सुमेरपुर (पाली). क्षेत्र के कानपूरा गांव में बीते रविवार को कुएं में कार्य करते वक्त दो मजदूर मिट्टी ढहने से कुएं के अंदर धंस गए थे. एक मजदूर ने तो किसी तरह अपनी जान बचा ली, वहीं दूसरा मजदूर कुएं में धंस गया. ऐसे में इस घटना के पांच दिन बीतने के बाद भी अबतक प्रशासन मृतक के शव को कुएं से बाहर नहीं निकाल पाई है.
प्रशासन ने अपने हाथ खड़े कर लिए है. जिसके बाद प्रशासन और मीणा समाज के लोगों के बीच में मृतक के परिजनों को मुआवजे दिलवाने पर समझौता हुआ और परिजन बिना मृतक का शव लिए अपने घर की ओर रवाना हुए.
जानकारी के अनुसार कानपुरा के समीप ईश्वरसिंह कृषि कुआं है. गत 27 सितंबर को यहां पर कुएं का निर्माण करते वक्त मिट्टी ढहने से शिवगंज तहसील के जोगापुरा गांव निवासी श्रमिक मूपाराम और गोमाराम दोनों दब गए थे. इस दौरान गोमाराम तो रस्सी पकड़कर बाहर आ गया, लेकिन मूपाराम डोले में होने के कारण मिट्टी में दब गया.
शव को बाहर निकालने के लिए प्रयास किए गए. एसडीआरएफ की टीम और भीलवाड़ा से एक्सपर्ट को बुलाया गया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. हैरत की बात तो यह है कि 5 दिन के ऑपरेशन के दौरान जमींदोज हुए एक इंसान को जिंदा या मृत बाहर निकालने के लिए कलेक्टर को मौके पर जाने की फुर्सत ही नहीं मिली. जबकि देश में जब भी इस तरह के मामले होते हैं, प्रशासन पूरे लाव-लश्कर के साथ मौजूद दिखता है.
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200 फीट गहरे बोरवेल से किसी को निकाला जा सकता है तो 80 फीट गहरे कुएं से कैसे हार गया प्रशासन
देश के कई हिस्सों में खुले बोरवेल में गिरने से कई बच्चों को बाहर निकाला गया. पांच से सात दिन के लंबे ऑपरेशन के बाद कई बच्चों को बचाया भी गया. तमिलनाडु के तिरची में बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने में 90 घंटे लगे. वहां के सीएम खुद भी रेस्क्यू टीम को लेकर पहुंचे थे. इसी प्रकार संगरूर के सुनम गांव में बच्चे के शव को 109 घंटे बाद निकाला गया. जबकि कानपुरा गांव में कुआं महज 70 से 80 फीट ही गहरा है, जिसमें से भी शव नहीं निकाल पाए.