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नागौरः डेह को पंचायत समिति का दर्जा देने की मांग फिर तेज, 47 गांवों के लोगों को मिलेगा फायदा - opposition to Nagaur committee

प्रदेश में पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन और ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया के बीच डेह को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. ग्रामीणों का कहना है, कि उनकी 7 साल पुरानी मांग पर सरकार गंभीरता से फैसला ले तो 47 गांवों के लोगों को फायदा होगा.

नागौर डेह पंचायत समिति,  Nagaur news
डेह को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे ग्रामीण
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Published : Nov 30, 2019, 6:57 PM IST

नागौर. जिले की जायल पंचायत समिति के करीब 47 गांवों के लोगों की मांग है कि डेह को नई पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिले. इसके पीछे उनका तर्क ये है कि उनके गांव से जायल का सीधा जुड़ाव नहीं है. तहसील या पंचायत समिति में किसी काम से जाने पर पूरा दिन लग जाता है. इससे उनका समय खराब होता है. जबकि डेह को पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिलने के बाद किसी भी काम के लिए उनके समय और धन की बचत होगी.

डेह को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे ग्रामीण

प्रदेश में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन के बीच अब इन ग्रामीणों ने फिर से अपनी मांग तेज कर दी है.डेह तहसील निर्माण के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के संयोजक बीरबल कमेडिया का कहना है कि डेह में फिलहाल उप तहसील कार्यालय है. जहां 47 गांवों का राजस्व संबंधी काम हो रहा है.

यह भी पढ़ें- मावठ के बाद उदयपुर में फिर बदला मौसम का मिजाज, 12 डिग्री सेल्सियस पहुंचा तापमान

इसके अलावा सभी विभागों के कार्यालय भी हैं. उनका कहना है कि पंचायत समिति या तहसील संबंधी किसी भी काम के लिए जायल जाना पड़ता है, जबकि सीमावर्ती गांवों से जायल आने-जाने में पूरा दिन लग जाता है.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले सात साल से डेह को पंचायत समिति और तहसील के दर्जा दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में उनकी मांग पर सरकार गौर करे तो 47 गांवों के लोगों का भला हो सकता है.

नागौर. जिले की जायल पंचायत समिति के करीब 47 गांवों के लोगों की मांग है कि डेह को नई पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिले. इसके पीछे उनका तर्क ये है कि उनके गांव से जायल का सीधा जुड़ाव नहीं है. तहसील या पंचायत समिति में किसी काम से जाने पर पूरा दिन लग जाता है. इससे उनका समय खराब होता है. जबकि डेह को पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिलने के बाद किसी भी काम के लिए उनके समय और धन की बचत होगी.

डेह को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे ग्रामीण

प्रदेश में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन के बीच अब इन ग्रामीणों ने फिर से अपनी मांग तेज कर दी है.डेह तहसील निर्माण के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के संयोजक बीरबल कमेडिया का कहना है कि डेह में फिलहाल उप तहसील कार्यालय है. जहां 47 गांवों का राजस्व संबंधी काम हो रहा है.

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इसके अलावा सभी विभागों के कार्यालय भी हैं. उनका कहना है कि पंचायत समिति या तहसील संबंधी किसी भी काम के लिए जायल जाना पड़ता है, जबकि सीमावर्ती गांवों से जायल आने-जाने में पूरा दिन लग जाता है.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले सात साल से डेह को पंचायत समिति और तहसील के दर्जा दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में उनकी मांग पर सरकार गौर करे तो 47 गांवों के लोगों का भला हो सकता है.

Intro:प्रदेश में पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन और ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया के बीच डेह को पंचायत समिति का दर्जा दिलाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सात साल पुरानी इस मांग पर सरकार गंभीरता से फैसला ले तो 47 गांवों के लोगों को फायदा होगा।


Body:नागौर. जिले की जायल पंचायत समिति के करीब 47 गांवों के लोगों की मांग है कि डेह को नई पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिले। इसके पीछे उनका तर्क यह है कि उनके गांव से जायल का सीधा जुड़ाव नहीं है। तहसील या पंचायत समिति में किसी काम से जाने पर पूरा दिन लग जाता है। इससे उनका समय खराब होता है। जबकि डेह को पंचायत समिति और तहसील का दर्जा मिलने के बाद किसी भी काम के लिए उनके समय और धन की बचत होगी। प्रदेश में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और पंचायत समितियों के पुनर्सीमांकन के बीच अब इन ग्रामीणों ने फिर से अपनी मांग तेज कर दी है।
डेह तहसील निर्माण के लिए चलाए जा रहे आंदोलन के संयोजक बीरबल कमेडिया का कहना है कि डेह में फिलहाल उप तहसील कार्यालय है। जहां 47 गांवों का राजस्व संबंधी काम हो रहा है। इसके अलावा सभी विभागों के कार्यालय भी हैं। उनका कहना है कि पंचायत समिति या तहसील संबंधी किसी भी काम के लिए जायल जाना पड़ता है। जबकि सीमावर्ती गांवों से जायल आने-जाने में पूरा दिन लग जाता है।


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले सात साल से डेह को पंचायत समिति और तहसील के दर्जा दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में उनकी मांग पर सरकार गौर करे तो 47 गांवों के लोगों का भला हो सकता है।
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बाईट- बीरबल कमेडिया, संयोजक, डेह तहसील निर्माण समिति।
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