पाली. जिले में भले ही मानसून ने 45 दिन बाद अपनी दस्तक दी. लेकिन जब मेघा बरसे तो जिले को बाढ़ के हालातों से गुजरना पड़ा. पाली शहर की 26 से ज्यादा बस्तियां कई दिनों तक पूरी तरह से जलमग्न रही. कई जीएसएस पानी में डूब जाने के कारण कई दिनों तक क्षेत्र अंधेरे में डूबा रहा. यहां तक कि 16 इंसानी जिंदगियां भी इन हालातों में छिन गई. लेकिन अब धीरे-धीरे हालात में सुधार हो रहा है.
बाढ़ का पानी बस्तियों से भले ही उतर चुका है. लेकिन अब रुका हुआ पानी लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस रुके हुए पानी से कई बस्तियों में कीचड़ व लोगों के घरों को नुकसान पहुंचने के मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर हालातों का जायजा ले रहे हैं.
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10 दिनों तक कई बस्तियों के सम्पर्क टूटा
पाली में हुई बाढ़ की स्थिति के दौरान कई बस्तियों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया था. लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हो गए थे. पाली के नयागांव, पठान कॉलोनी, हैदर कॉलोनी, रामदेव रोड, रजत नगर, सूर्या कॉलोनी, मारुति नंदन नगर, नाकोडा नगर, बजरंग नगर, जवाहर नगर सहित 26 के करीब बस्तियां 3 से 4 फीट पानी में डूब गई थी. वहीं कई दिनों तक बिजली सुचारू नहीं होने से लोग अंधेरे के साए में रहे. इस दौरान जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों ने बस्तियों में राहत सामग्री भी पहुंचाई थी.
29 बांध पर चल रही चादर
जिले में जल संसाधन विभाग के अधीन 52 बांध हैं. इन सभी बांध में से 29 बांध पूरी तरह से भर चुके हैं. और कई दिनों से उस पर चादर चल रही है. वहीं पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा जवाई बांध अभी 49 फीट के गेज पर पहुंच चुका है.
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डेढ़ माह में 16 मौत
इस दौरान जिले में होने वाली मौत का आंकड़ा भी दर्दनाक दिखाई दिया. 15 अगस्त से शुरू हुई बारिश के बाद कई नदी नाले उफान मारने लगे. कई बरसाती गड्ढे भी पूरी तरह से लबालब हो गए. आधिकारिक तौर पर इस बीच पाली जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 16 लोगों की मौत दर्ज की गई.
लोग जता रहे आक्रोश
शहर की कई बस्तियां हैं. जहां बरसात का पानी उतरने के बाद समस्याएं बढ़ गई हैं, इसको लेकर लोग हर दिन अपना आक्रोश भी जताते रहे हैं. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई हों यां रोजमर्रा की जिंदगी, इन बस्ती के लोगों को हर साल इन हालातों से दो-चार होना पड़ता है. लेकिन कोई ठोस एक्शन प्लान अभी तक नहीं बनाया गया है. ऐसे में लोगों के बीच प्रशासन के प्रति गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है.
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प्रशासन बना रहा एक्शन प्लान
वहीं जिले के अधिकारियों की माने तो ज्यादातर जलमग्न बस्तियां बहाव क्षेत्र में बसी हैं. इस वजह से हर बार यहां बरसात के दिनों में बाढ़ के हालात पैदा हो जाते हैं. जिला कलेक्टर ने हमें बताया कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्लान तैयार किया जा रहा है. उनका दावा है कि जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है.