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SPECIAL: लॉकडाउन के चलते 500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार - 500 children waiting for camel milk

लॉकडाउन के दौरान एक महिला ने ट्विटर पर अपने बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध उपलब्ध करवाने की अपील की. जिस पर रेलवे ने मदद के लिए आगे आते हुए महिला तक राजस्थान से ऊंटनी का दूध पहुंचाया. महिला तक जो दूध पहुंचा वो राजस्थान के सादड़ी गांव की ऊंटनी का था. इसी जगह से देश भर में 500 बच्चों को दूध पहुंचाया जाता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें ऊंटनी का दूध उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. देखें स्पेशल स्टोरी...

500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार, 500 children waiting for camel milk
ऊंटनी के दूध का इंतजार कर रहे बच्चे
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Published : Apr 13, 2020, 8:59 PM IST

पाली. देशभर में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान कई आपतकालीन स्थितियां भी बनी हैं. जिनमें सरकार और प्रशासन ने अहम फैसले लेते हुए उन स्थितियों में लोगों की मदद की. ऐसा ही एक मामला है जिसमें एक बच्चे के दूध के लिए मां ने ट्वीटर पर मदद की गुहार लगाई. जिसमें महिला ने देश के प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों को भी टैग किया.

500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार (पार्ट-1)

जिस पर अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लेते हुए रेलवे की मदद से बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध उपलब्ध करवाया. वहीं, ऑटिज्म जैसी बीमारी से देश के 500 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें ऊंटनी के दूध की जरूरत है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें ये उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

राजस्थान से मुंबई पहुंचा ऊंटनी का दूध

महिला ने ट्वीट में लिखा कि उसके बच्चे को ऑटिज्म है. साथ ही खाने-पीने से एलर्जी भी. वह ऊंटनी के दूध और दालें ही खाता है. लेकिन उसके पास इतना दूध नहीं है कि वो लॉकडाउन में चल जाए. मुझे राजस्थान के सादड़ी से ऊंटनी का दूध या दूध पाउडर दिलाने में मदद करें.

500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार (पार्ट-2)

पढ़ें- SPECIAL: लॉकडाउन में रेलवे के प्रयासों की तारीफ, साढ़े तीन साल के बच्चे के लिए मुंबई पहुंचाया ऊंटनी का दूध

ऐसे में महिला के ट्वीट के बाद सिलसिला शुरू हुआ दिल्ली से राजस्थान के पाली जिले के सादड़ी गांव तक क्विक रिस्पांस का, जो अब काफी चर्चा का विषय है. दरअसल महिला ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी समेत कई अन्य लोगों को टैग कर रखा था.

जिसके बाद महिला के ट्वीट पर अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और अजमेर से मुंबई जाने वाली एक मालगाड़ी को विशेष तौर पर फालना में रोका गया. जहां से 20 लीटर दूध और 200 ग्राम ऊंट के दूध का पॉवडर ट्रेन में रखा गया. दूसरे दिन बच्चें तक ऊंट का दूध पहुंचा. इसके लिए बच्चे की मां ने धन्यवाद भी दिया.

500 बच्चों को दूध का इंतजार

ऑटिज्म के चलते देश भर में ऐसे 500 बच्चे हैं. जिन्हें ऊंटनी के दूध की जरूरत है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें दूध नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सकों के अनुसार ऑटिज्म में बच्चा या तो मंद बुद्धि हो जाता है या तो बहुत ही ज्यादा अग्रेसिव रहने लगता है. ऐसे में ऊंटनी का दूध बच्चे के मस्तिष्क को शांत रखता है. साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.

पढ़ें- SPECIAL: इसलिए अब तक राजसमंद को नहीं छू पाया Corona Virus

सादड़ी में ऊंट संरक्षण कार्यक्रम

बता दें कि पाली के सादड़ी गांव में ऊंट संरक्षण को लेकर पिछले कई सालों से कार्यक्रम चल रहा है. इसके तहत प्रदेश में लुप्त होते ऊंटों को नई पहचान इस गांव के हनुमंत सिंह और जर्मनी से आई ऊंट विशेषज्ञ डॉ. इलसे कलहर की ओर से दी गई. यहां पर लगातार ऊंट के दूध और इसके अन्य उत्पादों को लेकर कई प्रयोग किए गए. इन प्रयोगों के चलते सादड़ी गांव भारत के सभी हिस्सों और विदेश में विख्यात होने लगा.

ऊंट के दूध को पाश्चराइज्ड कर इस दूध को देश के अलग-अलग कोनों में पहुंचाया जाने लगा. साथी ऊंट के दूध से अन्य उत्पाद जैसे कि पनीर, चीज, आइसक्रीम, साबुन जैसे कई उत्पाद बनाए गए. इसी के तहत कई रोगों में भी ऊंट के दूध को उपयोगी मान यहां से लोग सीधे तौर पर दूध मंगवाते थे. महिला ने भी ऊंट के दूध की डिमांड अपने 3 वर्षीय बच्चे के लिए इसी कारण से की थी.

पाली. देशभर में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान कई आपतकालीन स्थितियां भी बनी हैं. जिनमें सरकार और प्रशासन ने अहम फैसले लेते हुए उन स्थितियों में लोगों की मदद की. ऐसा ही एक मामला है जिसमें एक बच्चे के दूध के लिए मां ने ट्वीटर पर मदद की गुहार लगाई. जिसमें महिला ने देश के प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों को भी टैग किया.

500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार (पार्ट-1)

जिस पर अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लेते हुए रेलवे की मदद से बच्चे के लिए ऊंटनी का दूध उपलब्ध करवाया. वहीं, ऑटिज्म जैसी बीमारी से देश के 500 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें ऊंटनी के दूध की जरूरत है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें ये उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.

राजस्थान से मुंबई पहुंचा ऊंटनी का दूध

महिला ने ट्वीट में लिखा कि उसके बच्चे को ऑटिज्म है. साथ ही खाने-पीने से एलर्जी भी. वह ऊंटनी के दूध और दालें ही खाता है. लेकिन उसके पास इतना दूध नहीं है कि वो लॉकडाउन में चल जाए. मुझे राजस्थान के सादड़ी से ऊंटनी का दूध या दूध पाउडर दिलाने में मदद करें.

500 बच्चे कर रहे ऊंटनी के दूध का इंतजार (पार्ट-2)

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ऐसे में महिला के ट्वीट के बाद सिलसिला शुरू हुआ दिल्ली से राजस्थान के पाली जिले के सादड़ी गांव तक क्विक रिस्पांस का, जो अब काफी चर्चा का विषय है. दरअसल महिला ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी समेत कई अन्य लोगों को टैग कर रखा था.

जिसके बाद महिला के ट्वीट पर अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और अजमेर से मुंबई जाने वाली एक मालगाड़ी को विशेष तौर पर फालना में रोका गया. जहां से 20 लीटर दूध और 200 ग्राम ऊंट के दूध का पॉवडर ट्रेन में रखा गया. दूसरे दिन बच्चें तक ऊंट का दूध पहुंचा. इसके लिए बच्चे की मां ने धन्यवाद भी दिया.

500 बच्चों को दूध का इंतजार

ऑटिज्म के चलते देश भर में ऐसे 500 बच्चे हैं. जिन्हें ऊंटनी के दूध की जरूरत है. लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें दूध नहीं मिल पा रहा है. चिकित्सकों के अनुसार ऑटिज्म में बच्चा या तो मंद बुद्धि हो जाता है या तो बहुत ही ज्यादा अग्रेसिव रहने लगता है. ऐसे में ऊंटनी का दूध बच्चे के मस्तिष्क को शांत रखता है. साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.

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सादड़ी में ऊंट संरक्षण कार्यक्रम

बता दें कि पाली के सादड़ी गांव में ऊंट संरक्षण को लेकर पिछले कई सालों से कार्यक्रम चल रहा है. इसके तहत प्रदेश में लुप्त होते ऊंटों को नई पहचान इस गांव के हनुमंत सिंह और जर्मनी से आई ऊंट विशेषज्ञ डॉ. इलसे कलहर की ओर से दी गई. यहां पर लगातार ऊंट के दूध और इसके अन्य उत्पादों को लेकर कई प्रयोग किए गए. इन प्रयोगों के चलते सादड़ी गांव भारत के सभी हिस्सों और विदेश में विख्यात होने लगा.

ऊंट के दूध को पाश्चराइज्ड कर इस दूध को देश के अलग-अलग कोनों में पहुंचाया जाने लगा. साथी ऊंट के दूध से अन्य उत्पाद जैसे कि पनीर, चीज, आइसक्रीम, साबुन जैसे कई उत्पाद बनाए गए. इसी के तहत कई रोगों में भी ऊंट के दूध को उपयोगी मान यहां से लोग सीधे तौर पर दूध मंगवाते थे. महिला ने भी ऊंट के दूध की डिमांड अपने 3 वर्षीय बच्चे के लिए इसी कारण से की थी.

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