नागौर. जिले में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और उनसे होने वाली मृत्यु को रोकथाम के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से IIT मद्रास के सहयोग से एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. इसमें राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र की ओर से तैयार किये गये मोबाइल ऐप के जरिये दुर्घटना से संबंधित आंकडों की विस्तृत जानकारी दर्ज की जायेगी.
इस संबंध में एनआईसी नागौर की ओर से सोमवार को पुलिस सभागार में पुलिस उप अधीक्षक विनोद कुमार सीपा की उपस्थिति में जिले के सभी 32 पुलिस थानों के 64 चयनित कार्मिकों को पाॅवर पाॅइन्ट प्रजेंटेषन के माध्यम से मोबाइल ऐप के जरिये आंकडों को दर्ज करने का विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
परियोजना के जिला संयोजक विजय जाॅगिड ने प्रषिक्षण में बताया कि किस तरह से पुलिस कार्मिकों को मोबाइल ऐप के माध्यम से दुर्घटना से संबंधित जानकारी दर्ज की जायेगी. इसमें घटना में प्रभावित व्यक्ति का नाम, उम्र, पता, वाहन नम्बर, लाइसेंस नम्बर, दुर्घटना के संभावित कारण के साथ-साथ फोटो/विडियो भी अपलोड किया जा सकेगा.
सूचना दर्ज होते ही हादसे से संबंधित सारी सूचना मोबाइल ऐप के जरिये परिवहन विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पहूंच जायेगी. संबंधित विभाग द्वारा सूचना प्राप्त होते ही आगे की कार्यवाही की जायेगी, जैसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के इलाज संबंधित तैयारी अस्पताल में की जायेगी.
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र नागौर के अतिरिक्त जिला सूचना विज्ञान अधिकारी संजीव मेहता ने बताया कि प्रथम फेज में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 15 फरवरी 2021 से 6 राज्यों के उन 59 जिलों में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है जिनमें सडक दुर्घटनाओं के मामले अधिक पाये गये. राजस्थान से इनमें जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर जिलों को चुना गया. दूसरे फेज में शेष रहे नागौर के साथ अन्य जिलों में इसे मार्च माह में लागू किया जाना हैं.
इस तरह संबंधित विभागों द्वारा दर्ज की गई सूचना के आधार पर आंकडों का विष्लेषण आईआईटी मद्रास द्वारा किया जायेगा और दिये गये सुझावों के आधार पर भारत सरकार द्वारा दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए रूपरेखा बनायी जायेगी. तमिलनाडू सरकार ने इस एप के जरिए ही सड़क दुर्घटनाओं में 40 फीसदी की कमी दर्ज की है. तमिलनाडू राज्य से प्रेरित होकर भारत सरकार द्वारा अब इसे देशभर मे लागू किया जा रहा हैं.
वर्तमान में पुलिस कार्मिकों को इस संबंध में प्रशिक्षित किया गया है और आने वाले दिनों में शेष रहे विभागों जैसे परिवहन विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों एवं कार्मिकों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा.