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सरकार की रोक से अटके हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम, इनमें ERCP के दो डैम भी शामिल - Rajasthan Latest News

Hadoti Dam Work Stuck. राजस्थान में नई सरकार के आते ही कांग्रेस शासन में स्वीकृत परियोजनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया गया है. उनका रिव्यू सरकार कर रही है. इसी के चलते हाड़ौती में दो नए बांधों का निर्माण और तीन बांधों के पुनरुद्धार का काम थम गया है. यह कार्य करीब 3000 करोड़ से ज्यादा लागत में होना है.

Hadoti dam work stuck
हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम अटका
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 26, 2023, 12:59 PM IST

हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम अटका

कोटा. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है. नई सरकार बनते ही उन्होंने कांग्रेस शासन में स्वीकृत परियोजनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगाया है. इन परियोजनाओं का रिव्यू सरकार कर रही है. इसी रिव्यू के तहत प्रदेश में नए टेंडर करने, निविदाएं निकालना और कार्य आदेश जारी करने पर रोक लगा दी गई है. इसी के चलते चंबल वैली प्रोजेक्ट और पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना के बड़े कामों पर फिलहाल रोक लग गई है. इसी के चलते हाड़ौती में दो नए बांधों का निर्माण और तीन बांधों के पुनरोद्धार का काम थम गया है. यह कार्य करीब 3000 करोड़ से ज्यादा लागत में होना है.

जल संसाधन विभाग की अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी का कहना है कि सरकार ने फिलहाल टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाई है. इसकी हम पालन कर रहे है. चंबल वैली प्रोजेक्ट के तीन बांधों के पुनरुद्धार का काम वर्ल्ड बैंक के फंड से होना है. इसके टेंडर जारी किए हैं, जिन्हें रिसीव तो कर लेंगे, लेकिन वर्क आर्डर जारी नहीं किए जाएंगे. तब तक सरकार इसका रिव्यू करेगी. इसमें भी डेढ़ से दो महीना लगेगा.

पहले आचार संहिता में सरकार ने लगाई रोक : ईसीआरपी के टेंडर रिसीव होने के बाद राज्य सरकार के पास भेजे गए थे. ये आचार संहिता के चलते अटक गए थे. उसके बाद राज्य सरकार बदलने पर टेंडर पर रोक लग गई. इनमें पूर्वी राजस्थान नदी परियोजना के तहत बारां जिले में कूल नदी पर रामगढ़ और पार्वती नदी पर महलपुर बैराज का निर्माण होना है. इन दोनों की राशि 2900 करोड़ है. इनके लिए वर्क आर्डर पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना कॉरपोरेशन ने जारी कर दिए थे, जिन्हें रिसीव कर लिया था और स्वीकृत भी किया जा चुका है, लेकिन यह टेंडर स्वीकृत के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. ऐसे में इन टेंडर का भी अब रिव्यू किया जाएगा.

हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा डैम होगा महलपुर बैराज : दूसरी तरफ 2250 करोड़ रुपए से पार्वती नदी पर महलपुर बैराज प्रस्तावित है. इसका टेंडर भी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. यह बैराज बनने के बाद हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा क्षमता वाला बैराज होगा. इसकी क्षमता 258 मिलियन क्यूबिक मीटर है. जबकि परवन नदी पर बन रहे अकावद डैम की क्षमता 400 मिलियन क्यूबिक मीटर है. यह भी एक साल में पूरी तरह तैयार हो जाएगा. यह हाड़ौती का सबसे बड़ा डैम होगा. जबकि वर्तमान में सबसे बड़ा डैम कोटा बैराज है, जिसकी क्षमता 112 मिलियन क्यूबिक मीटर है.

इसे भी पढ़ें : मराठा कोटा विवाद: 24 जनवरी को क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई के लिए सहमत होने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की

ईआरसीपी में बनना है रामगढ़ डैम : महलपुर बैराज में 18 गेट पानी निकासी के लिए स्थापित किए जाने हैं. इसके अलावा इस बैराज से नौनेरा बैराज तक पानी को ले जाने के लिए लिफ्ट पंपिंग सिस्टम और ग्रेविटी फीडर बनाया जाएगा, यह करीब 30 किलोमीटर लंबा होगा. बारां जिले के रामगढ़ में कूल नदी पर 650 करोड़ से 45.3 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का बैराज बना है. इस फुल रिजर्वॉयर लेवल 240 मीटर है. पांच गेट वाले इस बैराज की ऊंचाई 37 मीटर है. यह स्काडा सिस्टम से लैस होगा और इसके पानी को महलपुर बैराज तक ले जाने के लिए ग्रेविटी चैनल एस्कैप भी बनाया जाएगा.

दोबारा किए हैं टेंडर, वर्ल्ड बैंक भी जाएंगे : जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त को टेंडर जारी किए थे. उनकी निविदा की 12 सितंबर को फाइनेंशियल बिड खोली जानी थी. हालांकि संवेदकों ने भाग नहीं लिया, जिसके चलते दोबारा टेंडर किए गए हैं. जिनकी निविदा रिसीव करने की बात जल संसाधन विभाग कर रहा है, लेकिन टेंडर अप्रूवल और कार्यादेश सरकार के अनुमति से ही जारी करने के बात कही जा रही है. हालांकि इन टेंडर को अप्रूवल के लिए राज्य सरकार और वहां से सेंट्रल वाटर कमीशन और वर्ल्ड बैंक भी भेजा जाना है.

इसे भी पढ़ें : राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम बंद, कांग्रेस ने कहा- भजनलाल सरकार कर रही युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़

183 करोड़ से होनी है बांधों की मरम्मत : एसई एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि ड्रिप प्रोजेक्ट के तहत चंबल वैली के राणा प्रताप सागर बांध रावतभाटा, जवाहर सागर बांध बूंदी और कोटा बैराज का रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे और कंप्यूटराइज्ड जांच करवाई गई थी. इसके बाद तीनो डैम में 182.78 करोड़ रुपए से हाइड्रो मैकेनिकल, सिविल और इंस्ट्रूमेंट के कार्य होने हैं, जिनमें गेट, गैंट्री क्रेन, स्टॉप लोग गेट, प्रोटेक्शन दीवार, ब्रिज की सेफ्टी वॉल, बांधों में पिचिंग, राउटिंग, रिटेनिंग वॉल, प्रोटक्शन वॉल पेंटिंग, सीसीटीवी कैमरे, रबर सील, लाइटिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन, एक्स्ट्रा पंप, जनरेटर, लैंडस्लाइडिंग रोकने के लिए प्रोटेक्शन दीवार, गैलरी निर्माण, बंद पड़े उपकरणों का काम व स्काडा मॉनिटरिंग के कार्य भी होंगे.

हाड़ौती के 3 हजार करोड़ के बांधों के काम अटका

कोटा. प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई है. नई सरकार बनते ही उन्होंने कांग्रेस शासन में स्वीकृत परियोजनाओं पर फिलहाल ब्रेक लगाया है. इन परियोजनाओं का रिव्यू सरकार कर रही है. इसी रिव्यू के तहत प्रदेश में नए टेंडर करने, निविदाएं निकालना और कार्य आदेश जारी करने पर रोक लगा दी गई है. इसी के चलते चंबल वैली प्रोजेक्ट और पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना के बड़े कामों पर फिलहाल रोक लग गई है. इसी के चलते हाड़ौती में दो नए बांधों का निर्माण और तीन बांधों के पुनरोद्धार का काम थम गया है. यह कार्य करीब 3000 करोड़ से ज्यादा लागत में होना है.

जल संसाधन विभाग की अधीक्षण अभियंता एजाजुद्दीन अंसारी का कहना है कि सरकार ने फिलहाल टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाई है. इसकी हम पालन कर रहे है. चंबल वैली प्रोजेक्ट के तीन बांधों के पुनरुद्धार का काम वर्ल्ड बैंक के फंड से होना है. इसके टेंडर जारी किए हैं, जिन्हें रिसीव तो कर लेंगे, लेकिन वर्क आर्डर जारी नहीं किए जाएंगे. तब तक सरकार इसका रिव्यू करेगी. इसमें भी डेढ़ से दो महीना लगेगा.

पहले आचार संहिता में सरकार ने लगाई रोक : ईसीआरपी के टेंडर रिसीव होने के बाद राज्य सरकार के पास भेजे गए थे. ये आचार संहिता के चलते अटक गए थे. उसके बाद राज्य सरकार बदलने पर टेंडर पर रोक लग गई. इनमें पूर्वी राजस्थान नदी परियोजना के तहत बारां जिले में कूल नदी पर रामगढ़ और पार्वती नदी पर महलपुर बैराज का निर्माण होना है. इन दोनों की राशि 2900 करोड़ है. इनके लिए वर्क आर्डर पूर्वी राजस्थान नहरी परियोजना कॉरपोरेशन ने जारी कर दिए थे, जिन्हें रिसीव कर लिया था और स्वीकृत भी किया जा चुका है, लेकिन यह टेंडर स्वीकृत के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. ऐसे में इन टेंडर का भी अब रिव्यू किया जाएगा.

हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा डैम होगा महलपुर बैराज : दूसरी तरफ 2250 करोड़ रुपए से पार्वती नदी पर महलपुर बैराज प्रस्तावित है. इसका टेंडर भी स्वीकृति के लिए राज्य सरकार के पास पेंडिंग है. यह बैराज बनने के बाद हाड़ौती का दूसरा सबसे बड़ा क्षमता वाला बैराज होगा. इसकी क्षमता 258 मिलियन क्यूबिक मीटर है. जबकि परवन नदी पर बन रहे अकावद डैम की क्षमता 400 मिलियन क्यूबिक मीटर है. यह भी एक साल में पूरी तरह तैयार हो जाएगा. यह हाड़ौती का सबसे बड़ा डैम होगा. जबकि वर्तमान में सबसे बड़ा डैम कोटा बैराज है, जिसकी क्षमता 112 मिलियन क्यूबिक मीटर है.

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ईआरसीपी में बनना है रामगढ़ डैम : महलपुर बैराज में 18 गेट पानी निकासी के लिए स्थापित किए जाने हैं. इसके अलावा इस बैराज से नौनेरा बैराज तक पानी को ले जाने के लिए लिफ्ट पंपिंग सिस्टम और ग्रेविटी फीडर बनाया जाएगा, यह करीब 30 किलोमीटर लंबा होगा. बारां जिले के रामगढ़ में कूल नदी पर 650 करोड़ से 45.3 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का बैराज बना है. इस फुल रिजर्वॉयर लेवल 240 मीटर है. पांच गेट वाले इस बैराज की ऊंचाई 37 मीटर है. यह स्काडा सिस्टम से लैस होगा और इसके पानी को महलपुर बैराज तक ले जाने के लिए ग्रेविटी चैनल एस्कैप भी बनाया जाएगा.

दोबारा किए हैं टेंडर, वर्ल्ड बैंक भी जाएंगे : जल संसाधन विभाग ने 14 अगस्त को टेंडर जारी किए थे. उनकी निविदा की 12 सितंबर को फाइनेंशियल बिड खोली जानी थी. हालांकि संवेदकों ने भाग नहीं लिया, जिसके चलते दोबारा टेंडर किए गए हैं. जिनकी निविदा रिसीव करने की बात जल संसाधन विभाग कर रहा है, लेकिन टेंडर अप्रूवल और कार्यादेश सरकार के अनुमति से ही जारी करने के बात कही जा रही है. हालांकि इन टेंडर को अप्रूवल के लिए राज्य सरकार और वहां से सेंट्रल वाटर कमीशन और वर्ल्ड बैंक भी भेजा जाना है.

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183 करोड़ से होनी है बांधों की मरम्मत : एसई एजाजुद्दीन अंसारी ने बताया कि ड्रिप प्रोजेक्ट के तहत चंबल वैली के राणा प्रताप सागर बांध रावतभाटा, जवाहर सागर बांध बूंदी और कोटा बैराज का रोबोटिक अंडरग्राउंड वॉटर सर्वे और कंप्यूटराइज्ड जांच करवाई गई थी. इसके बाद तीनो डैम में 182.78 करोड़ रुपए से हाइड्रो मैकेनिकल, सिविल और इंस्ट्रूमेंट के कार्य होने हैं, जिनमें गेट, गैंट्री क्रेन, स्टॉप लोग गेट, प्रोटेक्शन दीवार, ब्रिज की सेफ्टी वॉल, बांधों में पिचिंग, राउटिंग, रिटेनिंग वॉल, प्रोटक्शन वॉल पेंटिंग, सीसीटीवी कैमरे, रबर सील, लाइटिंग, इलेक्ट्रिफिकेशन, एक्स्ट्रा पंप, जनरेटर, लैंडस्लाइडिंग रोकने के लिए प्रोटेक्शन दीवार, गैलरी निर्माण, बंद पड़े उपकरणों का काम व स्काडा मॉनिटरिंग के कार्य भी होंगे.

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