पाली. जिले में टिड्डियों के दल ने खेतों में जमकर तबाही मचाई हुई है. एकबारगी टिड्डियों को भगा रहे किसान भी इनके बीच घिर गए. बुधवार शाम को 5 बजे के करीब टिड्डी दल के पहुंचने पर अफरा-तफरी का माहौल हो गया. गढ़वाड़ा के निकट खेतों में खड़ी फसलों पर टिड्डी दल के हमले के बीच काश्तकारों ने खेतों की बाड़े जला दी, तो कई जगहों पर टायरों को जलाकर धुआं किया गया. साथ ही खेतों में ट्रैक्टरों को दौड़ाकर टिड्डी को भगाने की मशक्कत में जुट गए.
रोहट और बाली इलाके में टिड्डी दल किसानों का नुकसान करने के बाद अब किसानों को सहायता राशि का मरहम लगाने की तैयारी शुरू हो चुकी है, लेकिन सहायता राशि का यह महरम भी उन किसानों को ही मिलने वाला है, जिनके खेतों में 33 प्रतिशत से अधिक खराबा हुआ है. हालांकि अभी भी रोहट इलाके में टिड्डी दल का हमला लगातार जारी है.
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प्राकृतिक आपदा कोष से किसानों के लिए सहायता राशि
टीड्डी दल के प्रवेश करने के बाद तीसरे दिन गुरुवार को पाली में रोहट इलाके के चाटेलाव, रुपावास सहित कुछ गांव में टिड्डी दल ने अपना डेरा जमा रखा है. लगातार इस टिड्डी दल द्वारा खेतों में फसलों को चट करने के बाद किसानों के खराबे को लेकर प्रशासन की ओर से आकलन करना शुरू करवा दिया गया है. टिड्डी दलों के किसानों को दिए इस दर्द पर महरम लगाने के लिए प्राकृतिक आपदा कोष से किसानों के लिए सहायता राशि जारी की जाएगी.
जिला कलेक्टर दिनेश चंद्र जैन के अनुसार टिड्डी दल से जिले के 8 गांव के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इन 8 गांवों में किसानों की फसलों को टिड्डियों ने पूरी तरह से चट कर दिया है. उन्होंने बताया है कि रोहट और बाली इलाके में टिड्डी दल ने सबसे ज्यादा तांडव मचाया है. इन दोनों ही क्षेत्रों के गांव में पटवारियों को नुकसान का आकलन कर गिरदावरी तैयार करने का निर्देश दे दिया गया है.
2 दिन से कोशिश जारी
प्रशासन पिछले 2 दिनों से रोहट इलाके में आए टिड्डी दल को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. बुधवार को प्रशासन की ओर से 40 से ज्यादा ट्रैक्टर से स्प्रे कर इलाके में ही टिड्डी दल को रोकने का प्रयास किया गया. जिसमें प्रशासन लगभग सफल रहा है. गुरुवार को बचे हुए टिड्डी दल को नष्ट करने के लिए चाटेलाव आसपास के गांव में टीमों को छिड़काव के लिए लगा रखा है.
कलेक्टर का कहना है कि पाली में अब टिड्डी दल का खतरा कम हो चुका है, लेकिन टीमों को अभी भी प्रभावित इलाके में तैनात कर रखा है. जब तक इनका प्रभाव इलाके से पूरी तरह से खत्म नहीं होता है, तब तक यह राहत दल यहां मौजूद रहेंगे. पहले तो इन धरतीपुत्रों पर कुदरत की मार और अब टिड्डियों का कहर बरपा रहा है. अब देखना यह होगा कि अन्नदाता को इस समस्या से बचाने सरकार क्या-क्या कदम उठाती है.