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मकराना में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया होलिका दहन का पर्व

नागौर के मकराना में होलिका दहन का पारंपरिक कार्यक्रम सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया गया. इसके साथ ही अब मंगलवार को धुलण्डी का पर्व मनाया जाएगा.

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Published : Mar 9, 2020, 10:40 PM IST

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हर्षोल्लास के साथ मनाया गया होलिका दहन का पर्व

मकराना (नागौर). जिले के मकराना में होलिका दहन का पारंपरिक पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान धर्मावलंबियों ने तय समय पर शुभ मुहूर्त के हिसाब से होलिका दहन किया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने आने वाले समय में विपत्तियों को दूर करने की प्रार्थना की.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया होलिका दहन का पर्व

बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान मिला था. वहीं, हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र विष्णु भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने के लिए होलिका के साथ उसे अग्नि कुंड में झोंक दिया और प्रहलाद अग्नि से बच निकला. तभी से मान्यता है कि होलिका दहन के साथ पाप कर्मों का भी दहन हो जाता है और पुण्य रूपी प्रहलाद को लोग बचा लेते हैं.

पढ़ें- कोरोना वायरस के चलते होली पड़ी फीकी, रंगों से मुंह मोड़ रहे लोग

पारंपरिक मान्यताओं के हिसाब से भी होलिका दहन के पश्चात प्रतीक रूपी प्रहलाद भक्त को लोगों ने अग्नि से बाहर निकाला और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया. होलिका दहन के बाद अब धुलंडी का पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा, जिसमें रंग-बिरंगे गुलाल लगाकर एक-दूसरे को बधाई देंगे और खुशियां बाटेंगे.

मकराना (नागौर). जिले के मकराना में होलिका दहन का पारंपरिक पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान धर्मावलंबियों ने तय समय पर शुभ मुहूर्त के हिसाब से होलिका दहन किया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने आने वाले समय में विपत्तियों को दूर करने की प्रार्थना की.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया होलिका दहन का पर्व

बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान मिला था. वहीं, हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र विष्णु भक्त प्रहलाद को अग्नि में जलाने के लिए होलिका के साथ उसे अग्नि कुंड में झोंक दिया और प्रहलाद अग्नि से बच निकला. तभी से मान्यता है कि होलिका दहन के साथ पाप कर्मों का भी दहन हो जाता है और पुण्य रूपी प्रहलाद को लोग बचा लेते हैं.

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पारंपरिक मान्यताओं के हिसाब से भी होलिका दहन के पश्चात प्रतीक रूपी प्रहलाद भक्त को लोगों ने अग्नि से बाहर निकाला और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया. होलिका दहन के बाद अब धुलंडी का पर्व मंगलवार को मनाया जाएगा, जिसमें रंग-बिरंगे गुलाल लगाकर एक-दूसरे को बधाई देंगे और खुशियां बाटेंगे.

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