नागौर. जिले के कांकरिया गांव में शनिवार को अमर शहीद उमराव सिंह राठौड़ नायब रिसालदार की मूर्ति का उप मुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी और पूर्व सैनिक कल्याण मंत्री प्रेमसिंह ने अनावरण किया. इस मौके पर शहीद परिवार सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया. गांव के राजकीय विद्यालय के पास बनाए गए शहीद स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जन समुदाय ने शहीद उमराव सिंह को श्रद्धाजंलि अर्पित की.
शहीद उमराव सिंह के पुत्र मगन सिंह ने बताया कि उनके पिता नायब रिसालदार शहीद उमराव सिंह का जन्म 1 जून सन् 1931 को हुआ था. वे 23 जून 1950 में भारतीय सेना से जुड़े थे. उन्होंने वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध में भाग लिया. इसके बाद 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी शामिल हुए और वीरतापूर्वक लड़ते हुए शहीद हुए. वक्ताओं ने अपने संबोधन में शहीद उमराव सिंह की शहादत को याद किया और कहा कि आज देश की सेना, सीमाओं पर मुस्तैद हैं तभी हम यहां अमन और शांति से रह रहे हैं. क्षेत्रीय विधायक और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने अपने संबोधन में शहीद उमराव सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सेना और सैनिकों के मामले में कभी राजनीति नहीं करनी चाहिए.
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शहीद उमराव सिंह को विरासत में मिली बहादुरी : मगन सिंह ने बताया कि शहीद उमराव सिंह के दादा चतर सिंह राजा महाराजाओं के दौर में नागौर किले के किलेदार थे. उनके पिता रिछपाल सिंह राठौड़ भी सेना में रिसालदार मेजर पद पर रहे थे. द्वितीय विश्व युद्ध में उनके युद्ध कौशल व विशेष बहादुरी के सम्मान में उनको "सरदार बहादुर" की उपाधि प्रदान की गई थी. उनको बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक 'ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इंडिया' भी प्रदान किया, जिसकी उनको अतिरिक्त विशेष पेंशन भी मिलती थी. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने न्याय पंचायत में सदस्य रहकर सेवाएं दी. कार्यक्रम में जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, डीडवाना कर्नल राजेन्द्र सिंह सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे.