पाली. गली मोहल्लों में लोगों का मनोरंजन कर अपना पेट पालने वाले ये मदारी परिवार परेशान हैं. लॉकडाउन को 2 महीने पूरे होने वाले हैं. सभी शहरों में लोगों की आवाजाही बंद है. ऐसे में नाटक और करतब दिखाने वाले यह मदारी भी परेशान हैं. बेरोजगार मदारी अपने परिवार का पेट भी नहीं पाल पा रहे हैं.
खानाबदोश परिवारों की जिंदगी जी रहे इन परिवारों के पास किसी भी तरह के सरकारी कागजात भी नहीं हैं जिसकी वजह से इन्हें कोई सरकारी राहत भी नहीं मिल पा रही है. पाली शहर सीमा के बाहर 125 से ज्यादा परिवारों ने अपना डेरा डाल रखा है. यहां पर ज्यादातर ये लोग भामाशाहों द्वारा राहत सामग्री बाटे जाने की खबर सुनकर पहुंचे हैं.
पाली शहरी सीमा के बाहर डेरा डालकर बैठे मदारी समाज से आने वाले इन लोगों ने बताया कि, 125 से ज्यादा यह परिवार हैं जो जवाली गांव के रहने वाले हैं. इनके पास कोई भी राशन कार्ड या अन्य दस्तावेज नहीं है. यह लोग पाली जिले सहित आसपास के जिलों में घुमक्कड़ जीवन जीते हैं. वहां करतब दिखाकर जो मिलता है उससे अपना और अपने परिवार का ये लोग पेट पालते हैं.
लॉक डाउन होने के बाद यह लोग धीरे-धीरे कर पाली शहरी सीमा के बाहर आकर अपना डेरा डाल चुके हैं. लेकिन इनके पास कोई भी राहत अभी तक नहीं पहुंच पाई है. प्रत्येक परिवार में 5 से ज्यादा सदस्य हैं जिनमें मासूम बच्चों की संख्या ज्यादा है. इन लोगों का कहना है कि, रोजगार खत्म होने की वजह से अब ये लोग भूखे रहने के लिए मजबूर हैं. वहीं सरकारी की तरफ से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है.
राहगीरों से पैसे मांगने से भी नहीं कतराते:
हालत अब ये हैं कि, ये परिवार सूनी सड़कों से निकने वाले राहगीरों से पैसे मांगने से भी नहीं कतराते. इधर-उधर से मिले कुछ पैसे और खाद्य सामाग्री से अपने परिवार को जैसे-तैसे पाल रहे हैं. हलांकि इन परिवार का कहना है कि हम तक कुछ भामाशाह मदद के लिए पहुंच भी रहे हैं लेकिन उनके द्वारा की जा रही मदद पर्याप्त नहीं है.
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मदारी समाज के लोगों का कहना है कि, एक परिवार के लिए सिर्फ एक ही खाने का पैकेट दिया जाता है. इस पैकेट में 6 रोटी और सब्जी होती है जो कि पूरे परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है. अपने परिवारों को पालने के लिए इस समाज के लोगों को सरकार की तरफ से मदद की आस है और उम्मीद भी.