नागौर. देश में 30 जनवरी को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस मिलने के 65 दिन बाद नागौर में पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज मिला है. नागौर जिले के बासनी बेलीमा के रहने वाले मरीज को सर्दी, खांसी और हल्के बुखार की शिकायत होने पर नागौर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया. मरीज के रक्त के नमूने की जांच की गई तो उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है. जिसके बाद उसे जयपुर के एस एम एस हॉस्पिटल में बने कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड के लिए रेफर कर दिया गया है.
जिसके बाद बासनी गांव में पूर्व में जारी किए गए सभी पास को निरस्त कर दिया गया है. अब विशेष पास परमिट अनुमति जारी करने के लिए उपखंड मजिस्ट्रेट नागौर को अधिकृत किया गया है. नागौर जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने जिले में धारा 144 के तहत 0 मोबिलिटी निषेधाता जारी कर दी है. गांव को भी लॉकिंग करते हुए आवागमन निर्गमन निषेध कर दिया गया. वहीं आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 , 269और 270 के तहत कार्रवाई की जाएगी. उन्होने नागौर वासियों से अपील करते हुए कहा कि, देश दुनिया में कोरोना वायरस से बचाव को लेकर सभी नागौर वासी एक दूसरे के बीच दूरी बनाकर रखें, मार्क्स का उपयोग करें और बार-बार साबुन से हाथ धोएं.
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जिला पुलिस अधीक्षक डॉ विकास पाठक ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि, बासनी और कुमारी दुकोसी की सीमाओं को सील करते हुए 3 पारियों में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहेगी. बासनी के अधिकतर लोग मुंबई से निजी कार और ट्रेनों करते हैं, जिनके आवागमन को देखते हुए बासनी को हाई जोन घोषित कर दिया था. अब कर्फ्यू मे पुलिस जवानों को चप्पे-चप्पे पर तैनात कर दिया गया.
बता दें कि, जिले के बासनी कस्बे के अधिकतर लोग मुंबई में दूध उत्पादन के बड़े कारोबार से जुड़े हुए हैं. लाॅकडाउन की घोषणा होने के बाद सभी कारोबारी मुंबई में अपना कारोबार बंद करके अपने पैतृक गांव बासनी पहुंचे थे. कोरोना पॉजिटिव पाया गया शख्स भी मुंबई में दूध की कारोबार करता है. वो भी लाॅकडाउन की घोषणा के बाद 17 मार्च को मुंबई से नागौर आया था.