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नवरात्रि विशेष: बूंदी में वैष्णो माता की चौखट पर आने वालों को मिलती है हर रोग से मुक्ति

शारदीय नवरात्रि के आखिरी दिन महानवमी मनाई जा रही है. माता की एक ऐसी चमत्कारी मूर्ति बूंदी के खोजा रोड पर स्थित है. जिन्हें माता वैष्णो देवी धाम के रूप में जाना जाता है. बताया जाता है कि यहां पर लोगों को माता चमत्कार के रूप में दर्शन देती है. वहीं जो भी भक्त माता की चौखट पर बीमारी लेकर आता है. माता उसके शरीर को बीमारी से मुक्त कर देती है.

Vaishno Devi Temple, वैष्णो देवी मंदिर
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Published : Oct 7, 2019, 6:44 PM IST

बूंदी. देश सहित प्रदेश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है. जहां माता रानी चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं. माता की एक ऐसी चमत्कारी मूर्ति बूंदी के खोजा रोड पर स्थित है. जहां पर लोगों को माता चमत्कार के रूप में दर्शन देती है. वहीं जो भी भक्त इस दर पर बीमारी लेकर आता है. माता उसकी बीमारी को शरीर से मुक्त कर उसे वापस नया शरीर दें देती है. कई वर्षों से माता यह चमत्कार करती हुई आ रही है. जिसके चलते नवरात्र में यहां पर भारी भीड़ माता के दर्शन करने में उमड़ती है.

बूंदी में वैष्णो माता की चौखट पर आने वालों को मिलती है हर रोग से मुक्ति

बूंदी में नवरात्रि के दिनों में माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है और बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. बूंदी शहर के बीचों बीच स्थित खोजा गेट रोड पर माता वैष्णो देवी का मंदिर स्थित है. जो कई वर्षों से चमत्कार भक्तों को देती हुई आ रही है. इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर अष्टमी के दिन माता अपने मंदिर के गर्भ से निकलकर मंदिर के प्रांगण में महिला भक्तों के शरीर में जाती है और मंदिर के प्रांगण में टहलती है. टहलते समय माता की भक्तों पर भी दया दृष्टि पड़ जाती है. जो सदा के लिए रोगमुक्त होकर सुखी हो जाते है. माता के चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, नेत्रहीनता, भादवा सहित अन्य बीमारी के पीड़ित आते हैं और भक्तों का आना जाना लगा रहता है. जो भक्त बीमार होता है वो अगर माता के दर्शन कर लेता है तो माता उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देती है.

पढ़ें- 9 बहनों वाली माता के मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानें क्या है विशेषता

सूनी गोद को खुशियों से भरने वाली मां वैष्णो देवी
यही नहीं माता के दरबार में दूर-दूर से लोग संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लोगों की आस्था है कि माता रानी वरदायीं, पुत्रदायीं, फलदायीं है. सबकी मनोकामना पूरी करती है. यहां जो भी बीमार व्यक्ति आता है और माता की विशेष पूजा करता है तो माता उसकी बीमारी को दूर कर देती है और सूनी गोद खुशियों से भर देती है.

मनोकामना पूरी होने के बाद फिर आते हैं दर्शन करने
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार ही है कि जो एक बार मन्नत मांगने आता है. वह दोबारा जरूर आता है. क्योंकि माता रानी मन्नत पूरी करती है और भक्त अपनी यथाशक्ति माता के चरणों में भेंट चढ़ाता है. यहां पर राज्य सहित अन्य जिलों के लोग भी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर दोबारा माता के दर्शन करते हैं.

पढ़ें- नवरात्रि विशेष: देखें कैसे लोहे की कीलों की शैय्या पर लेटकर संत कर रहा कठोर तप

चुनरी और श्रीफल का माता को चढ़ावा
अपनी मुराद पूरी होने पर लोग इच्छाशक्ति यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चलन यहां पर माता के चुनरी व श्रीफल का है. जो माता जी द्वारा मुराद पूरी होने पर लोग चढ़ाते हैं. मुराद पूरी होने पर लोग बच्चे के प्रथम बाल काटने की रस्म, नव विवाहित जोड़ा भी माता के दरबार में ही पहुंचकर अपनी मनोकामना करते है. प्रति नवरात्रा पर भक्तों का तांता लगा रहता है.

कई वर्षों पहले हुई थी स्थापना
आपको बता दें कि माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना काफी वर्षों पहले पंजाबी जन सेवा समिति से जुड़े लोगों द्वारा की गई थी. उस प्राचीन काल से ही माता वैष्णो देवी का चमत्कार आज भी कायम है. पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा नवरात्र में पूरे 9 दिन माता के कपाट खोलें रखे जाते है. जहां पर माता लोगों को दर्शन देती है. अष्टमी के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां पर दूर-दराज से लोग अष्टमी पर लोगों की भीड़ देखी जाती है.

भक्तों के लिए लगता है भंडारा
अष्टमी के दिन राज्य व अन्य जिलों से आने वाले वक्त गणों के लिए पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा हर वर्ष माता के मंदिर में भंडारा आयोजित किया जाता है. जहां पर सुबह से आरती के बाद भंडारा शुरू हो जाता है. जो शाम को 5:00 बजे तक चलता है. जहां पर भक्त प्रसादी लेते हैं.

पढ़ें- नवरात्रि विशेष: राजस्थान में देवी का एकमात्र मंदिर जहां हर दिन दूध से होता है अभिषेक...5000 साल से भी पुराना है इतिहास

अष्टमी के दिन माता के विशेष दर्शन
शारदीय नवरात्र में माता वैष्णो देवी मंदिर में हर दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित होते हैं. अष्टमी के दिन दोपहर 12:00 बजे से ही माता लोगों को दर्शन शुरु हो जाते है. जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहते हैं.

बूंदी. देश सहित प्रदेश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है. जहां माता रानी चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं. माता की एक ऐसी चमत्कारी मूर्ति बूंदी के खोजा रोड पर स्थित है. जहां पर लोगों को माता चमत्कार के रूप में दर्शन देती है. वहीं जो भी भक्त इस दर पर बीमारी लेकर आता है. माता उसकी बीमारी को शरीर से मुक्त कर उसे वापस नया शरीर दें देती है. कई वर्षों से माता यह चमत्कार करती हुई आ रही है. जिसके चलते नवरात्र में यहां पर भारी भीड़ माता के दर्शन करने में उमड़ती है.

बूंदी में वैष्णो माता की चौखट पर आने वालों को मिलती है हर रोग से मुक्ति

बूंदी में नवरात्रि के दिनों में माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है और बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. बूंदी शहर के बीचों बीच स्थित खोजा गेट रोड पर माता वैष्णो देवी का मंदिर स्थित है. जो कई वर्षों से चमत्कार भक्तों को देती हुई आ रही है. इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर अष्टमी के दिन माता अपने मंदिर के गर्भ से निकलकर मंदिर के प्रांगण में महिला भक्तों के शरीर में जाती है और मंदिर के प्रांगण में टहलती है. टहलते समय माता की भक्तों पर भी दया दृष्टि पड़ जाती है. जो सदा के लिए रोगमुक्त होकर सुखी हो जाते है. माता के चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, नेत्रहीनता, भादवा सहित अन्य बीमारी के पीड़ित आते हैं और भक्तों का आना जाना लगा रहता है. जो भक्त बीमार होता है वो अगर माता के दर्शन कर लेता है तो माता उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देती है.

पढ़ें- 9 बहनों वाली माता के मंदिर में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़, जानें क्या है विशेषता

सूनी गोद को खुशियों से भरने वाली मां वैष्णो देवी
यही नहीं माता के दरबार में दूर-दूर से लोग संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लोगों की आस्था है कि माता रानी वरदायीं, पुत्रदायीं, फलदायीं है. सबकी मनोकामना पूरी करती है. यहां जो भी बीमार व्यक्ति आता है और माता की विशेष पूजा करता है तो माता उसकी बीमारी को दूर कर देती है और सूनी गोद खुशियों से भर देती है.

मनोकामना पूरी होने के बाद फिर आते हैं दर्शन करने
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार ही है कि जो एक बार मन्नत मांगने आता है. वह दोबारा जरूर आता है. क्योंकि माता रानी मन्नत पूरी करती है और भक्त अपनी यथाशक्ति माता के चरणों में भेंट चढ़ाता है. यहां पर राज्य सहित अन्य जिलों के लोग भी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर दोबारा माता के दर्शन करते हैं.

पढ़ें- नवरात्रि विशेष: देखें कैसे लोहे की कीलों की शैय्या पर लेटकर संत कर रहा कठोर तप

चुनरी और श्रीफल का माता को चढ़ावा
अपनी मुराद पूरी होने पर लोग इच्छाशक्ति यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चलन यहां पर माता के चुनरी व श्रीफल का है. जो माता जी द्वारा मुराद पूरी होने पर लोग चढ़ाते हैं. मुराद पूरी होने पर लोग बच्चे के प्रथम बाल काटने की रस्म, नव विवाहित जोड़ा भी माता के दरबार में ही पहुंचकर अपनी मनोकामना करते है. प्रति नवरात्रा पर भक्तों का तांता लगा रहता है.

कई वर्षों पहले हुई थी स्थापना
आपको बता दें कि माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना काफी वर्षों पहले पंजाबी जन सेवा समिति से जुड़े लोगों द्वारा की गई थी. उस प्राचीन काल से ही माता वैष्णो देवी का चमत्कार आज भी कायम है. पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा नवरात्र में पूरे 9 दिन माता के कपाट खोलें रखे जाते है. जहां पर माता लोगों को दर्शन देती है. अष्टमी के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां पर दूर-दराज से लोग अष्टमी पर लोगों की भीड़ देखी जाती है.

भक्तों के लिए लगता है भंडारा
अष्टमी के दिन राज्य व अन्य जिलों से आने वाले वक्त गणों के लिए पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा हर वर्ष माता के मंदिर में भंडारा आयोजित किया जाता है. जहां पर सुबह से आरती के बाद भंडारा शुरू हो जाता है. जो शाम को 5:00 बजे तक चलता है. जहां पर भक्त प्रसादी लेते हैं.

पढ़ें- नवरात्रि विशेष: राजस्थान में देवी का एकमात्र मंदिर जहां हर दिन दूध से होता है अभिषेक...5000 साल से भी पुराना है इतिहास

अष्टमी के दिन माता के विशेष दर्शन
शारदीय नवरात्र में माता वैष्णो देवी मंदिर में हर दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित होते हैं. अष्टमी के दिन दोपहर 12:00 बजे से ही माता लोगों को दर्शन शुरु हो जाते है. जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहते हैं.

Intro:हमारे देश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां माता रानी चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं । माता की एक ऐसी चमत्कारी मूर्ति बूंदी के खोजा रोड पर स्थित है जिन्हें माता वैष्णो देवी धाम के रूप में जाना जाता है । जहां पर लोगों को माता चमत्कार के रूप में दर्शन देती है वही जो भी भक्त इस दर पर बीमारी लेकर आता है माता उसकी बीमारी को शरीर से मुक्त कर उसे वापस नया शरीर दे देती है । कई वर्षों से माता यह चमत्कार करती हुई आ रही है जिसके चलते नवरात्र में यहां पर भारी भीड़ माता के दर्शन करने में उमड़ती है और प्रत्यक्ष रूप से माता लोगों को दर्शन भी देती है ।


Body:बूंदी में नवरात्र की धूम है यहां पर आज अष्टमी के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों का ताता लगा हुआ है और बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। ऐसे ही एक माता की कहानी से हम आपको रूबरू करवा रहे हैं बूंदी शहर के बीचोंबीच स्थित खोजा गेट रोड पर माता वैष्णो देवी का मंदिर स्थित जो कई वर्षों से चमत्कार भक्तों को देती हुई आ रही है । इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर अष्टमी के दिन माता अपने मंदिर के गर्भ से निकलकर मंदिर के प्रांगण में महिला भक्तों के शरीर में जाती है और मंदिर के प्रांगण में टहलती है। टहलते समय माता की भको पर भी दया दृष्टि पड़ जाती है वह सदा के लिए रोगमुक्त हो सुखी हो जाता है ओर माता के स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर खुशी वापस जाते हैं। माता के चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा , नेत्रहीनता, भादवा सहित अन्य बीमारी के पीड़ित आते हैं और भक्तों का आना जाना लगा रहता है जो भक्त बीमार होता है वो अगर माता के दर्शन कर लेता है तो माता उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देती है ।

सुनी गोद को कर देती है भरा

मां अर्थात शक्ति का स्वरूप अपने अलग-अलग रूपों में प्रकट होकर भक्तों की रक्षा करती है और उनके दुख दूर करती है ।फिर चाहे वह पर्वत पर विराजे मां वैष्णवी हो मैहर की शारदा मां हो या फिर सुनी गोद में भरने वाली मां पष्टी हो । मां अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती है । जिले सहित देशभर में माता के प्रमुख चमत्कारी धार्मिक स्थल है उनमें से एक बूंदी शहर के खोजा गेट स्थित माता वैष्णो का मंदिर है जहां पर देश में धार्मिक स्थलों के रूप में विख्यात प्रमुख स्थलों में माता वैष्णो जी का मंदिर माना जाता है । माता के दरबार में दूर दूर से लोग संतान प्राप्ति कि फरियादी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं । लोगों की आस्था है कि माता रानी वरदायीं , पुत्रदायीं, फलदायीं है। सबकी मनोकामना पूरी करती है यहां जो भी बीमार व्यक्ति आता है और माता की विशेष पूजा करता है तो माता उसकी बीमारी को दूर कर देती है और सुनी गोद भरने की आस में आते फरियादी की गोद भर देती है ।

मनोकामना पूरी होने से लोग फिर आते है दर्शन करने

इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार ही है कि जो एक बार मन्नत मांगने आता है वह दुबारा जरूर आता है । क्योंकि माता रानी मन्नत पूरी करती है और भक्त अपनी यथाशक्ति माता के चरणों में भेंट चढ़ाता है । यहां पर राज्य सहित अन्य जिलों के लोग भी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर दोबारा माता के दर्शन करते हैं ।

चुनरी ओर श्रीफल का होता है चढ़ावा

अपनी मुराद पूरी होने पर लोग इच्छाशक्ति यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चलन यहां पर माता के चुनरी व श्रीफल का है जो माता जी द्वारा मुराद पूरी होने पर लोग चढ़ाते हैं। मुराद पूरी होने पर लोग बच्चे के प्रथम बाल काटने की रसम, नव विवाहित जोड़ा भी माता के दरबार में ही पहुंचकर अपनी मनोकामना करते है। प्रति नवरात्रा पर भक्तों का ताता लगा रहता है ।

कई वर्षों पहले हुई थी स्थापना

आपको बता दें कि माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना काफी वर्षों पहले पंजाबी जन सेवा समिति से जुड़े लोगों द्वारा की गई थी उस प्राचीन काल से ही माता वैष्णो देवी का चमत्कार आज भी कायम है । यहां पर हर भक्तो को माता भक्तों को दर्शन देती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी करती है । इस बार भी पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा माता का भव्य आयोजन किया गया और पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा नवरात्र में पूरे 9 दिन माता के दर्शन खोलें रखें जहां पर माता लोगों को दर्शन देती हुई नजर आई । अष्टमी के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों का ताता लगा रहा यहां पर दूर-दराज से लोग अष्टमी पर लोगों की भीड़ देखी गई ।

भक्तो के लिए लगता है भंडारा

अष्टमी के दिन राज्य व अन्य जिलों से आने वाले वक्त गणों के लिए पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा हर वर्ष माता के मंदिर में भंडारा आयोजित किया जाता है जहां पर सुबह से आरती के बाद भंडारा शुरू हो जाता है जो शाम को 5:00 बजे तक चलता है जहां पर लोग भगवान का प्रसाद लेते हैं और प्रसाद पाकर ही मंदिर के दर्शन कर वापस लौटते हैं ।



Conclusion:अष्टमी के दिन माता देती है दर्शन

शारदीय नवरात्र में माता वैष्णो देवी मंदिर में हर दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित होते हैं इस नवरात्र में अष्टमी के दिन माता विशेष रूप से लोगों को दर्शन देती है । अष्टमी के दिन दोपहर 12:00 बजे से ही माता लोगों को दर्शन देना शुरु करती है जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहते हैं । इसके बाद यहां पर अष्टमी की महाआरती आयोजित होती है जहां भारी-भरकम लोगों के बीच अष्टमी की आरती की जाती है और उसी के साथ माता वैष्णो देवी के मंदिर में मेले का जमकर समाप्त हो जाता है ।

यकीनन छोटीकाशी बूंदी में नवरात्र के अवसर पर बारी सैलाब मंदिरों में मरता है और इसी कारण हर मंदिर में माता वैष्णो देवी लोगों को दर्शन देती है ।

बाईट - संजय कुमार , भक्तजन
बाईट - राजीव पाँवा , भक्तजन
बाईट - नीलम बग्गा , भक्तजन
बाईट - अनिता , भक्तजन
बाईट - दीपा , दर्शनार्थी
बाईट - नीलम पंवार ,दर्शनार्थी
बाईट - रविन्द्र वधवा , अध्यक्ष ,मंदिर समिति
बाईट- अभिषेक , युवा
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