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नागौर: कोरोना काल में नहरबंदी का समय घटाया, 75 दिन की जगह अब 25 दिन बाद मिलेगा पानी - नागौर में नहरबंदी

नागौर की प्यास बुझाने वाली इंदिरा गांधी नहर की सफाई और मरम्मत के लिए इस बार रिकॉर्ड 75 दिन की नहर बंदी प्रस्तावित थी. लेकिन कोरोना काल के कारण अब नहरबंदी की समयावधि घटाकर 25 दिन ही कर दी गई है. तेज गर्मी और नहरबंदी के बीच नागौर में जल आपूर्ति के लिए नोखा दैया में पानी का स्टोरेज किया गया है.

Drinking Water Supply in Nagaur, Indira Gandhi Canal Repair
कोरोना काल में नहरबंदी का समय घटाया
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Published : Jun 1, 2020, 7:13 PM IST

नागौर. कोरोना काल में तमाम दिक्कतों का बीच नागौर के लोगों के लिए राहत की एक बड़ी खबर है. इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के लिए पहले 75 दिन की नहरबंदी प्रस्तावित थी. जिसकी समयावधि को घटाकर अब 25 दिन कर दिया गया है. इन 25 में से भी 15 दिन नहर की मरम्मत का काम किया जाएगा. इसके बाद फिर से नहर में पानी छोड़ा जाएगा. जिसे नागौर तक पहुंचने में 9-10 दिन का समय लग जाएगा.

कोरोना काल में नहरबंदी का समय घटाया

नहरबंदी सोमवार से शुरू हो चुकी है और मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है. नहरी परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि अब 15 जून तक नहर की साफ सफाई और मरम्मत होगी. उसके बाद जो पानी छोड़ा जाएगा, उसे नागौर पहुंचने में करीब 10 दिन का समय लगेगा. ऐसे में करीब 25 जून तक नागौर को फिर से नहरी पानी मिल पाएगा. इस बीच नागौर जिले के लोगों की प्यास बुझाने के लिए नोखा दैया में पानी का स्टोरेज किया गया है.

पढ़ें- अजमेर में स्कूलों की मनचाही फीस वसूली पर भड़के अभिभावक, किया प्रदर्शन

नहरी परियोजना के मुख्य अभियंता राकेश लुहाड़िया ने बताया कि नोखा दैया में बने स्टोरेज एरिया में 35 दिन के पानी का स्टोरेज किया गया है, जो नहरबंदी की समयावधि से ज्यादा का है. इसके साथ ही नोखा दैया में अधिकारियों का शिविर भी लगा दिया गया है, ताकि पानी की सप्लाई की नियमित मॉनिटरिंग की जा सके. नहर की मरम्मत के लिए 26 जुलाई को टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई थी. नहर की साफ-सफाई और मरम्मत के लिए 54 लाख रुपये खर्च होने हैं.

नहरबंदी के दौरान पाइप लाइन से पानी चोरी रोकने के लिए गश्त करेंगे अधिकारी

मुख्य अभियंता राकेश लुहाड़िया ने बताया कि नहरबंदी के दौरान पाइप लाइन से पानी चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम का गठन किया गया है. ये टीम नियमित रूप से पानी चोरी रोकने के लिए गश्त करेगी. साथ ही उन्होंने आमजन से भी अपील की है कि पाइप लाइन को नुकसान पहुंचाकर पानी चोरी करने वालों की सूचना विभाग के अधिकारियों को दें, ताकि वे ऐसी घटनाओं पर प्रभावी कार्रवाई कर सकें.

नागौर के 12 कस्बों और 728 गांवों को मिल रहा नहरी पानी

नागौर जिले में इंदिरा गांधी नहर परियोजना का दूसरा चरण चल रहा है. फिलहाल नागौर, बासनी, कुचेरा, मेड़ता सिटी सहित 12 कस्बों और 728 गांवों को पीने के लिए नहर का मीठा पानी सप्लाई किया जा रहा है. नहरी परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शहरी इलाके में करीब 80 एमएलडी यानी 80 लाख लीटर पानी रोज सप्लाई किया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में भी 80 से 85 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है. यानी हर दिन नागौर जिले में करीब 17 करोड़ लीटर नहरी पानी की आपूर्ति हो रही है.

पाइप लाइन लीकेज दुरुस्त कर पानी की बर्बादी रोकना बड़ी चुनौती

अधिकारियों का दावा है कि 25 दिन की नहरबंदी के अनुपात में फिलहाल 35 दिन तक सप्लाई करने के लिए पानी का स्टोरेज किया गया है. लेकिन शहरों और गांवों में पानी सप्लाई करने के लिए जो लाइनें बिछी हैं. उनमें लीकेज के कारण पानी की बर्बादी रोकना एक बड़ी चुनौती है. हालांकि नहरी विभाग और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मिलकर इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है.

पढ़ें- राजस्थान में 72 दिनों बाद खुले बायोलॉजिकल पार्क और चिड़ियाघर

उनका कहना है कि नहरी विभाग की पाइप लाइन के लीकेज का पता लगाने और लाइन से पानी की चोरी रोकने के लिए विभाग के अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इसी तरह घरों तक पानी पहुंचाने वाली पाइप लाइन के लीकेज दुरुस्त कर पानी की बर्बादी रोकने का जिम्मा पीएचईडी का है. ऐसे में पीएचइडी के अधिकारियों से भी इस संबंध में बात की गई है.

पानी का पर्याप्त स्टोरेज, फिर भी आमजन रोके पानी की बर्बादी

लुहाड़िया का कहना है कि विभाग ने 35 दिन तक की सप्लाई के लिए पानी का पर्याप्त स्टोरेज किया है, जबकि नहरबंदी 25 दिन की है. फिर भी किसी तकनीकी कारण से 25 दिन बाद भी नहर का पानी नहीं मिल पाता है तो 10 दिन की सप्लाई के लिए अतिरिक्त स्टोरेज भी किया है. लेकिन फिर भी आमजन से उन्होंने सावधानीपूर्वक पानी का उपयोग करने और पानी की बर्बादी रोकने की अपील की है.

नागौर. कोरोना काल में तमाम दिक्कतों का बीच नागौर के लोगों के लिए राहत की एक बड़ी खबर है. इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के लिए पहले 75 दिन की नहरबंदी प्रस्तावित थी. जिसकी समयावधि को घटाकर अब 25 दिन कर दिया गया है. इन 25 में से भी 15 दिन नहर की मरम्मत का काम किया जाएगा. इसके बाद फिर से नहर में पानी छोड़ा जाएगा. जिसे नागौर तक पहुंचने में 9-10 दिन का समय लग जाएगा.

कोरोना काल में नहरबंदी का समय घटाया

नहरबंदी सोमवार से शुरू हो चुकी है और मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया है. नहरी परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि अब 15 जून तक नहर की साफ सफाई और मरम्मत होगी. उसके बाद जो पानी छोड़ा जाएगा, उसे नागौर पहुंचने में करीब 10 दिन का समय लगेगा. ऐसे में करीब 25 जून तक नागौर को फिर से नहरी पानी मिल पाएगा. इस बीच नागौर जिले के लोगों की प्यास बुझाने के लिए नोखा दैया में पानी का स्टोरेज किया गया है.

पढ़ें- अजमेर में स्कूलों की मनचाही फीस वसूली पर भड़के अभिभावक, किया प्रदर्शन

नहरी परियोजना के मुख्य अभियंता राकेश लुहाड़िया ने बताया कि नोखा दैया में बने स्टोरेज एरिया में 35 दिन के पानी का स्टोरेज किया गया है, जो नहरबंदी की समयावधि से ज्यादा का है. इसके साथ ही नोखा दैया में अधिकारियों का शिविर भी लगा दिया गया है, ताकि पानी की सप्लाई की नियमित मॉनिटरिंग की जा सके. नहर की मरम्मत के लिए 26 जुलाई को टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई थी. नहर की साफ-सफाई और मरम्मत के लिए 54 लाख रुपये खर्च होने हैं.

नहरबंदी के दौरान पाइप लाइन से पानी चोरी रोकने के लिए गश्त करेंगे अधिकारी

मुख्य अभियंता राकेश लुहाड़िया ने बताया कि नहरबंदी के दौरान पाइप लाइन से पानी चोरी करने वालों पर अंकुश लगाने के लिए विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम का गठन किया गया है. ये टीम नियमित रूप से पानी चोरी रोकने के लिए गश्त करेगी. साथ ही उन्होंने आमजन से भी अपील की है कि पाइप लाइन को नुकसान पहुंचाकर पानी चोरी करने वालों की सूचना विभाग के अधिकारियों को दें, ताकि वे ऐसी घटनाओं पर प्रभावी कार्रवाई कर सकें.

नागौर के 12 कस्बों और 728 गांवों को मिल रहा नहरी पानी

नागौर जिले में इंदिरा गांधी नहर परियोजना का दूसरा चरण चल रहा है. फिलहाल नागौर, बासनी, कुचेरा, मेड़ता सिटी सहित 12 कस्बों और 728 गांवों को पीने के लिए नहर का मीठा पानी सप्लाई किया जा रहा है. नहरी परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शहरी इलाके में करीब 80 एमएलडी यानी 80 लाख लीटर पानी रोज सप्लाई किया जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में भी 80 से 85 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है. यानी हर दिन नागौर जिले में करीब 17 करोड़ लीटर नहरी पानी की आपूर्ति हो रही है.

पाइप लाइन लीकेज दुरुस्त कर पानी की बर्बादी रोकना बड़ी चुनौती

अधिकारियों का दावा है कि 25 दिन की नहरबंदी के अनुपात में फिलहाल 35 दिन तक सप्लाई करने के लिए पानी का स्टोरेज किया गया है. लेकिन शहरों और गांवों में पानी सप्लाई करने के लिए जो लाइनें बिछी हैं. उनमें लीकेज के कारण पानी की बर्बादी रोकना एक बड़ी चुनौती है. हालांकि नहरी विभाग और जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग मिलकर इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है.

पढ़ें- राजस्थान में 72 दिनों बाद खुले बायोलॉजिकल पार्क और चिड़ियाघर

उनका कहना है कि नहरी विभाग की पाइप लाइन के लीकेज का पता लगाने और लाइन से पानी की चोरी रोकने के लिए विभाग के अधिकारी नियमित मॉनिटरिंग कर रहे हैं. इसी तरह घरों तक पानी पहुंचाने वाली पाइप लाइन के लीकेज दुरुस्त कर पानी की बर्बादी रोकने का जिम्मा पीएचईडी का है. ऐसे में पीएचइडी के अधिकारियों से भी इस संबंध में बात की गई है.

पानी का पर्याप्त स्टोरेज, फिर भी आमजन रोके पानी की बर्बादी

लुहाड़िया का कहना है कि विभाग ने 35 दिन तक की सप्लाई के लिए पानी का पर्याप्त स्टोरेज किया है, जबकि नहरबंदी 25 दिन की है. फिर भी किसी तकनीकी कारण से 25 दिन बाद भी नहर का पानी नहीं मिल पाता है तो 10 दिन की सप्लाई के लिए अतिरिक्त स्टोरेज भी किया है. लेकिन फिर भी आमजन से उन्होंने सावधानीपूर्वक पानी का उपयोग करने और पानी की बर्बादी रोकने की अपील की है.

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