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जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही बीमारी ने जकड़ा, ये टीम बनकर आई फरिश्ता - sickness struck

Social Media के दुरुपयोग और दुष्प्रभाव से आज समाज का बड़ा वर्ग चिंतित है. लेकिन टीम मानवता ने सोशल मीडिया को मदद का मंच बनाया. इस टीम ने नागौर के खरेश गांव में रहने वाले भंवरलाल के तीन बेटे-बेटियों के उपचार के लिए करीब 8.50 लाख रुपए सोशल मीडिया पर मुहिम चलकर जुटाए हैं.

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15 साल से बच्चों की बीमारी का इलाज करवाते थक चुके भंवरलाल
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Published : Feb 26, 2020, 8:26 PM IST

नागौर. हर माता-पिता की यह तमन्ना होती है कि बुढ़ापे में उनके बेटे-बेटियां उनका सहारा बनेंगे. लेकिन डीडवाना तहसील के खरेश गांव निवासी 60 साल के भंवरलाल को अपने तीन बेटे-बेटियों को संभालना अब भारी पड़ रहा है.

15 साल से बच्चों की बीमारी का इलाज करवाते थक चुके भंवरलाल

उनके दो बेटों और एक बेटी को जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही ऐसी बीमारी की ने जकड़ लिया. कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना ही बंद कर दिया है. सबसे पहले बड़ा बेटा इस बीमारी की चपेट में आया और उसकी जिंदगी खाट पर ही सिमटकर रह गई. उसके बाद विवाहिता बेटी को इस बीमारी ने जकड़ा तो ससुराल वाले उसे पीहर छोड़कर चले गए. अंत में तीसरे और सबसे छोटे बेटे को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया.

यह भी पढ़ेंः नागौर में Constable 50 हजार रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों ट्रैप

भंवरलाल ने उनके इलाज में अपनी जमा पूंजी खर्च कर दी. लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ. भंवरलाल का कहना है कि इनके इलाज के लिए सरकार और अधिकारियों से भी गुहार लगाई. लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. ऐसे में मजदूरी करके पेट पालने वाले भंवरलाल ने इन बेटे-बेटियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था. लेकिन टीम मानवता उनकी जिंदगी में फरिश्ता बनकर आई. भंवरलाल की पीड़ा और दुख के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से टीम मानवता को पता चला तो उन्होंने उनकी मदद के लिए सोशल मीडिया पर ही मुहिम चलाई.

टीम मानवता...

यह टीम ऐसे युवाओं की टीम है, जो कहने को तो विदेश में रहते हैं. लेकिन उनके दिल में हिंदुस्तान बसता है. जब भी किसी जरूरतमंद की जानकारी इनको मिलती है. यह टीम सोशल मीडिया के जरिए मदद जुटाकर सहायता राशि सीधे उनके खाते में भिजवाती है. सोशल मीडिया पर चलाई गई मुहिम से इस टीम ने भंवरलाल और उनके बेटे-बेटी के उपचार के लिए अब तक करीब साढ़े आठ लाख रुपए की राशि जुटा ली है. इकट्ठा हुई इस राशि से विशेषज्ञ डॉक्टर्स भंवरलाल के तीन बेटे-बेटी के उपचार की व्यवस्था करवा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर और राशि जुटाने का भी इस टीम ने भरोसा दिलाया है.

यह भी पढ़ेंः बूंदी: मेज नदी में कैसे गिरी बस और उस वक्त कैसे बचाई लोगों की जान, प्रत्यक्षदर्शी सुनील मीणा ने बताई पूरी घटना

टीम मानवता ने इससे पहले भी कई जरूरतमंद लोगों की सहायता की है. सऊदी अरब की जेल में 7 साल तक कैद रहे गोविंदराम की रिहाई के लिए 85 लाख रुपए जुटाने की मुहिम भी इसी टीम ने शुरू की थी. पिछले साल गोविंदराम अपने गांव पहुंच पाया था.

स्थानीय लोगों का कहना है कि टीम मानवता द्वारा सोशल मीडिया का जिस तरह सकारात्मक उपयोग किया जा रहा है, वो काबिले तारीफ है. अगर हर कोई इस मंच का उपयोग ऐसे सकारात्मक कार्यों में करे तो देश और दुनिया की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी.

नागौर. हर माता-पिता की यह तमन्ना होती है कि बुढ़ापे में उनके बेटे-बेटियां उनका सहारा बनेंगे. लेकिन डीडवाना तहसील के खरेश गांव निवासी 60 साल के भंवरलाल को अपने तीन बेटे-बेटियों को संभालना अब भारी पड़ रहा है.

15 साल से बच्चों की बीमारी का इलाज करवाते थक चुके भंवरलाल

उनके दो बेटों और एक बेटी को जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही ऐसी बीमारी की ने जकड़ लिया. कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना ही बंद कर दिया है. सबसे पहले बड़ा बेटा इस बीमारी की चपेट में आया और उसकी जिंदगी खाट पर ही सिमटकर रह गई. उसके बाद विवाहिता बेटी को इस बीमारी ने जकड़ा तो ससुराल वाले उसे पीहर छोड़कर चले गए. अंत में तीसरे और सबसे छोटे बेटे को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया.

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भंवरलाल ने उनके इलाज में अपनी जमा पूंजी खर्च कर दी. लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ. भंवरलाल का कहना है कि इनके इलाज के लिए सरकार और अधिकारियों से भी गुहार लगाई. लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला. ऐसे में मजदूरी करके पेट पालने वाले भंवरलाल ने इन बेटे-बेटियों को भगवान भरोसे छोड़ दिया था. लेकिन टीम मानवता उनकी जिंदगी में फरिश्ता बनकर आई. भंवरलाल की पीड़ा और दुख के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से टीम मानवता को पता चला तो उन्होंने उनकी मदद के लिए सोशल मीडिया पर ही मुहिम चलाई.

टीम मानवता...

यह टीम ऐसे युवाओं की टीम है, जो कहने को तो विदेश में रहते हैं. लेकिन उनके दिल में हिंदुस्तान बसता है. जब भी किसी जरूरतमंद की जानकारी इनको मिलती है. यह टीम सोशल मीडिया के जरिए मदद जुटाकर सहायता राशि सीधे उनके खाते में भिजवाती है. सोशल मीडिया पर चलाई गई मुहिम से इस टीम ने भंवरलाल और उनके बेटे-बेटी के उपचार के लिए अब तक करीब साढ़े आठ लाख रुपए की राशि जुटा ली है. इकट्ठा हुई इस राशि से विशेषज्ञ डॉक्टर्स भंवरलाल के तीन बेटे-बेटी के उपचार की व्यवस्था करवा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर और राशि जुटाने का भी इस टीम ने भरोसा दिलाया है.

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टीम मानवता ने इससे पहले भी कई जरूरतमंद लोगों की सहायता की है. सऊदी अरब की जेल में 7 साल तक कैद रहे गोविंदराम की रिहाई के लिए 85 लाख रुपए जुटाने की मुहिम भी इसी टीम ने शुरू की थी. पिछले साल गोविंदराम अपने गांव पहुंच पाया था.

स्थानीय लोगों का कहना है कि टीम मानवता द्वारा सोशल मीडिया का जिस तरह सकारात्मक उपयोग किया जा रहा है, वो काबिले तारीफ है. अगर हर कोई इस मंच का उपयोग ऐसे सकारात्मक कार्यों में करे तो देश और दुनिया की तस्वीर बदलते देर नहीं लगेगी.

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