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स्पेशल: पाली के कपड़ा उद्योग पर मंडरा रहा 'संकट', श्रमिकों के पलायन सहित कई समस्याएं

लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार की ओर से कुछ बाजारों और उद्योगों की भले ही खोलने की अनुमति मिल गई हो. लेकिन पाली के कपड़ा इकाइयों पर अभी भी संकट से बादल मंडरा रहे हैं. श्रमिकों के पलायन और कच्चे माल की सप्लाई सहित अन्य समस्या के अलावा, जो नियम प्रशासन की ओर से बताए गए हैं. उन्हें उद्यमी पूरा नहीं कर सकते. जिसके चलते ज्यादातर उद्यमियों ने कपड़ा इकाइयों को बंद रखने का फैसला लिया है.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग
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Published : May 8, 2020, 3:42 PM IST

पाली. लॉकडाउन 3.0 में सरकार की ओर से बाजार और उद्योगों को खोलने की अनुमति दी गई. जिसके बाद पाली का कपड़ा उद्योग एक बार फिर से दौड़ने की उम्मीद लगाने लगा. लेकिन प्रशासन की ओर से बनाए गए नियमों और पाली से पलायन कर चुके श्रमिकों के चलते कपड़ा उद्योग की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

कपड़ा उद्योग पर मंडरा रहा 'संकट'

पाली में संचालित होने वाली 600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों के लिए ना ही पर्याप्त रॉ मैटेरियल पहुंच सकता है और ना ही कपड़े को तैयार करने के लिए इकाइयों के पास उपयुक्त श्रमिक हैं. ऐसे में उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है. पिछले डेढ़ माह से कपड़ा इकाइयां पूरी तरह से बंद पड़ी है.

कई उद्यमियों ने लॉकडाउन से पहले करोड़ों रुपये का कपड़ा तैयार कर रखा था. लेकिन लॉकडाउन के चलते सारा माल इकाइयों में ही पड़ा है. ऐसे में इन कपड़ा उद्यमियों पर आर्थिक संकट का भार भी बढ़ने लगा है. कपड़ा उद्योग को शुरू करने को लेकर प्रशासन सरकार और जनप्रतिनिधियों के साथ उद्यमियों ने कई बार बैठक की. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जो सरकार की ओर से नियम बनाए गए हैं. उन नियमों को कपड़ा उद्यमी पूरा नहीं कर सकते है.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: होटल कारोबार पर मंदी के 'बादल', संकट में हजारों नौकरियां

जिसके चलते अब पाली में कपड़ा उद्योग शुरू करने में भी खासा समय लग सकता है. हालांकि कपड़ा उद्योग की हुई बैठक में 26 इकाइयों के संचालकों ने कपड़ा उद्योग को शुरू करने में हामी भरी है. लेकिन पाली में 600 से ज्यादा कपड़ा इकाई है और इन सभी को शुरू होने में समय लगेगा.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
काम करते श्रमिक

क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध है पाली का कपड़ा

पाली में 653 कपड़ा इकाइयां संचालित होती है. यहां का कपड़ा विश्व में अपनी क्वालिटी के लिए काफी प्रसिद्ध है. पाली में सूती कपड़े पर रंगाई छपाई का काम होता है. जिसे भारत के साथ ही विश्व के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है. इन कपड़े को तैयार करने के लिए पाली की इन कपड़ा इकाइयों में लगभग 40 से 50 हजार श्रमिक दिन-रात कार्य करते हैं.

पाली सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार सहित कई प्रदेशों के श्रमिक अपने हुनर से यहां पर सूती कपड़े पर रंगाई छपाई करते हैं. जिसकी सुंदरता पाली में ही नजर आती है. लॉकडाउन के बाद कुछ समय तक कपड़ा इकाई संचालकों ने अपने श्रमिकों को अपनी इकाइयों में ही बैठाए रखा.

पलायन कर गए श्रमिक

कोरोना संकट की भयावह स्थिति को देखते हुए कपड़ा इकाई संचालकों ने अपने श्रमिकों को भी अपने प्रदेशों में जाने के लिए कह दिया. वहीं, अन्य श्रमिक भी इस भयावह स्थिति को देखते हुए अपने घरों की ओर पलायन करने लगे. वर्तमान में स्थिति यह है कि इन कपड़ा इकाइयों को संचालित करने के लिए प्रशासन ने पाली के ही स्थानीय श्रमिकों से कार्य निकालने के लिए कहा है.

ये भी पढ़ें- Special: Corona ने तोड़ी पुष्कर पर्यटन उद्योग की कमर, होटल इंडस्ट्री को करीब 70 करोड़ का नुकसान

लॉकडाउन के थर्ड फेज शुरू होने के बाद सरकार ने कपड़ा उद्योग सहित कई उद्योगों को शुरू करने के लिए राहत दी थी. इसी को लेकर पाली के कपड़ा उद्यमियों की बैठक भी हुई. लेकिन आर्थिक पक्ष और श्रमिकों की कमी को देखते हुए ज्यादातर कपड़ा उद्यमियों ने अपने कपड़े इकाइयों को बंद रखना ही उचित समझा है. ऐसे में पाली के हजारों श्रमिकों के लिए यह दुख भरी खबर है और कपड़ा उद्योग के लिए संकट का विषय.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
कपड़ा उद्योग में लगी मशीनें

तकनीकी कार्य के लिए श्रमिकों की आवश्यकता

जिले में संचालित हो रहे सीईटीपी फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि पाली में स्थानीय श्रमिकों के साथ कई प्रदेशों के श्रमिक काम करते हैं. यहां कपड़े की रंगाई छपाई करने में कई तकनीकी श्रमिकों की भी आवश्यकता होती है. इसके तहत अलग-अलग प्रदेशों के श्रमिक अलग-अलग तकनीकी से कार्य करते हैं. ऐसे में सभी की आवश्यकता इन कपड़ा इकाइयों में होती है.

लेकिन लॉकडाउन के बाद प्रदेश की सीमाएं सील हैं और दूसरे राज्य के श्रमिकों को यहां लाया नहीं जा सकता. इसके चलते कपड़ा इकाइयों में कहीं तकनीकी कार्य नहीं हो पाएंगे और स्थानीय श्रमिकों के बलबूते पर कपड़े और अन्य सभी कार्य नहीं किए जा सकते.

उद्यमियों के सामने माल बेचने की समस्या

कपड़ा इकाइयों को शुरू करने को लेकर सभी उद्यमियों की बैठक हुई. जहां ये बात भी हुई कि सरकार ने सिर्फ आवश्यक कार्यों के लिए ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था शुरू की है. जिसके चलते इन कपड़ा इकाइयों में महाराष्ट्र, पुणे सहित अन्य स्थानों से आने वाला रॉ मैटेरियल नहीं पहुंच पाएगा.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
कपड़ा उद्यमियों पर आर्थिक संकट

ये भी पढ़ें-स्पेशल: पर्यटन उद्योग पर Corona की मार, अब देसी पावणों पर फोकस करेगी सरकार

वहीं, अगर यह रॉ मैटेरियल यहां पहुंच भी गया तो उधमी उससे माल तैयार करने के बाद कहां बेचेंगे. इस वक्त कोरोना महामारी के चलते देश भर में स्थिति भयावह रूप ले चुकी है. प्रदेश के कई हिस्सों में अभी भी कर्फ्यू जैसे हालात है, बाजार खुल नहीं रहे. जिसके चलते कपड़ा इकाइयों को शुरू करने पर उद्यमियों को भारी आर्थिक संकट से जूझना पड़ेगा.

नियमों को भी पूरा नहीं कर सकते उधमी

सीईटीपी के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रशासन की ओर से पाली की कपड़ा इकाइयों को शुरू करने के लिए हामी तो भर दी गई है. लेकिन प्रशासन की ओर से इन कपड़ा इकाइयों के लिए, जो नियम बनाए गए हैं. वह नियम उद्यमी कभी भी पूरा नहीं कर पाएंगे. पाली में कोरोना संकट के चलते कई इलाकों को बफर जोन घोषित किया गया है.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
पाली कपड़ा उद्योग में नहीं होगा काम

वहीं, इन बफर जोन में या तो कपड़ा इकाइयां शामिल हैं या तो कुछ ऐसे स्थान जहां से इनमें काम करने वाले श्रमिक आते हैं. प्रशासन ने कपड़ा इकाई संचालकों को अपने श्रमिकों के पास बनाने के लिए कहा है. जिसके चलते हजारों की संख्या में श्रमिकों के पास बनाना भी उद्यमियों के सामने एक बड़ा संकट है.

ये भी पढ़ें- संकट की घड़ी में उद्योगों को देंगे संबल, निवेशकों के लिए बनाएंगे टास्क फोर्स : CM गहलोत

इसके अलावा इन सभी श्रमिकों को सुबह 7 से शाम 5 बजे तक ही कार्य करने के आदेश हैं. जहां भी कपड़ा इकाइयां संचालित हो रही हैं वहां किसी भी प्रकार का यातायात संचालित नहीं होगा और ना ही वहां पर किसी भी प्रकार की कैंटीन, चाय या होटल शुरू होंगे. ऐसे में श्रमिकों के लिए यह भी काफी संकट भरा समय रहेगा. इस वक्त कुछ इकाइयों ने काम शुरू करने के हामी भरी है. लेकिन नियमों को देखते हुए पाली के ज्यादातर उद्यमियों ने अपनी कपड़ा इकाई बंद रखने का फैसला किया है.

पाली. लॉकडाउन 3.0 में सरकार की ओर से बाजार और उद्योगों को खोलने की अनुमति दी गई. जिसके बाद पाली का कपड़ा उद्योग एक बार फिर से दौड़ने की उम्मीद लगाने लगा. लेकिन प्रशासन की ओर से बनाए गए नियमों और पाली से पलायन कर चुके श्रमिकों के चलते कपड़ा उद्योग की उम्मीदों पर पानी फिर गया.

कपड़ा उद्योग पर मंडरा रहा 'संकट'

पाली में संचालित होने वाली 600 से ज्यादा कपड़ा इकाइयों के लिए ना ही पर्याप्त रॉ मैटेरियल पहुंच सकता है और ना ही कपड़े को तैयार करने के लिए इकाइयों के पास उपयुक्त श्रमिक हैं. ऐसे में उद्यमियों के माथे पर चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है. पिछले डेढ़ माह से कपड़ा इकाइयां पूरी तरह से बंद पड़ी है.

कई उद्यमियों ने लॉकडाउन से पहले करोड़ों रुपये का कपड़ा तैयार कर रखा था. लेकिन लॉकडाउन के चलते सारा माल इकाइयों में ही पड़ा है. ऐसे में इन कपड़ा उद्यमियों पर आर्थिक संकट का भार भी बढ़ने लगा है. कपड़ा उद्योग को शुरू करने को लेकर प्रशासन सरकार और जनप्रतिनिधियों के साथ उद्यमियों ने कई बार बैठक की. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जो सरकार की ओर से नियम बनाए गए हैं. उन नियमों को कपड़ा उद्यमी पूरा नहीं कर सकते है.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: होटल कारोबार पर मंदी के 'बादल', संकट में हजारों नौकरियां

जिसके चलते अब पाली में कपड़ा उद्योग शुरू करने में भी खासा समय लग सकता है. हालांकि कपड़ा उद्योग की हुई बैठक में 26 इकाइयों के संचालकों ने कपड़ा उद्योग को शुरू करने में हामी भरी है. लेकिन पाली में 600 से ज्यादा कपड़ा इकाई है और इन सभी को शुरू होने में समय लगेगा.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
काम करते श्रमिक

क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध है पाली का कपड़ा

पाली में 653 कपड़ा इकाइयां संचालित होती है. यहां का कपड़ा विश्व में अपनी क्वालिटी के लिए काफी प्रसिद्ध है. पाली में सूती कपड़े पर रंगाई छपाई का काम होता है. जिसे भारत के साथ ही विश्व के कई हिस्सों में पसंद किया जाता है. इन कपड़े को तैयार करने के लिए पाली की इन कपड़ा इकाइयों में लगभग 40 से 50 हजार श्रमिक दिन-रात कार्य करते हैं.

पाली सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार सहित कई प्रदेशों के श्रमिक अपने हुनर से यहां पर सूती कपड़े पर रंगाई छपाई करते हैं. जिसकी सुंदरता पाली में ही नजर आती है. लॉकडाउन के बाद कुछ समय तक कपड़ा इकाई संचालकों ने अपने श्रमिकों को अपनी इकाइयों में ही बैठाए रखा.

पलायन कर गए श्रमिक

कोरोना संकट की भयावह स्थिति को देखते हुए कपड़ा इकाई संचालकों ने अपने श्रमिकों को भी अपने प्रदेशों में जाने के लिए कह दिया. वहीं, अन्य श्रमिक भी इस भयावह स्थिति को देखते हुए अपने घरों की ओर पलायन करने लगे. वर्तमान में स्थिति यह है कि इन कपड़ा इकाइयों को संचालित करने के लिए प्रशासन ने पाली के ही स्थानीय श्रमिकों से कार्य निकालने के लिए कहा है.

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लॉकडाउन के थर्ड फेज शुरू होने के बाद सरकार ने कपड़ा उद्योग सहित कई उद्योगों को शुरू करने के लिए राहत दी थी. इसी को लेकर पाली के कपड़ा उद्यमियों की बैठक भी हुई. लेकिन आर्थिक पक्ष और श्रमिकों की कमी को देखते हुए ज्यादातर कपड़ा उद्यमियों ने अपने कपड़े इकाइयों को बंद रखना ही उचित समझा है. ऐसे में पाली के हजारों श्रमिकों के लिए यह दुख भरी खबर है और कपड़ा उद्योग के लिए संकट का विषय.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
कपड़ा उद्योग में लगी मशीनें

तकनीकी कार्य के लिए श्रमिकों की आवश्यकता

जिले में संचालित हो रहे सीईटीपी फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने बताया कि पाली में स्थानीय श्रमिकों के साथ कई प्रदेशों के श्रमिक काम करते हैं. यहां कपड़े की रंगाई छपाई करने में कई तकनीकी श्रमिकों की भी आवश्यकता होती है. इसके तहत अलग-अलग प्रदेशों के श्रमिक अलग-अलग तकनीकी से कार्य करते हैं. ऐसे में सभी की आवश्यकता इन कपड़ा इकाइयों में होती है.

लेकिन लॉकडाउन के बाद प्रदेश की सीमाएं सील हैं और दूसरे राज्य के श्रमिकों को यहां लाया नहीं जा सकता. इसके चलते कपड़ा इकाइयों में कहीं तकनीकी कार्य नहीं हो पाएंगे और स्थानीय श्रमिकों के बलबूते पर कपड़े और अन्य सभी कार्य नहीं किए जा सकते.

उद्यमियों के सामने माल बेचने की समस्या

कपड़ा इकाइयों को शुरू करने को लेकर सभी उद्यमियों की बैठक हुई. जहां ये बात भी हुई कि सरकार ने सिर्फ आवश्यक कार्यों के लिए ट्रांसपोर्टेशन व्यवस्था शुरू की है. जिसके चलते इन कपड़ा इकाइयों में महाराष्ट्र, पुणे सहित अन्य स्थानों से आने वाला रॉ मैटेरियल नहीं पहुंच पाएगा.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
कपड़ा उद्यमियों पर आर्थिक संकट

ये भी पढ़ें-स्पेशल: पर्यटन उद्योग पर Corona की मार, अब देसी पावणों पर फोकस करेगी सरकार

वहीं, अगर यह रॉ मैटेरियल यहां पहुंच भी गया तो उधमी उससे माल तैयार करने के बाद कहां बेचेंगे. इस वक्त कोरोना महामारी के चलते देश भर में स्थिति भयावह रूप ले चुकी है. प्रदेश के कई हिस्सों में अभी भी कर्फ्यू जैसे हालात है, बाजार खुल नहीं रहे. जिसके चलते कपड़ा इकाइयों को शुरू करने पर उद्यमियों को भारी आर्थिक संकट से जूझना पड़ेगा.

नियमों को भी पूरा नहीं कर सकते उधमी

सीईटीपी के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रशासन की ओर से पाली की कपड़ा इकाइयों को शुरू करने के लिए हामी तो भर दी गई है. लेकिन प्रशासन की ओर से इन कपड़ा इकाइयों के लिए, जो नियम बनाए गए हैं. वह नियम उद्यमी कभी भी पूरा नहीं कर पाएंगे. पाली में कोरोना संकट के चलते कई इलाकों को बफर जोन घोषित किया गया है.

बंद रहेगा पाली का कपड़ा उद्योग,  Poly textile industry closed
पाली कपड़ा उद्योग में नहीं होगा काम

वहीं, इन बफर जोन में या तो कपड़ा इकाइयां शामिल हैं या तो कुछ ऐसे स्थान जहां से इनमें काम करने वाले श्रमिक आते हैं. प्रशासन ने कपड़ा इकाई संचालकों को अपने श्रमिकों के पास बनाने के लिए कहा है. जिसके चलते हजारों की संख्या में श्रमिकों के पास बनाना भी उद्यमियों के सामने एक बड़ा संकट है.

ये भी पढ़ें- संकट की घड़ी में उद्योगों को देंगे संबल, निवेशकों के लिए बनाएंगे टास्क फोर्स : CM गहलोत

इसके अलावा इन सभी श्रमिकों को सुबह 7 से शाम 5 बजे तक ही कार्य करने के आदेश हैं. जहां भी कपड़ा इकाइयां संचालित हो रही हैं वहां किसी भी प्रकार का यातायात संचालित नहीं होगा और ना ही वहां पर किसी भी प्रकार की कैंटीन, चाय या होटल शुरू होंगे. ऐसे में श्रमिकों के लिए यह भी काफी संकट भरा समय रहेगा. इस वक्त कुछ इकाइयों ने काम शुरू करने के हामी भरी है. लेकिन नियमों को देखते हुए पाली के ज्यादातर उद्यमियों ने अपनी कपड़ा इकाई बंद रखने का फैसला किया है.

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