जैतारण (पाली). जिले के बर कस्बे के कोर्ट और अस्पताल के सामने 6 फीट लंबे 2 धामन सांप को देखकर ग्रामीणों में भगदड़ मच गई. सांप होटल और गौशाला में होते हुए चला गया. इसी बीच लोगों ने पर्यावरण प्रेमी सुरेंद्र सिंह को कॉल किया. सूचना पर सुरेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और सांप का रेस्क्यू किया. इस दौरान उन्होंने सांपों के बारे में लोगों को अवेयर भी किया. वहीं इस स्नेक कैचर ने अब तक करीब 100 से अधिक सर्प जीवित पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा है.
बर कस्बे में स्नेक कैचर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला नई कॉलोनी निवासी 22 वर्षीय सुरेंद्र सिंह अपने इस कार्य का किसी से कोई शुल्क नहीं लेता. यहां तक कि वह बर के साथ-साथ आस-पास के गांवों में भी सूचना मिलने पर जाकर सेवाएं देता है. वहीं दूर दराज सर्प पकड़ने वह स्वयं के खर्च पर जाते है.
सुरेंद्र सिंह का मानना है कि वह ऐसा करके दो जीवन बचा लेता है. एक तो उस व्यक्ति को जिसको सर्प काट सकता है और दूसरा सर्प जिसे लोग भयवश मार देते हैं. सुरेंद्र सिंह ने यह कार्य अजमेर में वर्ष 2018 में सीखा था. वहां कुछ विदेशी सर्पों की प्रजाति पर शोध कर रहे थे, तब उसने भी उनके साथ रहकर सर्पों के बारे में जानना आरंभ किया और सर्प पकड़ना सीख लिया.
स्नेक कैचर सुरेंद्र ने बताया कि बर कस्बे में 9 प्रजाति के सर्प पाए जाते हैं. यह सभी सर्प जहरीले है. किंग कोबरा, ब्लेक रसेल वाइपर जिसे भारतीय नाग कहा जाता है, यह सर्प इस क्षेत्र में सर्वाधिक है. कोई भी सर्प सामान्यतया नहीं काटता है, जब तक कि वह यह महसूस नहीं करे कि उसको खतरा है. क्योंकि सर्प को दंश के दौरान उतनी पीड़ा होती है जितनी एक महिला को प्रसव के दौरान होती है.
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गत वर्ष बर सहित आसपास में सर्पों की संख्या बढ़ी है और इन दिनों हर रोज एक दो जगहों से उसके पास सर्प पकड़ने के लिए कॉल जाता है. वहीं सुरेंद्र सिंह कहते है कि, सरकार को कुछ कदम उठाने चाहिए, सर्प पकड़ने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए, उन्हें सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाने चाहिए. वहीं उनके पास सर्प पकड़ने का जो कैचर है वह भी उसने स्वयं ही बनाया है.