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SPECIAL: राजस्थान के 'अमरनाथ धाम' का त्रेता युग से जुडा है रिश्ता, यहीं भोलेनाथ ने दिया था परशुराम को दिव्य शस्त्र

अरावली की तलहटी में स्थित परशुराम महादेव सरोवर धाम को राजस्थान का अमरनाथ धाम कहा जाता है. इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. भगवान परशुराम को कड़ी तपस्या करने के बाद यहीं से दिव्य शस्त्र मिला था.

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परशुराम महादेव सरोवर धाम
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Published : Mar 10, 2021, 10:33 PM IST

पाली. भगवान शिव की जब हम बात करते हैं तो भारत के हर क्षेत्र में अलग अलग रूप में स्थापित भगवान शिव के मंदिर जहन में आते हैं. पाली जिले के सादड़ी क्षेत्र में अरावली की तलहटी में परशुराम महादेव को राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है. समुद्र तल से 3 हजा 955 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. कहते हैं यहां परशुराम महादेव ने इन अरावली की पहाड़ियों में आकर स्वयं प्रकट शिवलिंग की आराधना कर सालों तक तपस्या की थी.

राजस्थान के 'अमरनाथ धाम' का त्रेता युग से जुडा है रिश्ता

त्रेता युग में बसे इस मंदिर को आज भी राजस्थान के लोग आराध्य देव के रूप में पूजते हैं. हर वर्ष श्रावण मास में यहां भक्तों की कतार लगती है और शिवरात्रि पर भी यह मंदिर शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा स्थान होता है.

पाली जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर अरावली के पर्वतमाला में परशुराम महादेव का मंदिर स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान परशुराम ने अपने फरसे से वार कर इस मंदिर का निर्माण किया था. इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में बताया जाता है. मंदिर के अंदर गुफा में स्वयं प्रकट शिवलिंग है. भगवान परशुराम महादेव को विष्णु का अवतार माना जाता था. उन्होंने बाल्यकाल अवस्था में ही भगवान शिव को अपना गुरु मान लिया था और 5 वर्ष की उम्र में हिमालय में तपस्या करने चले गए थे.

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परशुराम महादेव मंदिर

यहां आने के लिए श्रद्धालु तय करते हैं 500 सीढ़ियों का सफर...

परशुराम को मातृ हत्या का अपराध था. वह अरावली की पहाड़ियों में परशुराम महादेव मंदिर में तपस्या करने के लिए आए थे. भगवान शिव ने अपने पूरे परिवार के साथ उन्हें दर्शन दिए थे. इस स्थान को प्रमुख शिव धाम के रूप में माना जाता है. पहाड़ियों पर बसी इस गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 500 सीढ़ियों का सफर तय करना होता है.

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परशुराम महादेव मंदिर को राजस्थान का अमरनाथ धाम कहा जाता है

भगवान परशुराम ने यहीं से मिला था दिव्य शस्त्र...

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर दिव्य शस्त्र यहीं से प्राप्त किया था. यहां गुफा की दीवार पर एक राक्षस की छवि भी अंकित है. माना जाता है इस राक्षस को भगवान परशुराम ने अपने फरसे से मारा था. पहाड़ी के दुर्गम रास्तों से होते हुए भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि परशुराम जयंती और श्रावण मास में यहां भक्तों की लंबी कतारें नजर आती हैं.

कोरोना वायरस का यहां भी दिखा असर...
परशुराम महादेव मंदिर मंडल ट्रस्ट के पदाधिकारी कहते हैं कि कोरोना काल के चलते परशुराम महादेव मंदिर भी लंबे समय तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहा था. हालांकि अब मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं लेकिन अभी भी बड़े स्तर पर किसी भी प्रकार का आयोजन मंदिर में नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही यह भी कोशिश की जाती है कि यहां मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा ना होने पाए.

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गुफा में स्थित स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करने जाते श्रद्धालु
यहां तपस्या के लिए आए थे परशुराम...मंदिर के पुजारियों का कहना है कि भगवान परशुराम महादेव ने इस गुफा में आने से पहले यहां से 6 किलोमीटर दूर बनास नदी के किनारे बसे वेरो का मठ में महाभारत के नायक अर्जुन को धनुष विद्या सिखाई थी. अर्जून को धनुष विद्या सिखाने के बाद एक सुरंग के रास्ते से वह इस गुफा तक पहुंचे थे. पुजारियों के मुताबिक अभी भी जिस रास्ते शिवलिंग मिलती है उस गुफा में वह लंबी सुरंग मौजूद है और यह गुफा बनास नदी पर जाकर खुलती है.

महाशिवरात्रि के मौके पर हजारों श्रद्धालु परशुराम महादेव की पावन गुफा में स्थित स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करेंगे. अरावली की हरी-भरी वादियां भी महादेव के जयकारों से गूंज उठेगी.

पाली. भगवान शिव की जब हम बात करते हैं तो भारत के हर क्षेत्र में अलग अलग रूप में स्थापित भगवान शिव के मंदिर जहन में आते हैं. पाली जिले के सादड़ी क्षेत्र में अरावली की तलहटी में परशुराम महादेव को राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है. समुद्र तल से 3 हजा 955 फीट की ऊंचाई पर बसे इस मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. कहते हैं यहां परशुराम महादेव ने इन अरावली की पहाड़ियों में आकर स्वयं प्रकट शिवलिंग की आराधना कर सालों तक तपस्या की थी.

राजस्थान के 'अमरनाथ धाम' का त्रेता युग से जुडा है रिश्ता

त्रेता युग में बसे इस मंदिर को आज भी राजस्थान के लोग आराध्य देव के रूप में पूजते हैं. हर वर्ष श्रावण मास में यहां भक्तों की कतार लगती है और शिवरात्रि पर भी यह मंदिर शिव भक्तों के लिए सबसे बड़ा स्थान होता है.

पाली जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर अरावली के पर्वतमाला में परशुराम महादेव का मंदिर स्थापित है. ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान परशुराम ने अपने फरसे से वार कर इस मंदिर का निर्माण किया था. इस मंदिर का निर्माण त्रेता युग में बताया जाता है. मंदिर के अंदर गुफा में स्वयं प्रकट शिवलिंग है. भगवान परशुराम महादेव को विष्णु का अवतार माना जाता था. उन्होंने बाल्यकाल अवस्था में ही भगवान शिव को अपना गुरु मान लिया था और 5 वर्ष की उम्र में हिमालय में तपस्या करने चले गए थे.

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परशुराम महादेव मंदिर

यहां आने के लिए श्रद्धालु तय करते हैं 500 सीढ़ियों का सफर...

परशुराम को मातृ हत्या का अपराध था. वह अरावली की पहाड़ियों में परशुराम महादेव मंदिर में तपस्या करने के लिए आए थे. भगवान शिव ने अपने पूरे परिवार के साथ उन्हें दर्शन दिए थे. इस स्थान को प्रमुख शिव धाम के रूप में माना जाता है. पहाड़ियों पर बसी इस गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 500 सीढ़ियों का सफर तय करना होता है.

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परशुराम महादेव मंदिर को राजस्थान का अमरनाथ धाम कहा जाता है

भगवान परशुराम ने यहीं से मिला था दिव्य शस्त्र...

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर दिव्य शस्त्र यहीं से प्राप्त किया था. यहां गुफा की दीवार पर एक राक्षस की छवि भी अंकित है. माना जाता है इस राक्षस को भगवान परशुराम ने अपने फरसे से मारा था. पहाड़ी के दुर्गम रास्तों से होते हुए भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि परशुराम जयंती और श्रावण मास में यहां भक्तों की लंबी कतारें नजर आती हैं.

कोरोना वायरस का यहां भी दिखा असर...
परशुराम महादेव मंदिर मंडल ट्रस्ट के पदाधिकारी कहते हैं कि कोरोना काल के चलते परशुराम महादेव मंदिर भी लंबे समय तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहा था. हालांकि अब मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं लेकिन अभी भी बड़े स्तर पर किसी भी प्रकार का आयोजन मंदिर में नहीं किया जा रहा है. इसके साथ ही यह भी कोशिश की जाती है कि यहां मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा ना होने पाए.

Amarnath Dham, Amarnath Dham in rajasthan, Parashuram Mahadev Temple, Story of lord parshuram, Mahashivratri Special Story,  Festival of Mahashivaratri
गुफा में स्थित स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करने जाते श्रद्धालु
यहां तपस्या के लिए आए थे परशुराम...मंदिर के पुजारियों का कहना है कि भगवान परशुराम महादेव ने इस गुफा में आने से पहले यहां से 6 किलोमीटर दूर बनास नदी के किनारे बसे वेरो का मठ में महाभारत के नायक अर्जुन को धनुष विद्या सिखाई थी. अर्जून को धनुष विद्या सिखाने के बाद एक सुरंग के रास्ते से वह इस गुफा तक पहुंचे थे. पुजारियों के मुताबिक अभी भी जिस रास्ते शिवलिंग मिलती है उस गुफा में वह लंबी सुरंग मौजूद है और यह गुफा बनास नदी पर जाकर खुलती है.

महाशिवरात्रि के मौके पर हजारों श्रद्धालु परशुराम महादेव की पावन गुफा में स्थित स्वयंभू प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करेंगे. अरावली की हरी-भरी वादियां भी महादेव के जयकारों से गूंज उठेगी.

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