पाली. भाजपा की ओर से निर्दलीय नवनिर्वाचित पार्षद के रूप में शामिल किए गए रमेश बंजारा के परिजनों ने रविवार को कोतवाली थाने में उसके अपहरण का मामला दर्ज करवाया था. इस मामले के दर्ज होने के बाद में पाली की राजनीति में एक बार फिर से चर्चा में काफी तेज हो चुकी थी.
पुलिस ने भी इसे गंभीर मामला मानते हुए रमेश बंजारा को खोजने का कार्य शुरू कर दिया था और सोमवार सुबह उन्हें भाजपा की बाड़ाबंदी से लेकर पुलिस पाली लौट आई और उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया. हालांकि बात यहीं खत्म नहीं हुई. रमेश बंजारा ने परिजनों के पास आने के बाद कांग्रेस को अपना समर्थन दिया और कांग्रेस के बाड़ाबंदी में चले गए.
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दो दिनों तक चली इस राजनीति की सुर्खियों में शहरी सरकार को लेकर भी चर्चाएं काफी तेज हो गई. जहां लगातार पाली शहर में कांग्रेस द्वारा जोड़-तोड़ कर इस बार अपना बोर्ड बनाने का दावा किया जा रहा है. वहीं भाजपा भी अपना पूर्ण समर्थन जताते हुए इस बार अपना और अपना चेयरमैन बनाने के दावे लगातार कर रही है. गौरतलब है कि इस बार निकाय चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने टिकट वितरण प्रणाली से नाराज होकर कई बागी निर्दलीय चुनाव लड़े थे.
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इस बार पाली की 65 सीटों में से 14 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीत कर सामने आए थे. वहीं भाजपा को 29 पर कांग्रेस को 22 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में दोनों ही पार्टियों को अपना बोर्ड और अपना चेयरमैन बनाने के लिए इस बार निर्दलियों का सहारा लेना था. ऐसे में दोनों ही पार्टियों ने मतगणना के दूसरे दिन ही निर्दलिय पार्षदों की बाड़ाबंदी करना शुरू कर दिया था. रमेश बंजारा का सोमवार को एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें रमेश बंजारा ने अपनी मर्जी से भाजपा के बाड़ाबंदी में जाने की बात कही, लेकिन उसके बाद उन्होंने कहा कि उनका परिवार लगातार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है और वह बाड़ाबंदी में अपनी मर्जी से गए थे. अब अपनी मर्जी से कांग्रेस के साथ आए हैं और उनकी बाड़ाबंदी में शामिल है.