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चित्तौड़गढ़: किसानों के अरमानों पर मौसम ने फेरा पानी, तेज हवा और बढ़ते तापमान ने समय से पहले फसलों को सूखाया - चित्तौड़गढ़ का तापमान

चित्तौड़गढ़ में इस बार अफीम की बंपर पैदावार की उम्मीद थी. जिसपर अंतिम समय में मौसम के बदलते मिजाज से किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. अचानक मौसम में बदलाव मार्च में आया है. जब अफीम काश्तकार लुआई और चिराई के कार्यों में जुट गए हैं. साथ ही तेज हवा का दौर शुरू हो गया है. जिससे खेतों में खड़ी अफीम की फसल इधर से उधर गिर पड़ी है.

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किसानों के अरमानों पर मौसम ने फेरा पानी
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Published : Mar 15, 2021, 3:44 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले में इस बार अफीम की बंपर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन अंतिम समय में मौसम के धोखा देने से किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. दूसरी ओर सरकार की ओर से लाइसेंस काफी देर से जारी किए गए. नतीजन समय से पहले ही डोडे सूखते गए.

किसानों के अरमानों पर मौसम ने फेरा पानी

इस बीच अचानक तापमान में तेजी ने बाकी की उम्मीदों को भी धराशायी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जिसमें अधिकांश काश्तकार इस चिंता में हैं कि निर्धारित अफीम की पैदावार भी नहीं हो पाई.

ऐसे में सरकारी कोटे की पूर्ति कैसे कर पाएंगे. इसके अलावा मौसम में अचानक बदलाव मार्च के दिनों में आया है. जब अफीम काश्तकार लुआई और चिराई के कार्यों में जुट गए है. वहीं, अचानक तेज हवा का दौर शुरू हो गया है. जिससे खेतों में खड़ी अफीम की फसल इधर से उधर गिर पड़ी.

पढ़ें: राजस्थान विधानसभा : मंत्री ने माना कि नहीं खुले पशु चिकित्सालय, नंदी शालाओं को लेकर विपक्ष ने साधा निशाना

इससे गिरे हुए पौधों से अफीम लेना मुश्किल हो गया है. इसके 3 से 4 दिन बाद पत्ते सूखने के साथ पौधे भी सूखने लगे. काश्तकार शंकर लाल जाट के अनुसार जैसे ही ये लोग खेत में चिराई के लिए गए, अचानक हवा चलने लग गई.

जिससे न केवल पौधे एक दूसरे पर गिर गए बल्कि टूट भी गए. लगभग 20 फीसदी फसल आड़ी पड़ गई और देखते ही देखते सूख गई. हालत यह है कि सरकार की ओर से निर्धारित अफीम की पूर्ति भी मुश्किल दिखाई दे रही है.

चित्तौड़गढ़. जिले में इस बार अफीम की बंपर पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन अंतिम समय में मौसम के धोखा देने से किसानों के अरमानों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है. दूसरी ओर सरकार की ओर से लाइसेंस काफी देर से जारी किए गए. नतीजन समय से पहले ही डोडे सूखते गए.

किसानों के अरमानों पर मौसम ने फेरा पानी

इस बीच अचानक तापमान में तेजी ने बाकी की उम्मीदों को भी धराशायी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जिसमें अधिकांश काश्तकार इस चिंता में हैं कि निर्धारित अफीम की पैदावार भी नहीं हो पाई.

ऐसे में सरकारी कोटे की पूर्ति कैसे कर पाएंगे. इसके अलावा मौसम में अचानक बदलाव मार्च के दिनों में आया है. जब अफीम काश्तकार लुआई और चिराई के कार्यों में जुट गए है. वहीं, अचानक तेज हवा का दौर शुरू हो गया है. जिससे खेतों में खड़ी अफीम की फसल इधर से उधर गिर पड़ी.

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इससे गिरे हुए पौधों से अफीम लेना मुश्किल हो गया है. इसके 3 से 4 दिन बाद पत्ते सूखने के साथ पौधे भी सूखने लगे. काश्तकार शंकर लाल जाट के अनुसार जैसे ही ये लोग खेत में चिराई के लिए गए, अचानक हवा चलने लग गई.

जिससे न केवल पौधे एक दूसरे पर गिर गए बल्कि टूट भी गए. लगभग 20 फीसदी फसल आड़ी पड़ गई और देखते ही देखते सूख गई. हालत यह है कि सरकार की ओर से निर्धारित अफीम की पूर्ति भी मुश्किल दिखाई दे रही है.

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