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बाड़मेर : लूणी नदी में बबूल की भरमार से खतरे में तैराकों की जान - लूणी नदी न्यूज

पाली जिले में लगातार बारिश के चलते पानी लूणी नदी में पहुंच रहा हैं. जिसके चलते लूणी नदी में पानी आया तो जनहानि की पूरी आशंका है, नदी एरिया पूरी तरह से बबूल की झाड़ियों से अटा पड़ा है. नदी में थोड़ा पानी आते ही तैराक युवक नहाने उतरते हैं और झाड़ियों की बहुलता उनके लिए घातक हो सकती है.

Luni river pali, बाड़मेर न्यूज
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Published : Aug 17, 2019, 5:14 AM IST

Updated : Aug 17, 2019, 6:59 AM IST

बाड़मेर. कुछ वर्ष पूर्व बारिश के दौरान लूणी नदी में आए पानी में तैरने उतरे युवकों की झाड़ियों में उलझकर मौत हो गई थी. लेकिन नगरपरिषद और पीडब्ल्यूडी झाड़ियां कटवाने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में लगे हैं.

पढ़े- जयपुरः दो पक्षों में विवाद के बाद नियंत्रण में हालात, इंटरनेट सेवाएं रहेंगी बंद

प्रशासन के लापरवाह रवैये की वजह से लूणी नदी बहाव क्षेत्र में कोई कार्य योजना भी नहीं बन पाई है. हालांकि बाढ़ से बचाव की प्राथमिक तैयारी रेत के कट्टे भरवाने का कार्य नगरपरिषद ने जरूर किया हैं. बालोतरा के तैराक कवास बाढ़ के समय काफी चर्चित हुए थे. यहां के तैराक हर गंभीर परिस्थिति में निशुल्क सेवाएं देने को तैयार रहते हैं, पर इस बार नदी क्षेत्र से बबूल की झाडियां नहीं कटवाने से तैराक भी संशय की स्थिति में हैं.

लूणी नदी में बबूल की भरमार

तैराक बताते हैं कि यदि नदी पर आने पर कोई डूबते को बचाने के लिए हमें कहा जाएगा तो हमें भी जोखिम है. नदी एरिया में उगी घनी बबूल की झाड़ियों में फंसने का खतरा है. कोई कितना भी होशियार तैराक क्यों ना हो, ऐसी झाडियां घातक साबित होती हैं. कई तैराकों ने कहा कि प्रशासन कितना भी दबाव बनाए, हमें परिवार वाले ऐसी झाड़ियों में जाने से रोकेंगे. ऐसे में प्रशासन को नदी एरिया से बबूल की झाड़ियों को तुरंत प्रभाव से जेसीबी की मदद से कटवाना चाहिए.

बाड़मेर. कुछ वर्ष पूर्व बारिश के दौरान लूणी नदी में आए पानी में तैरने उतरे युवकों की झाड़ियों में उलझकर मौत हो गई थी. लेकिन नगरपरिषद और पीडब्ल्यूडी झाड़ियां कटवाने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में लगे हैं.

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प्रशासन के लापरवाह रवैये की वजह से लूणी नदी बहाव क्षेत्र में कोई कार्य योजना भी नहीं बन पाई है. हालांकि बाढ़ से बचाव की प्राथमिक तैयारी रेत के कट्टे भरवाने का कार्य नगरपरिषद ने जरूर किया हैं. बालोतरा के तैराक कवास बाढ़ के समय काफी चर्चित हुए थे. यहां के तैराक हर गंभीर परिस्थिति में निशुल्क सेवाएं देने को तैयार रहते हैं, पर इस बार नदी क्षेत्र से बबूल की झाडियां नहीं कटवाने से तैराक भी संशय की स्थिति में हैं.

लूणी नदी में बबूल की भरमार

तैराक बताते हैं कि यदि नदी पर आने पर कोई डूबते को बचाने के लिए हमें कहा जाएगा तो हमें भी जोखिम है. नदी एरिया में उगी घनी बबूल की झाड़ियों में फंसने का खतरा है. कोई कितना भी होशियार तैराक क्यों ना हो, ऐसी झाडियां घातक साबित होती हैं. कई तैराकों ने कहा कि प्रशासन कितना भी दबाव बनाए, हमें परिवार वाले ऐसी झाड़ियों में जाने से रोकेंगे. ऐसे में प्रशासन को नदी एरिया से बबूल की झाड़ियों को तुरंत प्रभाव से जेसीबी की मदद से कटवाना चाहिए.

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बबूल की झाड़ियों से अटा पुल लूणी नदी में पानी आया तो जनहानि की पूरी आशंका



बालोतरा-  पाली जिले में लगातार बारिश के चलते पानी लुणी नदी में पहुंच रहा हैं । जिसके चलते बालोतरा लूणी नदी में पानी आया तो जनहानि की पूरी आशंका है, कारण नदी एरिया बबूल की झाड़ियों से अटा पड़ा है। नदी में थोड़ा पानी आते ही तैराक युवक नहाने को उतरते हैं और झाड़ियों की बहुलता उनके लिए घातक हो सकती है। Body: कुछ वर्ष पूर्व लूणी में आए पानी में तैरने उतरे समदड़ी के युवकों की झाड़ियों में उलझकर मौत हो गई थी। नगरपरिषद व पीडब्ल्यूडी झाड़ियां कटवाने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में लगे हैं। प्रशासनिक ढिलाई की वजह से सावन लूणी नदी बहाव क्षेत्र में कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई है। हालांकि बाढ़ बचाव की प्राथमिक तैयारी रेत के कट्टे भरवाने का कार्य नगरपरिषद ने जरूर किया हैं। बालोतरा के तैराक कवास बाढ़ के समय काफी चर्चित हुए थे। यहां के तैराक हर गंभीर परिस्थिति में निशुल्क सेवाएं देने को तत्पर रहते हैं, पर इस बार नदी एरिया से बबूल की झाडिय़ां नहीं कटवाने से तैराक भी संशय की स्थिति में हैं। तैराक बताते  हैं कि यदि नदी आने पर कोई डूबते को बचाने के लिए हमें कहा जाएगा तो हमें भी जोखिम है। नदी एरिया में उगी घनी बबूल की झाड़ियों में फंसने का खतरा ऐसा है कि कोई कितना भी होशियार तैराक क्यों ना हो, ऐसी झाडिय़ां घातक साबित होती हैं। कई तैराकों ने कहा कि प्रशासन कितना भी दबाव बनाए, हमें परिवार वाले ऐसी झाड़ियों में जाने से रोकेंगे। ऐसे में प्रशासन को नदी एरिया से बबूल की झाड़ियों को तुरंत प्रभाव से जेसीबी की मदद से कटवाना चाहिए।


बाइट - पारसमल माली तैराकConclusion:
Last Updated : Aug 17, 2019, 6:59 AM IST
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