बूंदी. देश सहित प्रदेश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल है. जहां माता रानी चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं. माता की एक ऐसी चमत्कारी मूर्ति बूंदी के खोजा रोड पर स्थित है. जहां पर लोगों को माता चमत्कार के रूप में दर्शन देती है. वहीं जो भी भक्त इस दर पर बीमारी लेकर आता है. माता उसकी बीमारी को शरीर से मुक्त कर उसे वापस नया शरीर दें देती है. कई वर्षों से माता यह चमत्कार करती हुई आ रही है. जिसके चलते नवरात्र में यहां पर भारी भीड़ माता के दर्शन करने में उमड़ती है.
बूंदी में नवरात्रि के दिनों में माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है और बड़ी संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. बूंदी शहर के बीचों बीच स्थित खोजा गेट रोड पर माता वैष्णो देवी का मंदिर स्थित है. जो कई वर्षों से चमत्कार भक्तों को देती हुई आ रही है. इस मंदिर में सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर अष्टमी के दिन माता अपने मंदिर के गर्भ से निकलकर मंदिर के प्रांगण में महिला भक्तों के शरीर में जाती है और मंदिर के प्रांगण में टहलती है. टहलते समय माता की भक्तों पर भी दया दृष्टि पड़ जाती है. जो सदा के लिए रोगमुक्त होकर सुखी हो जाते है. माता के चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, नेत्रहीनता, भादवा सहित अन्य बीमारी के पीड़ित आते हैं और भक्तों का आना जाना लगा रहता है. जो भक्त बीमार होता है वो अगर माता के दर्शन कर लेता है तो माता उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देती है.
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सूनी गोद को खुशियों से भरने वाली मां वैष्णो देवी
यही नहीं माता के दरबार में दूर-दूर से लोग संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लोगों की आस्था है कि माता रानी वरदायीं, पुत्रदायीं, फलदायीं है. सबकी मनोकामना पूरी करती है. यहां जो भी बीमार व्यक्ति आता है और माता की विशेष पूजा करता है तो माता उसकी बीमारी को दूर कर देती है और सूनी गोद खुशियों से भर देती है.
मनोकामना पूरी होने के बाद फिर आते हैं दर्शन करने
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार ही है कि जो एक बार मन्नत मांगने आता है. वह दोबारा जरूर आता है. क्योंकि माता रानी मन्नत पूरी करती है और भक्त अपनी यथाशक्ति माता के चरणों में भेंट चढ़ाता है. यहां पर राज्य सहित अन्य जिलों के लोग भी मनोकामना लेकर आते हैं और मनोकामना पूरी होने पर दोबारा माता के दर्शन करते हैं.
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चुनरी और श्रीफल का माता को चढ़ावा
अपनी मुराद पूरी होने पर लोग इच्छाशक्ति यथाशक्ति प्रसाद चढ़ाते हैं. लेकिन सबसे ज्यादा चलन यहां पर माता के चुनरी व श्रीफल का है. जो माता जी द्वारा मुराद पूरी होने पर लोग चढ़ाते हैं. मुराद पूरी होने पर लोग बच्चे के प्रथम बाल काटने की रस्म, नव विवाहित जोड़ा भी माता के दरबार में ही पहुंचकर अपनी मनोकामना करते है. प्रति नवरात्रा पर भक्तों का तांता लगा रहता है.
कई वर्षों पहले हुई थी स्थापना
आपको बता दें कि माता वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना काफी वर्षों पहले पंजाबी जन सेवा समिति से जुड़े लोगों द्वारा की गई थी. उस प्राचीन काल से ही माता वैष्णो देवी का चमत्कार आज भी कायम है. पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा नवरात्र में पूरे 9 दिन माता के कपाट खोलें रखे जाते है. जहां पर माता लोगों को दर्शन देती है. अष्टमी के अवसर पर माता के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. यहां पर दूर-दराज से लोग अष्टमी पर लोगों की भीड़ देखी जाती है.
भक्तों के लिए लगता है भंडारा
अष्टमी के दिन राज्य व अन्य जिलों से आने वाले वक्त गणों के लिए पंजाबी जन सेवा समिति द्वारा हर वर्ष माता के मंदिर में भंडारा आयोजित किया जाता है. जहां पर सुबह से आरती के बाद भंडारा शुरू हो जाता है. जो शाम को 5:00 बजे तक चलता है. जहां पर भक्त प्रसादी लेते हैं.
अष्टमी के दिन माता के विशेष दर्शन
शारदीय नवरात्र में माता वैष्णो देवी मंदिर में हर दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित होते हैं. अष्टमी के दिन दोपहर 12:00 बजे से ही माता लोगों को दर्शन शुरु हो जाते है. जो शाम 5:00 बजे तक जारी रहते हैं.