नागौर. नागौर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के दौरान आमजन के मुद्दों पर बात करने वाले जनप्रतिनिधि बहुत कम ही रह गए हैं. हालांकि इसके लिए मतदाता भी जिम्मेदार है. क्योंकि मुद्दों की बात करने वाले नेता को चुनने की बजाय जाति, धर्म और समुदाय की बात करने वाले जनप्रतिनिधि को जनता तवज्जो देती है.
इस बार नागौर लोकसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. इस लोकसभा क्षेत्र से इस बार भाजपा अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाई. क्योंकि हनुमान बेनीवाल के गठबंधन करने के बाद यह सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में चली गई. वहीं कांग्रेस ने पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा पर दांव खेला है.
इस बार लोकसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों से भटकता नजर आ रहा है. नागौर लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो करीब एक दर्जन से भी अधिक ऐसे मुद्दे हैं, जो पिछले कई सालों से केवल मुद्दे ही बने रहे. उनका समाधान नहीं हो पाया. क्योंकि जो नेता जीत कर दिल्ली गए, उन्होंने इन मुद्दों को उठाया ही नहीं और जो हार गए वे जनता के बीच दोबारा चुनाव में नजर नहीं आए.
ये हैं नागौर के प्रमुख मुद्दे-
- गांव-ढाणी के साथ ही कस्बों में मीठा पानी उपलब्ध करवाना.
- नागौरी नस्ल के बछड़ों के परिवहन पर लगी रोक हटवाना.
- जिला मुख्यालय पर डीजे कोर्ट खुलवाना.
- मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज के साथ JLN अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, विश्वविद्यालय, उद्योग सहित परबतसर- किशनगढ़ रेल मार्ग शुरू कराने के साथ नमक उद्योग को पुर्नजीवित करना.
- लाइम स्टोन से जुड़ी बड़ी यूनिट स्थापित कराने जैसे प्रमुख मुद्दे हैं.
लेकिन इस बार एनडीए के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल का कहना हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ही बड़ा मुद्दा है तो वहीं कांग्रेस की ज्योति मिर्धा ने कहा कि इस बार बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना. साथ ही पिछली सरकार ने जनता से जो वादे किए, वह आज तक पूरे नहीं हो पाए है. उनकी पोल खोलना कांग्रेस की जिम्मेदारी है.
चुनाव चाहे लोकसभा के हो या फिर विधानसभा के. वहां राजनेताओं के लिए विकास की बात पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. नागौर में जहां आधुनिक कृषि के साथ उद्योग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. वहीं शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी कार्य करने की वर्तमान में जरूरत है.