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आशियाने की राह देख रहे मजदूरों ने कहा- तुम्हारे शहरों से छले, अपने गांवों को चले - trouble eating and drinking at railway station

लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा अगर किसी पर पड़ी है तो वह है मजदूर वर्ग. लॉकडाउन के चलते मजदूर दर बदर भटकने को मजबूर था भी, और है भी. पाली में कई जगहों पर कई प्रदेशों के मजदूर फंसे हुए हैं, जिसका नजारा वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है. सरकार की ओर से इन मजदूरों को अपने घर ट्रेन और बस के माध्यम से भेजने की खबर के बाद उनकी उम्मीदों को पर लग गए थे. लेकिन इन मजदूरों को इसमें भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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रेलवे स्टेशन पर मजदूरों की बेकद्री का हद
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Published : May 21, 2020, 8:51 PM IST

पाली. पिछले दो महीने से अलग-अलग फैक्ट्री और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हजारों बाहरी प्रदेश के मजदूर पाली में फंसे हुए थे. सरकार की ओर से इन मजदूरों को अपने घर ट्रेन और बस के माध्यम से भेजने की खबर के बाद उनकी उम्मीदों को पर लग गए थे. लेकिन इन मजदूरों को इसमें भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपने प्रदेश में ट्रेन जाने की सूचना के बाद एक दिन पहले ही रात 12 बजे से यह मजदूर रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ पर इंतजार कर रहे हैं.

न तो ट्रेन समय पर और न खाने-पीने की सुविधा

दोपहर के समय पारा 44 डिग्री तक पहुंच रहा है, ऐसे में न ही इन मजदूरों के लिए कोई भोजन की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की. अपने मासूम बच्चों और पूरे परिवार के साथ ये लोग ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इन मजदूरों को खुद को भी नहीं पता कि ट्रेन कितने बजे आएगी और न ही इन्हें कोई जानकारी दे रहा. ऐसे में पिछले 2 महीने से अपने घर जाने की उम्मीद लेकर जो मजदूर अलग-अलग स्थानों पर फंसा हुआ था. वह रेलवे स्टेशन के बाहर आकर फुटपाथ पर रहने के बाद अपने आप को और ज्यादा प्रताड़ित समझ रहा है.

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दो महीने पहले रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन ट्रेन का अता-पता नहीं

यह भी पढ़ेंः रोजी पर संकटः सुनहरी दुनिया को कैद करने वालों की जिंदगी पर 'लॉकडाउन'

बता दें कि पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर और बाड़मेर में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के मजदूर फंसे हुए हैं. इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग के साथ अन्य मजदूरी के कामों में भी इन प्रदेशों के मजदूरों को बुलाकर काम करवाया जा रहा था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद में इन सभी क्षेत्रों में कपड़ा उद्योग और अन्य कार्य बंद हो गए. जल्द ही फिर से उद्योग खुल जाने की उम्मीद में ये लोग अपने घरों की तरफ नहीं गए. एक माह तक तो इन लोगों ने जैसे-तैसे फैक्ट्री में और अपने किराए के मकानों में गुजार दिए. लेकिन एक माह तक रोजगार नहीं मिलने के बाद आर्थिक संकट को देखते हुए ये लोग अपने घरों की ओर पलायन करने लगे. लेकिन न ही इन्हें अपने प्रदेशों तक जाने के लिए कोई संसाधन उपलब्ध हो रहा था और न ही इनकी कोई सुनवाई कर रहा था. ऐसे में प्रवासियों के फंसे होने की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अलग-अलग स्थानों से स्पेशल ट्रेन और बसें चलाकर इन्हें इनके घर तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया.

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न तो ट्रेन समय पर और न खाने-पीने की सुविधा

पाली से भी अब तक तीन ट्रेन अलग-अलग प्रदेशों में मजदूरों को लेकर जा चुकी हैं. लेकिन इसके बावजूद हजारों की तादाद में अभी भी श्रमिक अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं. ट्रेन जाने की सूचना मिलने के बाद ये मजदूर एक दिन पहले ही रेलवे स्टेशन के आसपास फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ आकर रुक रहे हैं. समय पर इन्हें ट्रेन में जगह मिल जाए और अपने घर पहुंच जाए. इस उम्मीद में ये लोग भूखे प्यासे ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं.

प्रशासन की ओर से रेलवे स्टेशन के अंदर ट्रेन आने के समय पानी और भोजन की सुविधा की जा रही है. लेकिन जब ट्रेन का कोई समय नहीं है, तब इन मजदूरों के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है. ऐसे में जहां से पानी उपलब्ध हो रहा है, ये मजदूर वहीं से पानी पी रहे हैं और कोई भामाशाह भोजन दे रहा है तो यह भोजन कर रहे हैं. ट्रेन की उम्मीद में ये लोग अपने घर का सामान भी पूरा बांधकर अपने साथ लेकर आ चुके हैं और मासूम बच्चों से लेकर अपने बूढ़े मां बाप को भी फुटपाथ पर ही इंतजार करवा रहे हैं.

मालिकों ने भी मजदूरों को दिया धोखा...

फुटपाथ पर अपने घर जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. यह मजदूर पूरी तरह से प्रताड़ित हो चुके हैं. जहां हाड़-तोड़ मेहनत कर इन लोगों ने अपने मालिक के लिए सब कुछ किया. इन दो महीने में उन मालिकों ने ही इन मजदूरों के साथ धोखा कर दिया. इसका नजारा पाली में कई जगह देखने को मिला. जहां इन मजदूरों को इनका वेतन तक नहीं दिया गया. ऐसे में जब उन्होंने विरोध जताया तो इन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी और जेल भी जाना पड़ा. ऐसे में ये मजदूर अब पूरी तरह से टूट चुके हैं.

ट्रेन का समय किसी को पता नहीं

विभिन्न प्रदेशों में प्रवासियों को लेकर जाने वाली ट्रेन की सूचना मिलने के बाद यह प्रवासी लोग अपने किराए के मकानों को छोड़कर अपना पूरा सामान बांध रेलवे स्टेशन आकर रुक रहे हैं. लेकिन ना ही इन्हें ट्रेन के जाने का समय पता है और ना ही अन्य सुविधाओं का। कई बार स्थिति ऐसी भी है कि हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन के बाहर इंतजार करने वाले मजदूरों को ट्रेन कैंसिल होने की सूचना मिलने के बाद उन्हें फिर से अपने-अपने किराए के मकानों को फिर से खोलकर वहां रहना पड़ रहा है. पाली में अब तक 3 बार विभिन्न प्रदेशों में जाने वाली ट्रेन कैंसिल भी हो चुकी हैं. ऐसे में इन मजदूरों के चेहरे पर जो अपने घर जाने की खुशी है. वह कई बार उदासी में तब्दील हो रही है. फिर भी एक दूसरे का हौसला बांधकर यह लोग जल्दी अपने घर तक अपने परिवार के बीच जाने की उम्मीद को नहीं छोड़ रहे हैं.

पाली. पिछले दो महीने से अलग-अलग फैक्ट्री और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हजारों बाहरी प्रदेश के मजदूर पाली में फंसे हुए थे. सरकार की ओर से इन मजदूरों को अपने घर ट्रेन और बस के माध्यम से भेजने की खबर के बाद उनकी उम्मीदों को पर लग गए थे. लेकिन इन मजदूरों को इसमें भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अपने प्रदेश में ट्रेन जाने की सूचना के बाद एक दिन पहले ही रात 12 बजे से यह मजदूर रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ पर इंतजार कर रहे हैं.

न तो ट्रेन समय पर और न खाने-पीने की सुविधा

दोपहर के समय पारा 44 डिग्री तक पहुंच रहा है, ऐसे में न ही इन मजदूरों के लिए कोई भोजन की व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की. अपने मासूम बच्चों और पूरे परिवार के साथ ये लोग ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इन मजदूरों को खुद को भी नहीं पता कि ट्रेन कितने बजे आएगी और न ही इन्हें कोई जानकारी दे रहा. ऐसे में पिछले 2 महीने से अपने घर जाने की उम्मीद लेकर जो मजदूर अलग-अलग स्थानों पर फंसा हुआ था. वह रेलवे स्टेशन के बाहर आकर फुटपाथ पर रहने के बाद अपने आप को और ज्यादा प्रताड़ित समझ रहा है.

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दो महीने पहले रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन ट्रेन का अता-पता नहीं

यह भी पढ़ेंः रोजी पर संकटः सुनहरी दुनिया को कैद करने वालों की जिंदगी पर 'लॉकडाउन'

बता दें कि पाली, जालौर, सिरोही, जोधपुर और बाड़मेर में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र के मजदूर फंसे हुए हैं. इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग के साथ अन्य मजदूरी के कामों में भी इन प्रदेशों के मजदूरों को बुलाकर काम करवाया जा रहा था. लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद में इन सभी क्षेत्रों में कपड़ा उद्योग और अन्य कार्य बंद हो गए. जल्द ही फिर से उद्योग खुल जाने की उम्मीद में ये लोग अपने घरों की तरफ नहीं गए. एक माह तक तो इन लोगों ने जैसे-तैसे फैक्ट्री में और अपने किराए के मकानों में गुजार दिए. लेकिन एक माह तक रोजगार नहीं मिलने के बाद आर्थिक संकट को देखते हुए ये लोग अपने घरों की ओर पलायन करने लगे. लेकिन न ही इन्हें अपने प्रदेशों तक जाने के लिए कोई संसाधन उपलब्ध हो रहा था और न ही इनकी कोई सुनवाई कर रहा था. ऐसे में प्रवासियों के फंसे होने की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने अलग-अलग स्थानों से स्पेशल ट्रेन और बसें चलाकर इन्हें इनके घर तक पहुंचाने का कार्य शुरू किया.

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न तो ट्रेन समय पर और न खाने-पीने की सुविधा

पाली से भी अब तक तीन ट्रेन अलग-अलग प्रदेशों में मजदूरों को लेकर जा चुकी हैं. लेकिन इसके बावजूद हजारों की तादाद में अभी भी श्रमिक अलग-अलग स्थानों पर फंसे हुए हैं. ट्रेन जाने की सूचना मिलने के बाद ये मजदूर एक दिन पहले ही रेलवे स्टेशन के आसपास फुटपाथ पर अपने परिवार के साथ आकर रुक रहे हैं. समय पर इन्हें ट्रेन में जगह मिल जाए और अपने घर पहुंच जाए. इस उम्मीद में ये लोग भूखे प्यासे ट्रेन का ही इंतजार कर रहे हैं.

प्रशासन की ओर से रेलवे स्टेशन के अंदर ट्रेन आने के समय पानी और भोजन की सुविधा की जा रही है. लेकिन जब ट्रेन का कोई समय नहीं है, तब इन मजदूरों के लिए किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है. ऐसे में जहां से पानी उपलब्ध हो रहा है, ये मजदूर वहीं से पानी पी रहे हैं और कोई भामाशाह भोजन दे रहा है तो यह भोजन कर रहे हैं. ट्रेन की उम्मीद में ये लोग अपने घर का सामान भी पूरा बांधकर अपने साथ लेकर आ चुके हैं और मासूम बच्चों से लेकर अपने बूढ़े मां बाप को भी फुटपाथ पर ही इंतजार करवा रहे हैं.

मालिकों ने भी मजदूरों को दिया धोखा...

फुटपाथ पर अपने घर जाने के लिए ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं. यह मजदूर पूरी तरह से प्रताड़ित हो चुके हैं. जहां हाड़-तोड़ मेहनत कर इन लोगों ने अपने मालिक के लिए सब कुछ किया. इन दो महीने में उन मालिकों ने ही इन मजदूरों के साथ धोखा कर दिया. इसका नजारा पाली में कई जगह देखने को मिला. जहां इन मजदूरों को इनका वेतन तक नहीं दिया गया. ऐसे में जब उन्होंने विरोध जताया तो इन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ी और जेल भी जाना पड़ा. ऐसे में ये मजदूर अब पूरी तरह से टूट चुके हैं.

ट्रेन का समय किसी को पता नहीं

विभिन्न प्रदेशों में प्रवासियों को लेकर जाने वाली ट्रेन की सूचना मिलने के बाद यह प्रवासी लोग अपने किराए के मकानों को छोड़कर अपना पूरा सामान बांध रेलवे स्टेशन आकर रुक रहे हैं. लेकिन ना ही इन्हें ट्रेन के जाने का समय पता है और ना ही अन्य सुविधाओं का। कई बार स्थिति ऐसी भी है कि हजारों की संख्या में रेलवे स्टेशन के बाहर इंतजार करने वाले मजदूरों को ट्रेन कैंसिल होने की सूचना मिलने के बाद उन्हें फिर से अपने-अपने किराए के मकानों को फिर से खोलकर वहां रहना पड़ रहा है. पाली में अब तक 3 बार विभिन्न प्रदेशों में जाने वाली ट्रेन कैंसिल भी हो चुकी हैं. ऐसे में इन मजदूरों के चेहरे पर जो अपने घर जाने की खुशी है. वह कई बार उदासी में तब्दील हो रही है. फिर भी एक दूसरे का हौसला बांधकर यह लोग जल्दी अपने घर तक अपने परिवार के बीच जाने की उम्मीद को नहीं छोड़ रहे हैं.

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