ETV Bharat / state

खुदाई में निकला था एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, जैन सरस्वती की दुर्लभ प्रतिमा भी है स्थापित

बड़ा जैन मंदिर के नाम से विख्यात लाडनूं में दिगंबर जैन समाज का यह मंदिर भू-गर्भ से खुदाई में निकला हुआ प्राचीन मंदिर है, जो स्थापत्य कला एवं कलात्मक मूर्तियों, तोरणद्वार आदि के लिए विख्यात है. करीब 100 साल पहले की गई खुदाई में निकला यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है. देखिए खास रिपोर्ट.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
नागौर का जैन मंदिर
author img

By

Published : Aug 22, 2020, 2:14 PM IST

नागौर. राजस्थान में जैन मंदिरों का समृद्ध इतिहास रहा है. वहीं कई जैन मंदिर इतने भव्य और ऐतिहासिक हैं, जहां देशभर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. आज भी खुदाई में कई जगह जैन धर्म से संबंधित प्रतिमाएं मिलती हैं लेकिन नागौर जिले के लाडनूं कस्बे में पूरा का पूरा मंदिर खुदाई में निकला था. जैन समाज के लोगों का कहना है कि आज से करीब 100 साल पहले खुदाई में निकला यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है.

नागौर का जैन मंदिर

दरअसल, लाडनूं में मंदिर के विस्तार के लिए एक खंडहर की खुदाई के दौरान यह मंदिर निकला था. आज भी यह मंदिर जमीन तल से करीब 11 फीट नीचे स्थित है. जैन शैली में बनी देवी सरस्वती की दुर्लभ प्रतिमा भी यहां स्थापित है.

जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की शोध सहायक मनीषा जैन का कहना है कि खुदाई में निकले मंदिर की स्थापत्य कला बेजोड़ है. इस मंदिर के गर्भगृह में जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की संगमरमर की बनी प्रतिमा विराजमान है. इस प्रतिमा के ऊपर लगा तोरण द्वार भी जैन स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. पत्थर पर खुदाई करके इसे बनाया गया है. जिस पर जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में उकेरी गई है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
पत्थरों पर उकेरी हुई जैन स्थापत्य कला

पढ़ें- Special: मंदिरों के पट बंद होने से बंद हुए रोजी-रोटी के कपाट

इसी गर्भगृह में भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा के पास ही जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर भगवान अजितनाथ की संगमरमर से निर्मित प्रतिमा विराजमान है. इसके आगे बना तोरण द्वार भी जैन स्थापत्य कला की समृद्ध परंपरा का उदाहरण है. यह तोरण द्वार नागौर जिले के सुदरासन गांव में खुदाई में मिला था. इसमें भी पत्थर पर बारीक कारीगरी से प्रतिमाएं उकेरी गई हैं. खुदाई में मिले मंदिर के स्तंभों और छत पर भी पत्थर पर आकर्षक कारीगरी की गई है. जो आज के समय में काफी दुर्लभ है.

जिले में कई अन्य जगहों से मिली जैन धर्म से संबंधित प्रतिमाएं भी यहीं रखी गई है. जैन विश्व भारती के परीक्षा विभाग में कार्यरत शरद जैन 'सुधांशु' का कहना है कि इस मंदिर में सरस्वती देवी की जैन शैली में बनी दुर्लभ प्रतिमा भी है. जो लाडनूं में खुदाई में मिली थी. इस शैली की देश में तीन ही प्रतिमाएं बताई जाती हैं. उनका कहना है कि ब्रिटिशकाल में इस प्रतिमा की कीमत कुछ अंग्रेजों ने दो करोड़ रुपए आंकी थी और इसे खरीदना चाहा लेकिन समाज के लोगों ने इसे बेचने से इनकार कर दिया. आज यह प्रतिमा इस मंदिर में सुरक्षित रखी हुई है. इसके साथ ही पूजा में काम आने वाले कई पात्र भी खुदाई में मिले थे. उन्हें भी मंदिर में सुरक्षित रखा गया है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
जैन सरस्वती की दुर्लभ प्रतिमा

डॉ. सुरेंद्र जैन बताते हैं कि लाडनूं की बसावट महाभारतकालीन मानी गई है. यहां शिशुपाल के वंशज डाहलिया पंवारों का शासन रहा है. प्राचीन बसावट होने के कारण लाडनूं में समय-समय पर खुदाई में प्रतिमाएं और पूजा से संबंधित पात्र मिलते हैं. उनका कहना है कि बड़ा जैन मंदिर में अलग-अलग वेदियों पर जैन धर्म के तीर्थंकरों की कई प्राचीन प्रतिमाएं अलग-अलग वेदियों पर विराजमान हैं. इनमें सफेद संगमरमर, चमकीले काले पत्थर और लाल पत्थर से बनी प्रतिमाएं शामिल हैं. इस जैन मंदिर में प्रथम वेदी में भगवान ऋषभदेव की भूरे रंग की खुरदुरे पत्थर से बनी प्रतिमा विराजमान है. इसे अतिशयक्षेत्र महावीरजी में स्थापित भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के समकालीन माना जाता है.

पढें- Special Report: गणेश चतुर्थी पर ब्याज लेकर बनाई मूर्तियां, बिक्री नहीं होने से संकट में कारीगर

यहां जितनी भी प्रतिमाएं विराजमान हैं. वे एक हजार साल से ज्यादा पुरानी मानी गई हैं. उनका कहना है कि कई प्रतिमाओं पर लेख और चिह्न हैं और कई पर नहीं हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि यह सभी प्रतिमाएं कम से कम एक हजार साल पुरानी हैं. उनका कहना है कि लाडनूं का यह मंदिर न केवल लाडनूं या नागौर बल्कि देशभर के जैन समाज के लोगों के लिए एक धरोहर है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
खुदाई में निकले पात्र

जैन समाज के महेंद्र कुमार सेठी ने बताया कि इस मंदिर में दर्शन करने के लिए राजस्थान के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल सहित देश के कोने-कोने से जैन समाज के लोग आते हैं. यहां कार्तिक महोत्सव, दशलक्षण पर्व, मोक्ष सप्तमी और रक्षाबंधन पर भव्य आयोजन होते हैं. दसलक्षण पर्व इसी महीने में मनाया जाएगा.

हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इस बार महामारी कोविड-19 के चलते सरकार के दिशा निर्देश को ध्यान में रखते हुए कोई बड़ा आयोजन नहीं किया जाएगा. मंदिर में केवल पूजा पाठ होंगे और श्रद्धालु अपने घर पर ही पूजा-पाठ कर दसलक्षण पर्व मनाएंगे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते मंदिर के कपाट आमजन के लिए बंद रखे गए हैं. इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की सुविधा में इजाफा करने के लिए नए काम करवाए जा रहे हैं.

नागौर. राजस्थान में जैन मंदिरों का समृद्ध इतिहास रहा है. वहीं कई जैन मंदिर इतने भव्य और ऐतिहासिक हैं, जहां देशभर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. आज भी खुदाई में कई जगह जैन धर्म से संबंधित प्रतिमाएं मिलती हैं लेकिन नागौर जिले के लाडनूं कस्बे में पूरा का पूरा मंदिर खुदाई में निकला था. जैन समाज के लोगों का कहना है कि आज से करीब 100 साल पहले खुदाई में निकला यह मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है.

नागौर का जैन मंदिर

दरअसल, लाडनूं में मंदिर के विस्तार के लिए एक खंडहर की खुदाई के दौरान यह मंदिर निकला था. आज भी यह मंदिर जमीन तल से करीब 11 फीट नीचे स्थित है. जैन शैली में बनी देवी सरस्वती की दुर्लभ प्रतिमा भी यहां स्थापित है.

जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय की शोध सहायक मनीषा जैन का कहना है कि खुदाई में निकले मंदिर की स्थापत्य कला बेजोड़ है. इस मंदिर के गर्भगृह में जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की संगमरमर की बनी प्रतिमा विराजमान है. इस प्रतिमा के ऊपर लगा तोरण द्वार भी जैन स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. पत्थर पर खुदाई करके इसे बनाया गया है. जिस पर जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में उकेरी गई है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
पत्थरों पर उकेरी हुई जैन स्थापत्य कला

पढ़ें- Special: मंदिरों के पट बंद होने से बंद हुए रोजी-रोटी के कपाट

इसी गर्भगृह में भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा के पास ही जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर भगवान अजितनाथ की संगमरमर से निर्मित प्रतिमा विराजमान है. इसके आगे बना तोरण द्वार भी जैन स्थापत्य कला की समृद्ध परंपरा का उदाहरण है. यह तोरण द्वार नागौर जिले के सुदरासन गांव में खुदाई में मिला था. इसमें भी पत्थर पर बारीक कारीगरी से प्रतिमाएं उकेरी गई हैं. खुदाई में मिले मंदिर के स्तंभों और छत पर भी पत्थर पर आकर्षक कारीगरी की गई है. जो आज के समय में काफी दुर्लभ है.

जिले में कई अन्य जगहों से मिली जैन धर्म से संबंधित प्रतिमाएं भी यहीं रखी गई है. जैन विश्व भारती के परीक्षा विभाग में कार्यरत शरद जैन 'सुधांशु' का कहना है कि इस मंदिर में सरस्वती देवी की जैन शैली में बनी दुर्लभ प्रतिमा भी है. जो लाडनूं में खुदाई में मिली थी. इस शैली की देश में तीन ही प्रतिमाएं बताई जाती हैं. उनका कहना है कि ब्रिटिशकाल में इस प्रतिमा की कीमत कुछ अंग्रेजों ने दो करोड़ रुपए आंकी थी और इसे खरीदना चाहा लेकिन समाज के लोगों ने इसे बेचने से इनकार कर दिया. आज यह प्रतिमा इस मंदिर में सुरक्षित रखी हुई है. इसके साथ ही पूजा में काम आने वाले कई पात्र भी खुदाई में मिले थे. उन्हें भी मंदिर में सुरक्षित रखा गया है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
जैन सरस्वती की दुर्लभ प्रतिमा

डॉ. सुरेंद्र जैन बताते हैं कि लाडनूं की बसावट महाभारतकालीन मानी गई है. यहां शिशुपाल के वंशज डाहलिया पंवारों का शासन रहा है. प्राचीन बसावट होने के कारण लाडनूं में समय-समय पर खुदाई में प्रतिमाएं और पूजा से संबंधित पात्र मिलते हैं. उनका कहना है कि बड़ा जैन मंदिर में अलग-अलग वेदियों पर जैन धर्म के तीर्थंकरों की कई प्राचीन प्रतिमाएं अलग-अलग वेदियों पर विराजमान हैं. इनमें सफेद संगमरमर, चमकीले काले पत्थर और लाल पत्थर से बनी प्रतिमाएं शामिल हैं. इस जैन मंदिर में प्रथम वेदी में भगवान ऋषभदेव की भूरे रंग की खुरदुरे पत्थर से बनी प्रतिमा विराजमान है. इसे अतिशयक्षेत्र महावीरजी में स्थापित भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के समकालीन माना जाता है.

पढें- Special Report: गणेश चतुर्थी पर ब्याज लेकर बनाई मूर्तियां, बिक्री नहीं होने से संकट में कारीगर

यहां जितनी भी प्रतिमाएं विराजमान हैं. वे एक हजार साल से ज्यादा पुरानी मानी गई हैं. उनका कहना है कि कई प्रतिमाओं पर लेख और चिह्न हैं और कई पर नहीं हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि यह सभी प्रतिमाएं कम से कम एक हजार साल पुरानी हैं. उनका कहना है कि लाडनूं का यह मंदिर न केवल लाडनूं या नागौर बल्कि देशभर के जैन समाज के लोगों के लिए एक धरोहर है.

jain temple news, nagaur news, jain temple in nagaur, oldest jain temple, temple found in digging, एक हजार साल पुराना जैन मंदिर, खुदाई में निकला जैन मंदिर, नागौर जैन मंदिर, नागौर न्यूज
खुदाई में निकले पात्र

जैन समाज के महेंद्र कुमार सेठी ने बताया कि इस मंदिर में दर्शन करने के लिए राजस्थान के साथ ही गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बंगाल सहित देश के कोने-कोने से जैन समाज के लोग आते हैं. यहां कार्तिक महोत्सव, दशलक्षण पर्व, मोक्ष सप्तमी और रक्षाबंधन पर भव्य आयोजन होते हैं. दसलक्षण पर्व इसी महीने में मनाया जाएगा.

हालांकि, उनका यह भी कहना है कि इस बार महामारी कोविड-19 के चलते सरकार के दिशा निर्देश को ध्यान में रखते हुए कोई बड़ा आयोजन नहीं किया जाएगा. मंदिर में केवल पूजा पाठ होंगे और श्रद्धालु अपने घर पर ही पूजा-पाठ कर दसलक्षण पर्व मनाएंगे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते मंदिर के कपाट आमजन के लिए बंद रखे गए हैं. इस दौरान यहां श्रद्धालुओं की सुविधा में इजाफा करने के लिए नए काम करवाए जा रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.