के आदेश दिए हैं. ठेकेदार कंपनी के स्थानीय प्रतिनिधि के खिलाफ झूठा शपथ पत्र देने पर आपराधिक मामला चलाने का आदेश भी दिया गया है.
प्रार्थी रमेश चंद्र शर्मा ने स्थायी लोक अदालत में एक याचिका दायर कर बताया था, कि शहरी पेयजल पुनर्गठन योजना के तहत जलदाय विभाग को शहर में नई पाइपलाइनें डालनी थीं. विभाग ने नई पाइपलाइनें तो डाल दीं, लेकिन इस दौरान उखाड़ी और खोदी गई सड़कें वापस नहीं बनाईं, जिससे शहरवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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ठेकेदार कंपनी को इस योजना का कार्य 29 जनवरी 2016 से शुरू कर 7 फरवरी 2018 तक पूरा करना था और इसके लिये राज्य सरकार द्वारा 70.33 करोड की स्वीकृति जारी की गई थी. लेकिन यह कार्य तय समय में नहीं हो पाया. कार्रवाई के दौरान ठेकेदार के प्रतिनिधि अन्नपा रामचन्द्र झलके ने 17 जनवरी 2019 को एक शपथ-पत्र पेश किया, जिसमें कहा गया, कि पेयजल योजना में लाइन डालने और सड़क रेस्टोरेशन का पूरा काम हो चुका है, सिर्फ हाइवे का काम बाकी है.
जबकि प्रार्थी ने न्यायालय में 1 जुलाई 2019 को आवेदन देकर बताया, कि विपक्षी कम्पनी ने अब तक कार्य पूरा नहीं किया है. कई जगह नई बनी सड़कों को दोबारा खोद दिया है. कई जगह वापस पाइपलाइनें उखाड़ी जा रहीं हैं.
इस मामले में लोक अदालत ने शहर में नई पाइपलाइन बिछाने और वापस सड़कें बनाने वाली ठेका कंपनी के स्थानीय प्रतिनिधि अन्नपा झलके और जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता रामकेश मीणा को नोटिस जारी किया था. जिसके बाद अन्नपा और अधिशासी अभियंता रामकेश मीणा ने जवाब पेश किया.
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मीणा ने अपने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा, कि ठेका कंपनी द्वारा समय पर काम नहीं किये जाने के कारण उस पर 1 करोड़ 53 लाख 6 1 हजार 41 रुपये की पेनॉल्टी लगाई जा चुकी है.
वहीं विपक्षी कम्पनी के प्रतिनिधि झलके ने जो जवाब पेश किया, उसमें कहा गया, कि उपभोक्ताओं को नल के कनेक्शन दिये जा चुके हैं. कहीं-कहीं पानी नहीं आने की शिकायत पर वापस खोद कर नए वॉल लगाये गए हैं. शहर के कई मोहल्लों में अभी रोड रेस्टोरेशन का काम बकाया है, जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
लोक अदालत ने आदेश में यह भी कहा, कि कंपनी ना तो इस योजना के मुताबिक तकनीकी रूप से सक्षम थी, और ना ही इसके पास इस योजना को क्रियान्वित करने के पर्याप्त संसाधन थे.
कोर्ट ने कहा, कि जनता की गाढी कमाई का दुरुपयोग हुआ है. मौके पर कई जगह घटिया काम हुआ है. इससे सड़कें वापस उखड़ गई हैं. इसमें सरकारी एजेन्सी जलदाय विभाग भी शामिल प्रतीत होता है. भविष्य में इस तरह की स्थिति नहीं बने, इसलिए सरकार को ऐसी बड़ी योजनाओं के लिये सक्षम कंपनी का चुनाव करना चाहिए और विभागीय स्तर पर इसकी रोजाना मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी कराएं.
लोक अदालत के सदस्य अजय पिछोलिया और देवेन्द्र अहिवासी ने आदेश दिया, कि जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता रामकेश मीणा पर 5 लाख रुपए की शास्ति आरोपित की जाती है. यह राशि वे अपने स्वयं के पास से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में इस आदेश के एक माह के भीतर जमा कराएंगे, अन्यथा जलदाय विभाग को यह आदेश दिया जाता है, कि यह राशि अधिकारी के वेतन से काट कर जमा कराएं.
इसी प्रकार ठेकेदार कम्पनी के प्रतिनिधि अन्नपा रामचन्द्र झलके द्वारा झूठा शपथ-पत्र न्यायालयीन कार्यवाही के दौरान दिया गया है. यह आपराधिक कृत्य की परिभाषा में आता है. इस कारण उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता के धारा 187 से 191 के अंतर्गत कार्रवाई किये जाने के पर्याप्त आधार है.
प्रथम-दृष्टया उपरोक्त धारा के अंतर्गत अपराध होना प्रतीत होता है, जिसके लिये कार्रवाई सक्षम न्यायालय में भेजी जाकर अभियोजित किया जाना न्यायोचित होगा. इसलिए अन्नपा रामचन्द्र झलके के विरुद्व अभियोजन चलाने के लिए कार्रवाई सक्षम न्यायालय मुख्य न्यायायिक मजिस्ट्रेट, प्रतापगढ़ को भेजी जाए.