पाली. पिछले 6 दिनों से महापड़ाव पर बैठे किसानों का सब्र आखिर शुक्रवार को टूट गया और उन्होंने सांडेराव के रामदेव मंदिर में (Farmers blocked the national highway) बैठक के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर दिया. किसानों का आरोप है कि (Water distribution meeting of Jawai Dam) जवाई बांध की जल वितरण की बैठक हमेशा जवाई बांध डाक बंगले में होती है लेकिन इस बार प्रशासन ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए इसे पाली जिला मुख्यालय पर कर किसानों को नजरअंदाज किया है. इस कारण किसानों को आंदोलन करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि छह दिन तक शांतिपूर्ण आंदोलन कर हम प्रशासन से वार्ता का इंतजार करते रहे लेकिन उनकी मांगों को नहीं सुना गया. इस पर शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने का निर्णय लिया गया. किसानों के राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने से दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई. पुलिस प्रशासन लगातार वाहनों को डायवर्ट करने का प्रयास कर रहा है.
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गौरतलब है कि जवाई बांध पूरा भर जाने के साथ ही किसानों तथा प्रशासन के बीच विवाद शुरू हो गया. जहां किसान सिंचाई के लिए चार पाण के लिए 4300 एमसीएफटी पानी मांग रहे थे. जिला मुख्यालय पर संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में जवाई जल वितरण की बैठक हुई जिसका किसानों ने बहिष्कार करते उसमे भाग लेने से मना कर दिया. चार घंटे के इंतजार के बाद प्रशासन ने 4010 एमसीएफटी पानी किसानों के सिंचाई के लिए आरक्षित कर दिया. वहीं 3000 एमसीएफटी पानी पेयजल के लिए आरक्षित किया गया था.
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लेकिन किसान बैठक का जिला मुख्यालय पर करने का विरोध करते रहे और महापड़ाव डाल दिया. खास बात यह है कि जिस तरीके से जवाई बांध का जल वितरण किया गया है दोनों पक्ष भी इसी तरह का निर्णय चाहते थे, इसके बाद भी किसान इस बात से नाराज हैं कि बैठक पाली जिला मुख्यालय पर क्यों की गई. प्रशासनिक अधिकारी भी किसानों के रवैया को सही नहीं बता रहे. हुए कहा कि जितना पानी किसान मांग रहे थे उतना पानी सिंचाई के लिए आरक्षित कर दिया लेकिन उसके बावजूद महापड़ाव करना सही नहीं है. अगर किसी बात पर उन्हें ऐतराज है तो वह बैठक कर बताएं जिससे उसका समाधान किया जाए.