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एनजीटी की सख्ती: सीईटीपी ने कपड़ा इकाइयों को दी 15 दिन की मोहलत, पानी के वाल्व पर लगाने होंगे सीसीटीवी कैमरे

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Published : Mar 17, 2021, 11:34 AM IST

प्रदूषण कंट्रोल को लेकर मंगलवार को सीईटीपी पदाधिकारियों एवं कपड़ा इकाइयों के संचालकों की बैठक भी आयोजित हुई. इस बैठक में कपड़ा इकाइयों को 15 दिन के अंदर अपनी कपड़ा इकाइयों को अपडेट करने की मोहलत दी है. सीईटीपी की ओर से की गई यह शक्ति उद्यमियों की मनमर्जी पर लगाम कसने के लिए है.

NGT Instructions on Pollution Control, Meeting on Pollution Control in Pali
सीईटीपी ने कपड़ा इकाइयों को दी 15 दिन की मोहलत

पाली. शहर के पानी नदी में बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या को लेकर प्रशासन हर तरह के संभव प्रयास कर रहा है. इसी के तहत शहर की फैक्ट्रियों से वाल्व खोलकर मनमर्जी से रंगीन पानी छोड़ने पर प्रबोधन कमेटी की सख्ती के बाद मंगलवार को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वाल्व की चाबियां संबंधित औद्योगिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों से लेकर सीईटीपी फाउंडेशन अपने पास रखेगा. प्रत्येक फैक्ट्री से छोड़े जाने वाले पानी का हिसाब का रिकॉर्ड भी संरक्षित रहेगा. साथ ही वॉल पर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इन सभी सुविधाओं को करने के लिए सभी कपड़ा इकाइयों को 15 दिन की मोहलत दी है.

सीईटीपी ने कपड़ा इकाइयों को दी 15 दिन की मोहलत

इस संबंध में मंगलवार को सीईटीपी पदाधिकारियों एवं कपड़ा इकाइयों के संचालकों की बैठक भी आयोजित हुई. इस बैठक में कपड़ा इकाइयों को 15 दिन के अंदर अपनी कपड़ा इकाइयों को अपडेट करने की मोहलत दी है. सीईटीपी की ओर से की गई यह शक्ति उद्यमियों की मनमर्जी पर लगाम कसने के लिए है.

बता दें कि पाली शहर के तीन औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी ने फैक्ट्रियों से पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक लाने के लिए 9 जोन बना रखे हैं. मंडिया रोड तथा पुनायता औद्योगिक क्षेत्र में पाइपलाइन बीच में होने के कारण फैक्ट्रियों केवल बाहर के माध्यम से पानी पाइप लाइन के जरिए ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाता है. वाल्व खोलने की चाबियां से संबंधित क्षेत्र के एसोसिएशन के पदाधिकारियों को सौंप रखी है.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़: शराब ठेकों की दोगुने दाम पर लगाई बोली, धरोहर राशि जमा कराने से पहले मैदान छोड़ा

ऐसे में पानी छोड़ने का कोई टाइम टेबल ही निर्धारित नहीं है. काफी समय से ट्रीटमेंट प्लांट के छलकने, हौदियों के आवर फ्लो होने तथा सड़कों पर रंगीन पानी बहने की शिकायतें हो रही हैं. उद्यमियों पर क्षमता से अधिक प्रोडक्शन कर पानी छोड़ने का आरोप भी लग रहा है. गत दिनों पुनायता में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसके बाद जिला कलेक्टर ने बैठक का इस संबंध में कपड़ा इकाइयों पर सख्ती करने के लिए भी कह दिया था.

पाली. शहर के पानी नदी में बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या को लेकर प्रशासन हर तरह के संभव प्रयास कर रहा है. इसी के तहत शहर की फैक्ट्रियों से वाल्व खोलकर मनमर्जी से रंगीन पानी छोड़ने पर प्रबोधन कमेटी की सख्ती के बाद मंगलवार को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वाल्व की चाबियां संबंधित औद्योगिक एसोसिएशन के पदाधिकारियों से लेकर सीईटीपी फाउंडेशन अपने पास रखेगा. प्रत्येक फैक्ट्री से छोड़े जाने वाले पानी का हिसाब का रिकॉर्ड भी संरक्षित रहेगा. साथ ही वॉल पर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इन सभी सुविधाओं को करने के लिए सभी कपड़ा इकाइयों को 15 दिन की मोहलत दी है.

सीईटीपी ने कपड़ा इकाइयों को दी 15 दिन की मोहलत

इस संबंध में मंगलवार को सीईटीपी पदाधिकारियों एवं कपड़ा इकाइयों के संचालकों की बैठक भी आयोजित हुई. इस बैठक में कपड़ा इकाइयों को 15 दिन के अंदर अपनी कपड़ा इकाइयों को अपडेट करने की मोहलत दी है. सीईटीपी की ओर से की गई यह शक्ति उद्यमियों की मनमर्जी पर लगाम कसने के लिए है.

बता दें कि पाली शहर के तीन औद्योगिक क्षेत्रों में सीईटीपी ने फैक्ट्रियों से पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक लाने के लिए 9 जोन बना रखे हैं. मंडिया रोड तथा पुनायता औद्योगिक क्षेत्र में पाइपलाइन बीच में होने के कारण फैक्ट्रियों केवल बाहर के माध्यम से पानी पाइप लाइन के जरिए ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाता है. वाल्व खोलने की चाबियां से संबंधित क्षेत्र के एसोसिएशन के पदाधिकारियों को सौंप रखी है.

पढ़ें- चित्तौड़गढ़: शराब ठेकों की दोगुने दाम पर लगाई बोली, धरोहर राशि जमा कराने से पहले मैदान छोड़ा

ऐसे में पानी छोड़ने का कोई टाइम टेबल ही निर्धारित नहीं है. काफी समय से ट्रीटमेंट प्लांट के छलकने, हौदियों के आवर फ्लो होने तथा सड़कों पर रंगीन पानी बहने की शिकायतें हो रही हैं. उद्यमियों पर क्षमता से अधिक प्रोडक्शन कर पानी छोड़ने का आरोप भी लग रहा है. गत दिनों पुनायता में ऐसे कई मामले सामने आए, जिसके बाद जिला कलेक्टर ने बैठक का इस संबंध में कपड़ा इकाइयों पर सख्ती करने के लिए भी कह दिया था.

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