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स्पेशल स्टोरी: मानसून का किसानों के साथ दगा, फसलों की जगह अब खेतों में बचा है सिर्फ चारा

पाली में किसानों की ओर से खेतों में बोई गई खरीफ की फसल बारिश के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. पहले मानसून के देर से आगमन और उसके बाद अतिवृष्टि ने जिले भर में फसलों को तबाह कर दिया है. वहीं किसान मुआवजे की मांग कर रहे है. जिसके बाद कृषि विभाग ने अपना सर्वे पूरा कर लिया है.

पाली न्यूज , पाली में खरीफ की फसलें नष्ट, pali news, crop failure due to heavy rain
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Published : Oct 18, 2019, 1:48 PM IST

पाली. जिले में इस बार मानसून ने पूरी तरह से किसानों को निराश किया है. जहां एक ओर मानसून ने देरी से दस्तक देकर किसानों की खेतों को नुकसान पहुंचाया. वहीं रही-सही कसर अतिवृष्टि ने पूरी कर दी. मानसून की दस्तक के बाद किसानों के चेहरे पर हल्की सी राहत लौटी थी. किसानों ने बारिश के बाद फसलों के अच्छी होने की उम्मीद जताई थी. लेकिन इसके बाद हुई अतिवृष्टि के कारण एक बार फिर किसानों की फसलें बरबाद हो गई. किसानों के खेतों में खड़ी मूंग, ज्वार, तिल सहित कई फसलें हैं जिनमें लगभग 60 प्रतिशत से ज्यादा बारिश के पानी की वजह से खराब हो गई है.

अतिवृष्टि से खरीफ की फसलें खराब

वहीं किसानों ने बताया कि अभी खेतों से फसलें निकलने का समय चल रहा है. उनके खेतों से फसलों की बजाए सिर्फ पशुओं के लिए चारा निकल रहा है. अतिवृष्टि के कारण कई किसानों की फसलें खेतों में खड़ी खराब हो गई. वहीं कई फसलें सही तरीके से बढ़ ही नहीं पाई. साथ ही रोगों की चपेट में आने से भी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई.

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अतिवृष्टि से खराब हुई खरीफ फसलें

पाली जिले में इस बार हुई अतिवृष्टि के चलते खेतों में खड़ी खरीफ की कई फसलें खराब हो गई है. जिसके बाद जिले के किसानों की पैदावार में 60 प्रतिशत तक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. सबसे अधिक नुकसान पाली और रोहट क्षेत्र में हुआ है. जहां ज्वार, बाजरा, मूंग और तिल की फसल 80 प्रतिशत तक खराब हो गई है. बाकी कई गांव में 30 से 40 प्रतिशत तक खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ है. किसानों ने अच्छे उत्पादन के उम्मीद में बुवाई की थी, लेकिन अब किसानों के खेतों से सिर्फ कचरा या पशुओं के लिए चारा ही निकल रहा है.

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कृषि विभाग ने किया सर्वे

कृषि विभाग की ओर से खराबे को लेकर सर्वे कार्य भी लगभग पूरा किया जा चुका है. किसान खराबे को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. विभाग के सर्वे के अनुसार पाली में 1 लाख 50 हजार 704 हैक्टेयर, बाली में 1 लाख 30 हजार 698 हैक्टेयर और सोजत में 2 लाख 10 हजार 478 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई की थी. इसमें सबसे अधिक 1 लाख 72 हजार 556 हैक्टेयर में मूंग और 1 लाख 6 हजार 493 हैक्टेयर में ज्वार की पैदावार की गई थी. लेकिन मानसून के साथ नही देने से खेतों में खड़ी फसल खराब हो गई. सबसे ज्यादा मूंग, ज्वार और बाजरा की फसल खराब हुई है. किसानों की माने तो इस बार मानसून की मार हर फसल पर रही है. लेकिन सबसे ज्यादा मूंग की फसल प्रभावित हुई है. खेतों में पूरी की पूरी फसलें खराब हुई है.

पाली. जिले में इस बार मानसून ने पूरी तरह से किसानों को निराश किया है. जहां एक ओर मानसून ने देरी से दस्तक देकर किसानों की खेतों को नुकसान पहुंचाया. वहीं रही-सही कसर अतिवृष्टि ने पूरी कर दी. मानसून की दस्तक के बाद किसानों के चेहरे पर हल्की सी राहत लौटी थी. किसानों ने बारिश के बाद फसलों के अच्छी होने की उम्मीद जताई थी. लेकिन इसके बाद हुई अतिवृष्टि के कारण एक बार फिर किसानों की फसलें बरबाद हो गई. किसानों के खेतों में खड़ी मूंग, ज्वार, तिल सहित कई फसलें हैं जिनमें लगभग 60 प्रतिशत से ज्यादा बारिश के पानी की वजह से खराब हो गई है.

अतिवृष्टि से खरीफ की फसलें खराब

वहीं किसानों ने बताया कि अभी खेतों से फसलें निकलने का समय चल रहा है. उनके खेतों से फसलों की बजाए सिर्फ पशुओं के लिए चारा निकल रहा है. अतिवृष्टि के कारण कई किसानों की फसलें खेतों में खड़ी खराब हो गई. वहीं कई फसलें सही तरीके से बढ़ ही नहीं पाई. साथ ही रोगों की चपेट में आने से भी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई.

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अतिवृष्टि से खराब हुई खरीफ फसलें

पाली जिले में इस बार हुई अतिवृष्टि के चलते खेतों में खड़ी खरीफ की कई फसलें खराब हो गई है. जिसके बाद जिले के किसानों की पैदावार में 60 प्रतिशत तक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. सबसे अधिक नुकसान पाली और रोहट क्षेत्र में हुआ है. जहां ज्वार, बाजरा, मूंग और तिल की फसल 80 प्रतिशत तक खराब हो गई है. बाकी कई गांव में 30 से 40 प्रतिशत तक खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ है. किसानों ने अच्छे उत्पादन के उम्मीद में बुवाई की थी, लेकिन अब किसानों के खेतों से सिर्फ कचरा या पशुओं के लिए चारा ही निकल रहा है.

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कृषि विभाग ने किया सर्वे

कृषि विभाग की ओर से खराबे को लेकर सर्वे कार्य भी लगभग पूरा किया जा चुका है. किसान खराबे को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. विभाग के सर्वे के अनुसार पाली में 1 लाख 50 हजार 704 हैक्टेयर, बाली में 1 लाख 30 हजार 698 हैक्टेयर और सोजत में 2 लाख 10 हजार 478 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई की थी. इसमें सबसे अधिक 1 लाख 72 हजार 556 हैक्टेयर में मूंग और 1 लाख 6 हजार 493 हैक्टेयर में ज्वार की पैदावार की गई थी. लेकिन मानसून के साथ नही देने से खेतों में खड़ी फसल खराब हो गई. सबसे ज्यादा मूंग, ज्वार और बाजरा की फसल खराब हुई है. किसानों की माने तो इस बार मानसून की मार हर फसल पर रही है. लेकिन सबसे ज्यादा मूंग की फसल प्रभावित हुई है. खेतों में पूरी की पूरी फसलें खराब हुई है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

पाली. जिले में इस बार मानसून ने पूरी तरह से किसानों के साथ तो दगा ही की है। पहले तो मानसून ने देरी से दस्तक देकर किसानों की खेतों को नुकसान पहुंचाया। उसके बाद जब मानसून ने दस्तक दी तो किसानों के चेहरे पर हल्की सी राहत लौटी। लेकिन बारिश के पानी से उनकी फसलें अच्छी होगी। लेकिन इस बार मानसून ने अतिवृष्टि के कारण एक बार फिर किसानों को नुकसान पहुंचाया। इस बार किसानों के खेतों में खड़ी मूंग, ज्वार, तिल सहित कई फसलें हैं जिनमें लगभग 60 प्रतिशत से ज्यादा खराबा हुआ है। अभी किसानों के खेतों से फसलें निकलने का समय चल रहा है। और किसानों की मानें तो अब उनके खेतों से फसलों की बजाए सिर्फ पशुओं के लिए चारा निकल रहा है। अतिवृष्टि के कारण कई किसानों की फसलें खेतों में खड़ी खराब हो गई वहीं कई। फसलें बढ़त नहीं कर पाई ऐसे में उन पर बीज अंकुरित नहीं हो पाए और कई रोगों की चपेट में आने से फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई।


Body: पाली जिले में इस बार हुई अतिवृष्टि के चलते खेतों में खड़ी खरीफ की कई फसलें खराब हो गई है। इसके चलते जिले के किसानों की पैदावार पर 60 प्रतिशत तक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। सबसे अधिक नुकसान पाली और रोहट क्षेत्र में हुआ है। जहां ज्वार, बाजरा, मूंग व तिल की फसल 80 प्रतिशत तक खराब हो गई है। बाकी कई गांव में 30 से 40 प्रतिशत तक खरीफ की फसलों को नुकसान हुआ है।किसानों ने बड़े ही अरमानो से अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई की थी। लेकिन अब किसानों के खेतों से सिर्फ कचरा या पशुओं के लिए चारा ही निकल रहा है।




Conclusion:कृषि विभाग की ओर से खराबे को लेकर सर्वे कार्य भी लगभग पूरा किया जा चुका है। किसान खराबे को लेकर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। किसानों ने विभाग के लक्ष्य को देखते हुए पाली में 1 लाख 50 हजार 704 हैक्टेयर, बाली में 1 लाख 30 हजार 698 हैक्टेयर ओर सोजत में 2 लाख 10 हजार 478 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई की थी। इसमें सबसे अधिक 1 लाख 72 हजार 556 हैक्टेयर में मूंग और 1 लाख 6 हजार 493 हैक्टेयर में ज्वार की पैदावार की गई थी। लेकिन मानसून के साथ नही देने से खेतों में खड़ी फसल खराब हो गई। सबसे ज्यादा मूंग, ज्वार व बाजरा की फसल खराब हुई है। किसानों की माने तो इस बार मानसून की मार हर फसल पर रही है। लेकिन सबसे ज्यादा मूंग की फसल प्रभावित हुई है। खेतों में पूरी की पूरी फसलें खराब हुई है।



समाचार में पहली बाईट किसान पुखराज व दूसरी बाईट किसान कानाराम की है।
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