नागौर. जिला मुख्यालय से करीब 120 किमी दूर बिदियाद कस्बे के पास प्रकृति की गोद में बसा एक स्थान है मोरेड़ डूंगरी, जहां दादू सम्प्रदाय के संत सुखराम बाबा का आश्रम है. बताया जाता है कि विक्रम संवत 1801 में जन्मे संत सुखराम बाबा ने लगातार 12 साल तक मोरेड़ डूंगरी पर तप किया था. आज यहां रैबीज, काली खांसी और पीलिया के मरीज आस्था के साथ आते हैं.
दावा है कि उनकी बीमारी ठीक भी होती है. हरियाली अमावस्या के मौके पर 1 अगस्त को यहां मेला भरेगा. बता दें कि नागौर को भक्ति और आस्था की धरती भी कहा जाता है. यहां कई संत, महात्मा हुए जिन्होंने ईश्वर की भक्ति कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम अमर कर लिया. ऐसे ही एक संत बिदियाद के पास स्थित मोरेड़ गांव में विक्रम संवत 1801 में जन्मे थे. उनका नाम हुआ सुखराम बाबा.
दादू सम्प्रदाय के प्रेमसुख दास महाराज से दीक्षा लेने के बाद सुखराम बाबा ने अपनी जन्म स्थली मोरेड़ को ही कर्म भूमि बनाया और मोरेड़ डूंगरी पर 12 साल तक तपस्या की. कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कई ऐसे चमत्कार दिखाए थे, जो लोगों के लिए अकल्पनीय थे. जहां सुखराम बाबा ने तपस्या की थी आज वहां आश्रम है. मान्यता है कि यहां रैबीज, काली खांसी और पीलिया से पीड़ित मरीजों का बिना दवाई के उपचार होता है.
आश्रम के महंत सुखदेव महाराज का कहना है कि सुखराम बाबा संत चतुरदास महाराज के समकालीन थे. चतुरदास महाराज का बुटाटी में धाम है. जहां लकवा से पीड़ित मरीज आते हैं और स्वस्थ होकर लौटते हैं. इसी तरह सुखराम बाबा के धाम पर रैबीज, काली खांसी और पीलिया से पीड़ित मरीज आस्था के साथ आते हैं और स्वस्थ होकर लौटते हैं.
महंत सुखदेव महाराज का कहना है कि हर साल हरियाली अमावस्या के मौके पर धाम पर मेला भरता है, जिसमें आसपास के गांवों और शहरों के हजारों श्रद्धालु आते हैं. इस साल 31 जुलाई को यहां भजन संध्या होगी और 1 अगस्त को मेला भरेगा. उन्होंने बताया कि मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.