बाली (पाली). देसूरी थानांतर्गत सारंगवास ग्राम में प्रशासन ने 6 जेसीबी और भारी पुलिस जाब्ते के साथ भैरूजी मंदिर और श्वान प्रतिमा हटाने की कार्रवाई को अंजाम दिया है. बताया जा रहा है कि इस दौरान अधिकारियों ने मंदिर की पूजा-अर्चना भी की. बता दें कि प्रशासन ने यह कार्रवाई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद की है. न्यायालय ने इस पर कार्रवाई के लिए 12 जुलाई तक समय दिया था.
प्रशासन ने किसी प्रकार के विवाद से बचने के लिए इस कार्रवाई को मंगलवार सुबह चार बजे अंजाम दिया. इसके लिए आसपास के छह थानों की पुलिस जाब्ता बुलाया गया था. वहीं सुबह ग्रामीणों की नींद खुली तो मंदिर और श्वान प्रतिमा सहित अन्य निर्माण ध्वस्त मिले. पिछले कुछ वर्षों पूर्व ही ग्रामीणों ने धूमधाम से नदी में भैरुजी मंदिर और श्वान प्रतिमा प्रतिष्ठित की थी, लेकिन खेतलाजी मंदिर के पुजारियों ने इसके विरोध में उतर आए और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
वहीं सारंगवास निवासी रणजीतसिंह राजपुरोहित ने नदी में अवैध अतिक्रमण को हटाने को लेकर याचिका दायर कर दी. इसको लेकर पुजारियों और ग्रामीणों के बीच विवाद शुरू हो गया. वहीं न्यायालय द्वारा अतिक्रमण हटाने की निर्धारित अवधि नजदीक देख प्रशासन ने इस कार्रवाई को रात को ही करना तय किया और किसी को भनक तक नहीं लगने दी. गोपनीय रूप से खिंवाड़ा की आधा दर्जन जेसीबी और ट्रैक्टरों को सोमवार की रात को ही देसूरी थाने में इकट्ठा कर लिया. उसके बाद पुलिस के सौ जवानों का जाब्ता तैनात कर सारंगवास के सारे रास्ते बेरिकेड्स लगाकर कर बंद कर दिए गए.
रात करीब 2.30 बजे देसूरी तहसीलदार माधोराम पुरोहित, एसएचओ भंवरसिंह जाखड़ मय पुलिस जाब्ता, आरआई मोहनलाल मेघवाल कार्मिकों के साथ जेसीबी और ट्रैक्टर लेकर सारंगवास नदी पहुंचे. मंदिर पर जेसीबी चलाने से पहले तहसीलदार और थानाधिकारी ने रिक्तिया भैरूजी मंदिर में पूजा-अर्चना की. उसके बाद आधा दर्जन जेसीबी मशीनों ने मंदिर को ध्वस्त करना शुरू किया. मंदिर में स्थापित रिक्तिया भैरूजी और श्वान की प्रतिमा को रात के अंधेरे में ट्रैक्टर के माध्यम से थाने में पहुंचा दिया गया.
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यह कार्रवाई तब अंजाम दी गई, जब सारा गांव सो रहा था. सुबह लोगों ने देखा कि जेसीबी ने निर्माण कार्य तोड़ दिए हैं और आने-जाने के सारे रास्तों पर बेरिकेडिंग लगा रखे हैं. जगह-जगह पुलिस तैनात है, जो ग्रामीणों को मौके पर जाने से रोक रही है. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सुबह 9 बजे तक चली.
पुजारी परिवार के कुछ सदस्यों और ग्रामीणों के बीच इस विवाद के चलते न्यायालय के आदेश पर हुई प्रशासन की इस कार्रवाई से खेतलाजी ट्रस्ट कमेटी की करीब एक करोड़ लागत की अचल सम्पति नष्ट हो गई है. इसी नदी में खेतलाजी तीर्थधाम के श्रद्धालुओं की सुविधार्थ ट्रस्ट की ओर से लाखों की राशि खर्च कर सार्वजनिक शौचालय और धर्मशाला के रूप में कमरों का निर्माण करा रखा था. पर्यटन विभाग ने भी गोड़वाड़ महोत्सव के आयोजन के लिए रंगमंच का निर्माण करवाया था, जो जेसीबी से तोड़ दिए गए हैं.