नागौर. अकीदत और सब्र के माह रमजान में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग धैर्य की परीक्षा देते हैं. इसे पवित्र महीना माना जाता है. जुम्मे के दिन यानी शुक्रवार को मस्जिदों में विशेष नमाज होती है. नागौर के गिन्नानी तालाब की पाल पर स्थित अकबरी जामा मस्जिद में रमजान के दौरान जुम्मे की नवाज में एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है.
रमजान महीने में हर शुक्रवार को नमाज के बाद यहां तोप दागकर सलामी दी जाती है. तोपची मोहम्मद फिरोज का कहना है कि उनके पिता और दादा भी इस मस्जिद में तोप चलाते थे। अब वे रमजान में हर शुक्रवार को यहां तोप दागते हैं. अकबरी जामा मस्जिद पर वैसे तो साल के हर शुक्रवार को मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग नमाज पढ़ने आते हैं, लेकिन रमजान और खास तौर पर इस महीने के जुम्मे को यहां काफी संख्या में नमाजी आते हैं.
तोप दागने की परंपरा के पीछे कारण बताया जाता है कि यह सलाम पूरा होने का संदेश है. तोपची मोहम्मद फिरोज ने बताया कि उनका परिवार तीन पीढ़ियों से जामा मस्जिद में तोप दागने के काम से जुड़ा है. पहले उनके दादा और फिर पिता यह काम करते थे. अब वे यह पुश्तैनी काम संभाल रहे हैं. तोप दागने की रस्म को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहता है. नागौर के गिन्नानी तालाब की पाल पर स्थित अकबरी जामा मस्जिद काफी पुरानी है. बता दें कि इसे राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्थल भी घोषित किया है.