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पाली के कपड़ा उद्योग को मिली नई उम्मीद, जेडएलडी के लिए 100 करोड़ स्वीकृत

पाली के कपड़ा उद्योग को एक बार फिर से नई दिशा मिल गई है. शहर में संचालित हो रही 600 से ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाले रंगीन पानी को ट्रीट करने के लिए 'जीरो लिक्विड डिसचार्ज प्रोजेक्ट' लगाने की बात कही गई थी, जिसे लगाने के लिए 2 साल बाद कपड़ा मंत्रालय ने फिर से मंजूरी दे दी है.

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Published : Oct 16, 2019, 3:07 PM IST

पाली. जिले में कपड़ा उद्योगों को 'जीरो लिक्विड डिसचार्ज प्रोजेक्ट' को लगाने की मंजूरी मिल गई है. मंगलवार को दिल्ली में हुई पीएसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद कपड़ा उद्योग और उद्यमियों में एक बार फिर नई उम्मीद की लहर छा गई है. अब जल्दी ही प्लांट लगाने को लेकर सीईटीपी फाउंडेशन और उद्यमियों को अपने हिस्से के 25 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे.

पाली कपड़ा उद्योग के लिए 100 करोड़ की राशि स्वीकृत

कपड़ा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा आईपीडीएस योजना के तहत 100 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन इसमें 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का और 25 प्रतिशत राज्य सरकार को देना था. साथ ही 25 प्रतिशत हिस्सा उद्यमियों को देना था. सरकार की ओर से मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की राशि को लेकर मना कर दिया था.

पढे़ं- पाली: नवनिर्मित पंचायत भवन का लोकार्पण

गौरतलब है कि पहले ट्रीटमेंट प्लांट 6 में जेडएलडी प्लांट लगाने की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन दो साल पहले एनजीटी ने सभी संयंत्रों को टरसरी पर संचालित करने की अनुमति दे दी थी. इस पर सीईटीपी ने प्लांट अपग्रेडेशन का कार्य रोक दिया था. इसके चलते कपड़ा मंत्रालय ने भी इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी. अब फिर से एनजीटी के निर्देश पर संयंत्रों को जल्दी में अपग्रेड करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसी के तहत केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

पाली. जिले में कपड़ा उद्योगों को 'जीरो लिक्विड डिसचार्ज प्रोजेक्ट' को लगाने की मंजूरी मिल गई है. मंगलवार को दिल्ली में हुई पीएसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद कपड़ा उद्योग और उद्यमियों में एक बार फिर नई उम्मीद की लहर छा गई है. अब जल्दी ही प्लांट लगाने को लेकर सीईटीपी फाउंडेशन और उद्यमियों को अपने हिस्से के 25 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे.

पाली कपड़ा उद्योग के लिए 100 करोड़ की राशि स्वीकृत

कपड़ा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा आईपीडीएस योजना के तहत 100 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन इसमें 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का और 25 प्रतिशत राज्य सरकार को देना था. साथ ही 25 प्रतिशत हिस्सा उद्यमियों को देना था. सरकार की ओर से मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की राशि को लेकर मना कर दिया था.

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गौरतलब है कि पहले ट्रीटमेंट प्लांट 6 में जेडएलडी प्लांट लगाने की प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन दो साल पहले एनजीटी ने सभी संयंत्रों को टरसरी पर संचालित करने की अनुमति दे दी थी. इस पर सीईटीपी ने प्लांट अपग्रेडेशन का कार्य रोक दिया था. इसके चलते कपड़ा मंत्रालय ने भी इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी. अब फिर से एनजीटी के निर्देश पर संयंत्रों को जल्दी में अपग्रेड करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसी के तहत केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

Intro:पाली. पाली के कपड़ा उद्योग को एक बार फिर से नई दिशा मिल गई है। पाली शहर में संचालित हो रही 600 से ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाले रंगीन पानी को ट्रीट करने के लिए जीरो लिक्विड डिसचार्ज प्रोजेक्ट को लगाने के लिए 2 साल बाद कपड़ा मंत्रालय ने फिर से मंजूरी दे दी है। मंगलवार को दिल्ली में हुई पीएसी की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिलने के बाद पाली के कपड़ा उद्योग और उद्यमियों में एक बार फिर नहीं उम्मीद की लहर छा गई है। अब जल्दी ही प्लांट लगाने को लेकर सीईटीपी फाउंडेशन व उधमियों को अपने हिस्से के 25 करोड़ रुपए जमा कराने होंगे।


Body:कपड़ा मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा आईपीडीएस योजना के तहत 100 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी। इसमें 50 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार का और 25 प्रतिशत राज्य सरकार व 25 प्रतिशत हिस्सा उधमियों को देना था। सरकार की ओर से मंजूरी देने के बाद केंद्र सरकार द्वारा अपने हिस्से की राशि को लेकर मामला अटक रहा था। हालांकि पूर्व में ट्रीटमेंट प्लांट 6 में जेडएलदी प्लांट लगाने को लेकर प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन दो साल पहले एनजीटी ने सभी संयंत्रों को टरसरी पर संचालित करने की अनुमति देदी थी। इस पर सीईटीपी ने प्लांट अपग्रेडेशन का कार्य रोक दिया था। इसके चलते कपड़ा मंत्रालय ने भी इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी। अब फिर से एनजीटी के निर्देश पर संयंत्रों को जल्दी में अपग्रेड करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसी के तहत केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।


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