पाली. लॉकडाउन ने कई लोगों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है. हर दिन किसी न किसी मजबूर की कहानियां आम जनता के सामने आ रही है. पाली शहर में भी पिछले डेढ़ माह से 56 जम्मू-कश्मीर के श्रमिक अपने घर जाने का इंतजार कर रहे हैं.
अपने परिवार का पेट पालने का के लिए ये 56 मजदूर जम्मू-कश्मीर से पाली आए थे. लेकिन कोरोना वायरस के चलते पूरा देश लॉक हो गया. उसके बाद से ही यह सभी श्रमिक पाली के ट्रांसपोर्ट कंपनियों में ही फंस गए.
ट्रांसपोर्टेशन कंपनी पर लगा ताला
पिछले डेढ़ माह से किसी भी प्रकार का ट्रांसपोर्टेशन नहीं होने के कारण सभी ट्रक ट्रांसपोर्ट कंपनियों के आगे ही खड़ी है. ऐसे में इन हमाल का रोजगार पूरी तरह से छिन चुका है. इन्हें उम्मीद थी कि जल्द ही लॉकडाउन खुल जाएगा. लेकिन जिस प्रकार से लॉकडाउन तीसरे चरण में पहुंच चुका है. उसके बाद अब इनकी हिम्मत और उम्मीदों दोनों ने ही जवाब दे दिया है.
जेब में जो कुछ पैसा बचा था. उससे अब तक यह लोग अपने दो वक्ते के खाने की व्यवस्था कर रहे थे. लेकिन अब इनकी उम्मीदें पूरी तरह से जवाब देती जा रही है. हर दिन प्रशासन के सामने यह श्रमिक अपने घरों तक जाने के लिए गुहार लगा रहे हैं. लेकिन अभी तक इनकी आवाज किसी के कानों में नहीं पड़ पाई है. ऐसे में हर दिन किसी न किसी सरकारी अधिकारी के फोन का इंतजार यह लोग लगातार कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें- Special: Corona ने तोड़ी पुष्कर पर्यटन उद्योग की कमर, होटल इंडस्ट्री को करीब 70 करोड़ का नुकसान
फोन की घंटी बजते ही इनके मन में यही उम्मीद होती है कि उनके घर जाने के लिए प्रशासन ने कोई न कोई व्यवस्था कर दी है. लेकिन पिछले डेढ़ माह से इन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. ऐसे में परिवार से दूर रहने का दर्द इनकी आंखों और चेहरे पर साफ तौर पर झलक रहा है.
गौरतलब है कि पाली के ट्रांसपोर्ट नगर में 200 से ज्यादा ट्रांसपोर्ट कंपनियां संचालित होती है. पाली से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में ट्रक अलग-अलग प्रदेशों में माल लेकर जाते हैं और दूसरे प्रदेशों से यहां पर अलग-अलग करके माल लेकर आते हैं. इन सभी ट्रकों को खाली करना और भरने के लिए यहां पर एक हजार से ज्यादा हमाल काम करते हैं. ज्यादातर हमाली करने वाले श्रमिक बाहरी प्रदेशों के हैं. जो यहां दिहाड़ी मजदूरी के लिए आए हुए हैं.