नागौर. किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेचने के बाद भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. क्रय लिमिट पूरी हो जाने के बाद किसान अपनी उपज मंडियों में बेचने को मजबूर है. जिसमें उन्हें प्रति क्विंटल 1000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
सरकार एक किसान से प्रति बीघा पौने दो क्विंटल और अधिकतम 25 क्विंटल सरसों की खरीद 4200 रुपए क्विंटल के समर्थन मूल्य पर कर रही है, लेकिन किसानों का कहना है कि एक बीघा में 4-5 क्विंटल सरसों पैदा होती है. सरकारी खरीद की लिमिट तय होने के कारण उन्हें बची हुई सरसो मंडी में बेचनी पड़ती है. जिसके अधिकतम 3200-3300 रुपए ही मिलते हैं. इससे उन्हें हर क्विंटल पर करीब एक हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि 1 अप्रैल से सरसो और चने की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हुई है. जो 30 जून तक चलेगी.
रोहिणा गांव के किसान अजित सिंह का कहना है कि उनके खेत में 4-5 क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से सरसो की पैदावार हुई है. सरकारी खरीद में प्रति बीघा के हिसाब से पौने 2 क्विंटल और अधिकतम 25 क्विंटल सरसो ही खरीदी जा रही है. बाकी बची पैदावार उन्हें मंडी में बेचनी पड़ रही है, जो ज्यादा से ज्यादा 3300 रुपए क्विंटल में बिकती है. जबकि सरकारी खरीद पर 4200 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिलता है.
ऐसे में किसानों को मंडी में अपनी उपज बेचने पर उन्हें 900 से एक हजार रुपए तक नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसान तूफान सिंह और गोपाल का कहना है कि सरकार को खरीद की सीमा बढ़ानी चाहिए. एक किसान से खरीद की लिमिट 25 के बजाए 50 क्विंटल और प्रति बीघा खरीद की लिमिट पौने 2 से बढ़ाकर चार क्विंटल की जानी चाहिए.
561 किसानों ने अब तक बेची 24288 कट्टे सरसों
नागौर क्रय-विक्रय सहकारी समिति के खरीद केंद्र प्रभारी रामनिवास सिंवर ने बताया कि 1 अप्रैल से शुरू हुई. समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया 30 जून तक चलेगी. अब तक 561 किसान 24289 कट्टे सरसों बेच चुके हैं. अब तक कुल 1400 किसानों ने सरसों बेचने के लिए टोकन कटवाए हैं.