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नागौर का रियाबड़ी इलाका बना अवैध खनन का गढ़

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Published : Sep 30, 2020, 6:01 PM IST

नागौर के रियाबड़ी इलाका अवैध बजरी खनन का गढ़ बन गया है. यहां की सड़कों पर 24 घंटे अवैध बजरी से भरे ट्रक दौड़ते देखे जा सकते हैं. खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि कोई भी विभाग इन पर कार्रवाई करने से बचता है.

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नागौर का रियाबड़ी इलाका बना अवैध खनन का गढ़

रियाबड़ी (नागौर). जिले का एक ऐसा इलाका जो अवैध बजरी माफिया का गढ़ माना जाता है. आखिर क्यों वहां बजरी खनन माफिया के हौंसले इतने बुलंद हैं कि किसी भी सरकारी विभाग का अधिकारी इन पर कार्रवाई करने से बचता है. इस क्षेत्र की सड़कों पर 24 घंटे अवैध बजरी से भरे डंपर दौड़ते रहते हैं.

नागौर का रियाबड़ी इलाका बना अवैध खनन का गढ़

रियाबड़ी उपखंड मुख्यालय बजरी खनन माफियाओं का हॉट स्पॉट बन चुका है. इस मामले में बजरी के लीजधारक भी पीछे नहीं हैं. कानून और नियम कायदे को ताक पर रखकर खनन स्थल कागजों में कहीं और वास्तविक खनन कहीं चरागाह कभी सरकारी भूमि तो कुछ लीजधारक खातेदारी भूमि से बजरी का खनन कर सरेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इतना ही नहीं बजरी से भरे ट्रकों के धर्मकांटा वजन में भी धांधली करने का लीजधारकों ने तोड़ निकाल लिया है. इस तरह ओवरलोड वाहनों में बजरी का परिवहन करवाकर जबरदस्त चांदी कूटी जा रही है.

पढ़ें- विदेशी युवतियों से दुष्कर्म करने वाला बंगाली बाबा मुंबई से गिरफ्तार, पूछताछ जारी

एक ओर इस खनन के कारण गहरे गड्ढों और खाइयों में तब्दील होता लूणी नदी का बहाव एरिया निश्चित रूप से इस क्षेत्र के पर्यावरण दृष्टि से प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. इतना ही नहीं रियाबड़ी उपखंड मुख्यालय अवैध बजरी खनन के गोरखधंधे में अनाप-शनाप पैसा कूटने की फिराक में सीकर, नागौर, डीडवाना, अलवर, भरतपुर, पाली भरतपुर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के जिले सहित कई क्षेत्र से आए खनन माफियाओं की शरण स्थली बन चुका है.

रियाबड़ी (नागौर). जिले का एक ऐसा इलाका जो अवैध बजरी माफिया का गढ़ माना जाता है. आखिर क्यों वहां बजरी खनन माफिया के हौंसले इतने बुलंद हैं कि किसी भी सरकारी विभाग का अधिकारी इन पर कार्रवाई करने से बचता है. इस क्षेत्र की सड़कों पर 24 घंटे अवैध बजरी से भरे डंपर दौड़ते रहते हैं.

नागौर का रियाबड़ी इलाका बना अवैध खनन का गढ़

रियाबड़ी उपखंड मुख्यालय बजरी खनन माफियाओं का हॉट स्पॉट बन चुका है. इस मामले में बजरी के लीजधारक भी पीछे नहीं हैं. कानून और नियम कायदे को ताक पर रखकर खनन स्थल कागजों में कहीं और वास्तविक खनन कहीं चरागाह कभी सरकारी भूमि तो कुछ लीजधारक खातेदारी भूमि से बजरी का खनन कर सरेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इतना ही नहीं बजरी से भरे ट्रकों के धर्मकांटा वजन में भी धांधली करने का लीजधारकों ने तोड़ निकाल लिया है. इस तरह ओवरलोड वाहनों में बजरी का परिवहन करवाकर जबरदस्त चांदी कूटी जा रही है.

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एक ओर इस खनन के कारण गहरे गड्ढों और खाइयों में तब्दील होता लूणी नदी का बहाव एरिया निश्चित रूप से इस क्षेत्र के पर्यावरण दृष्टि से प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. इतना ही नहीं रियाबड़ी उपखंड मुख्यालय अवैध बजरी खनन के गोरखधंधे में अनाप-शनाप पैसा कूटने की फिराक में सीकर, नागौर, डीडवाना, अलवर, भरतपुर, पाली भरतपुर, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के जिले सहित कई क्षेत्र से आए खनन माफियाओं की शरण स्थली बन चुका है.

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