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प्रदूषण के मामले में पाली 15वें स्थान पर, 1 साल पहले 51वें पर था - Ministry of Climate Change

पाली जिला एक बार फिर प्रदूषण को लेकर 15वें स्थान पर आ चुका है. बता दें कि 1 साल पहले 51वें स्थान पर था. लेकिन अब वह प्रदूषण के मामले में देश में आगे बढ़ चुका है. वहीं अभी तक प्रदूषण को कम करने के लिए मात्र कागजों में ही दावे किए जा रहे हैं. जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है.

केंद्रीय वन पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, Central forest environment, Ministry of Climate Change
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Published : Sep 9, 2019, 2:36 PM IST

पाली. देश भर में प्रदूषण को लेकर एक बार फिर स्थानों की सूची जारी हो चुकी है. प्रदूषण के मामले में पाली जिला 1 साल पहले 31वें स्थान पर था. लेकिन अब वह प्रदूषण के मामले में देश में 15 वें स्थान पर आ चुका है. शहर की आबोहवा में सांस लेना कई घातक बीमारियों को गले लगाने जैसा हो चुका है. बीते दिनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की व्यापक प्रदूषण सूचकांक कंप्रेसिव एनवायरमेंट पॉल्यूशन इंडेक्स की रिपोर्ट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चेताया था. इस स्थिति को 3 महीने में ही सुधारना होगा.

प्रदूषण के मामले में पाली देश मे 15वें स्थान पर

हालात यह है कि अभी तक प्रदूषण को कम करने के लिए मात्र कागजों में ही दावे किए जा रहे हैं. जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि एनजीटी की लगातार फटकार के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए जेडएलडी या कोई तकनीक को लगाने के प्रति उद्योग जगत में इच्छाशक्ति नहीं दिख रही. अधिकांश फैक्ट्रियों में से धुआं भी बिना डस्टबस्टरल और इकोनोमाइजर के ही छोड़ा जा रहा है.

पढ़ें- स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर देवीलाल पालीवाल का निधन, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

जानकारी के अनुसार 1 साल पहले केंद्र सरकार के आदेश पर केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में पाली को सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 31वें स्थान स्थान पर रखा था.अब एनजीटी को दी गई सूची में 15वें स्थान पर बताया गया है. प्रदेश में जोधपुर के बाद पाली दूसरे स्थान पर है. यानि स्थिति लगातार भयानक होती जा रही है. सार्वजनिक सर्वाधिक परेशानी फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले बस्तियों की है चिमनी से निकलने वाली राख मकानों की छतों पर जम जाती है. राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाली में कई बार पीएम 10 और 2.67 तक पहुंच जाती है. प्रदूषण का यह आंकड़ा दिल्ली के बराबर होता है.

पढ़ें- पालीः पीनी के तेज बहाव में लोगों की लापरवाही बन रही जान की आफत

शहर में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यहां स्थापित रंगाई छपाई की 600 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. शहर की हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा मानकों से काफी अधिक है. फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ निकलने वाले कार्बन कण, कार्बन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैस हवा में जहर घोल रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पर्यावरण की दृष्टि से वातावरण को शुद्ध करने और वायु प्रदूषण की स्थिति को समाप्त करने के लिए कारगर उपायों का नहीं होना है. पौधरोपण के प्रति जनता की बेरुखी, नदियों की साफ-सफाई और आसपास के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अभी तक पाली में कोई कारगर उपाय नहीं किया गया है.

पाली. देश भर में प्रदूषण को लेकर एक बार फिर स्थानों की सूची जारी हो चुकी है. प्रदूषण के मामले में पाली जिला 1 साल पहले 31वें स्थान पर था. लेकिन अब वह प्रदूषण के मामले में देश में 15 वें स्थान पर आ चुका है. शहर की आबोहवा में सांस लेना कई घातक बीमारियों को गले लगाने जैसा हो चुका है. बीते दिनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की व्यापक प्रदूषण सूचकांक कंप्रेसिव एनवायरमेंट पॉल्यूशन इंडेक्स की रिपोर्ट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चेताया था. इस स्थिति को 3 महीने में ही सुधारना होगा.

प्रदूषण के मामले में पाली देश मे 15वें स्थान पर

हालात यह है कि अभी तक प्रदूषण को कम करने के लिए मात्र कागजों में ही दावे किए जा रहे हैं. जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि एनजीटी की लगातार फटकार के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए जेडएलडी या कोई तकनीक को लगाने के प्रति उद्योग जगत में इच्छाशक्ति नहीं दिख रही. अधिकांश फैक्ट्रियों में से धुआं भी बिना डस्टबस्टरल और इकोनोमाइजर के ही छोड़ा जा रहा है.

पढ़ें- स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर देवीलाल पालीवाल का निधन, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई

जानकारी के अनुसार 1 साल पहले केंद्र सरकार के आदेश पर केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में पाली को सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 31वें स्थान स्थान पर रखा था.अब एनजीटी को दी गई सूची में 15वें स्थान पर बताया गया है. प्रदेश में जोधपुर के बाद पाली दूसरे स्थान पर है. यानि स्थिति लगातार भयानक होती जा रही है. सार्वजनिक सर्वाधिक परेशानी फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले बस्तियों की है चिमनी से निकलने वाली राख मकानों की छतों पर जम जाती है. राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाली में कई बार पीएम 10 और 2.67 तक पहुंच जाती है. प्रदूषण का यह आंकड़ा दिल्ली के बराबर होता है.

पढ़ें- पालीः पीनी के तेज बहाव में लोगों की लापरवाही बन रही जान की आफत

शहर में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यहां स्थापित रंगाई छपाई की 600 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. शहर की हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा मानकों से काफी अधिक है. फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ निकलने वाले कार्बन कण, कार्बन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैस हवा में जहर घोल रही है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पर्यावरण की दृष्टि से वातावरण को शुद्ध करने और वायु प्रदूषण की स्थिति को समाप्त करने के लिए कारगर उपायों का नहीं होना है. पौधरोपण के प्रति जनता की बेरुखी, नदियों की साफ-सफाई और आसपास के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अभी तक पाली में कोई कारगर उपाय नहीं किया गया है.

Intro:पाली. देशभर में प्रदूषण को लेकर एक बार फिर स्थानों की सूची जारी हो चुकी है। प्रदूषण के मामले में पाली जिला 1 साल पहले 31वें स्थान पर था। लेकिन अब वह प्रदूषण के मामले में देश में 15वें स्थान पर आ चुका है। पाली शहर की आबोहवा में सांस लेना कई घातक बीमारियों को गले लगाने जैसा हो चुका है। बीते दिनों केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की व्यापक प्रदूषण सूचकांक कंप्रेसिव एनवायरमेंट पॉल्यूशन इंडेक्स की रिपोर्ट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चेताया था। इस स्थिति को 3 महीने में ही सुधारना होगा। हालात यह है कि अभी तक प्रदूषण को कम करने के लिए मात्र कागजों में ही दावे किए जा रहे हैं। जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि एनजीटी की लगातार फटकार के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण के लिए जेडएलडी या कोई तकनीक को लगाने के प्रति उद्योग जगत में इच्छाशक्ति नहीं दिख रही। अधिकांश फैक्ट्रियों में से धुआं भी बिना डस्टबस्टर तथा इकोनोमाइजर के ही छोड़ा जा रहा है।




Body: जानकारी के अनुसार 1 साल पहले केंद्र सरकार के आदेश पर केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में पाली को सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 31वें स्थान स्थान पर रखा था।अब एनजीटी को दी गई सूची में 15वें स्थान पर बताया गया है। प्रदेश में जोधपुर के बाद पाली दूसरे स्थान पर है। यानी स्थिति लगातार भयानक होती जा रही है। सार्वजनिक सर्वाधिक परेशानी फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले बस्तियों की है चिमनी से निकलने वाली राख मकानों की छतों पर जम जाती है। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाली में कई बार पीएम 10 और 2.67 तक पहुंच जाती है। प्रदूषण का यह आंकड़ा दिल्ली के बराबर होता है।


Conclusion:पाली शहर में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यहां स्थापित रंगाई छपाई की 600 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। शहर की हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा मानको से काफी अधिक है। फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ निकलने वाले कार्बन कण, कार्बन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैस हवा में जहर घोल रही है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पर्यावरण की दृष्टि से वातावरण को शुद्ध करने तथा वायु प्रदूषण की स्थिति को समाप्त करने के लिए कारगर उपायों का नहीं होना है। पौधरोपण के प्रति जनता की बेरुखी नदियों की साफ-सफाई तथा आसपास के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए अभी तक पाली में कोई कारगर उपाय नहीं किया गया है।
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