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लॉकडाउन के दौरान पाली में बढ़े मनोरोगी, डेढ़ माह से बंद होने की वजह से हो रही मानसिक बीमारियां

लॉकडाउन के दौरान लोगों पर मानसिक बीमारियां का खतरा मंडराने लगा है. पाली शहर में मानसिक रोगों के 15 से 20 मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं. डेढ़ माह से घर में बंद होने की वजह से लोगों के मन में नकारात्मक ख्याल आ रहे हैं.

Mental Patient in Pali, पाली न्यूज
लॉकडाउन के दौरान पाली में बढ़े मनोरोगी
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Published : May 2, 2020, 4:34 PM IST

पाली. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले डेढ़ माह से लॉकडाउन लगातार जारी है. ऐसे में अपने घरों में बंद लोग अब कोरोना वायरस से ज्यादा मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त होने लगे हैं. अचानक से पाली के बांगड़ अस्पताल में मानसिक तनाव के नए रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. प्रतिदिन अन्य बीमारियों से ज्यादा मानसिक रोग से ग्रस्त मरीज अब पाली के बांगड़ अस्पताल में पहुंचने लगे हैं.

लॉकडाउन के दौरान पाली में बढ़े मनोरोगी

बढ़ते मामलों को देखते हुए मनोरोग चिकित्सक भी अब पाली में इन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताने लगे हैं. अगर चिकित्सकों के अनुसार बांगड़ अस्पताल के मनोरोग विभाग की आउटडोर में मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन लगातार इस लॉकडाउन के दौरान नए मरीज सामने आने लगे हैं. इन मरीजों में अलग-अलग प्रकार से मानसिक तनाव की बीमारियां होने लगी हैं और उन्हें गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया जा रहा है.

पढ़ें- अजमेर में कोरोना से पहली मौत, 45 साल से शख्स ने JLN अस्तपाल में तोड़ा दम

मनोरोग चिकित्सकों के अनुसार इस समय नए मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है. बांगड़ हॉस्पिटल की ओपीडी में तनाव एवं चिंता से ग्रसित मरीज बढ़ रहे हैं. रोजाना 15 से 20 नए मरीज सामने आ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जो बांगड़ अस्पताल में पाली जिले के काफी संख्या में नए मरीज पहुंच रहे हैं. आंकड़ा इससे काफी ज्यादा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से शहर के बाहर के मरीज सामने नहीं आ पा रहे हैं.

घरों में बंद होने की वजह से आते हैं नकारात्मक विचार

चिकित्सकों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में बंद रहने के कारण, रोजगार जाने के कारण, पारिवारिक चिंता और गृह क्लेश के चलते लगातार अवसाद में जा रहे हैं. ऐसे में अब उनका मन उदास होने लगा है. नींद नहीं आ रही है और उन्हें अकेला रहना पसंद आ रहा है. उनके मन में नकारात्मक विचारों की अधिकता होने लगी है. स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा हैं और यहां तक कि लोग आत्महत्या के विचार भी अब अपने मन में लाने लगे हैं. ये आम लोगों के लिए काफी गंभीर संकट बनकर उभर रहा है. डॉक्टरों ने इस समय इस बीमारी को भी खासी चिंताजनक बताया है.

मनोरोग चिकित्सकों ने बताया कि इस समय परिवार के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. सभी सकारात्मक सोच के साथ घर के माहौल को भी सकारात्मक रखना चाहिए. घर के सभी सदस्य एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएं और सहयोग करें. पूरे दिन का एक टाइम टेबल बनाएं. मेडिटेशन बराबर करते रहें, नकारात्मक न्यूज से दूर रहें, क्योंकि लोग कोरोना से जरूरत से ज्यादा घबरा रहे हैं और यह दिलो-दिमाग में घर करता जा रहा है.

पढ़ें- बूंदी में कोरोना का पहला केस, कोटा से लौटी छात्रा मिली पॉजिटिव

साथ ही तनाव से बचने के लिए समय पर सोएं. घरों में गीत-संगीत नृत्य या अपनी पसंद के रुचि के काम बराबर करें. सोशल डिफरेंस के साथ परिवार के बीच बिताया गया समय तनाव को दूर करेगा. मानसिक रूप से हम जितने स्वस्थ और मजबूत रहेंगे, उतने ही हम बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकेंगे.

पाली. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले डेढ़ माह से लॉकडाउन लगातार जारी है. ऐसे में अपने घरों में बंद लोग अब कोरोना वायरस से ज्यादा मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त होने लगे हैं. अचानक से पाली के बांगड़ अस्पताल में मानसिक तनाव के नए रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. प्रतिदिन अन्य बीमारियों से ज्यादा मानसिक रोग से ग्रस्त मरीज अब पाली के बांगड़ अस्पताल में पहुंचने लगे हैं.

लॉकडाउन के दौरान पाली में बढ़े मनोरोगी

बढ़ते मामलों को देखते हुए मनोरोग चिकित्सक भी अब पाली में इन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताने लगे हैं. अगर चिकित्सकों के अनुसार बांगड़ अस्पताल के मनोरोग विभाग की आउटडोर में मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन लगातार इस लॉकडाउन के दौरान नए मरीज सामने आने लगे हैं. इन मरीजों में अलग-अलग प्रकार से मानसिक तनाव की बीमारियां होने लगी हैं और उन्हें गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया जा रहा है.

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मनोरोग चिकित्सकों के अनुसार इस समय नए मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है. बांगड़ हॉस्पिटल की ओपीडी में तनाव एवं चिंता से ग्रसित मरीज बढ़ रहे हैं. रोजाना 15 से 20 नए मरीज सामने आ रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जो बांगड़ अस्पताल में पाली जिले के काफी संख्या में नए मरीज पहुंच रहे हैं. आंकड़ा इससे काफी ज्यादा है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से शहर के बाहर के मरीज सामने नहीं आ पा रहे हैं.

घरों में बंद होने की वजह से आते हैं नकारात्मक विचार

चिकित्सकों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में बंद रहने के कारण, रोजगार जाने के कारण, पारिवारिक चिंता और गृह क्लेश के चलते लगातार अवसाद में जा रहे हैं. ऐसे में अब उनका मन उदास होने लगा है. नींद नहीं आ रही है और उन्हें अकेला रहना पसंद आ रहा है. उनके मन में नकारात्मक विचारों की अधिकता होने लगी है. स्वभाव चिड़चिड़ा होने लगा हैं और यहां तक कि लोग आत्महत्या के विचार भी अब अपने मन में लाने लगे हैं. ये आम लोगों के लिए काफी गंभीर संकट बनकर उभर रहा है. डॉक्टरों ने इस समय इस बीमारी को भी खासी चिंताजनक बताया है.

मनोरोग चिकित्सकों ने बताया कि इस समय परिवार के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. सभी सकारात्मक सोच के साथ घर के माहौल को भी सकारात्मक रखना चाहिए. घर के सभी सदस्य एक दूसरे का मनोबल बढ़ाएं और सहयोग करें. पूरे दिन का एक टाइम टेबल बनाएं. मेडिटेशन बराबर करते रहें, नकारात्मक न्यूज से दूर रहें, क्योंकि लोग कोरोना से जरूरत से ज्यादा घबरा रहे हैं और यह दिलो-दिमाग में घर करता जा रहा है.

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साथ ही तनाव से बचने के लिए समय पर सोएं. घरों में गीत-संगीत नृत्य या अपनी पसंद के रुचि के काम बराबर करें. सोशल डिफरेंस के साथ परिवार के बीच बिताया गया समय तनाव को दूर करेगा. मानसिक रूप से हम जितने स्वस्थ और मजबूत रहेंगे, उतने ही हम बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकेंगे.

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