कोटा. कोटा में 1400 करोड़ से हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया है. इसमें कई विश्व रिकार्ड बनाने थे, जिनमें एक विश्व की सबसे बड़ी बेल (घंटी) भी शामिल है. इस घंटी को लेकर विवाद हो गया है. ऐसे में घंटी की कास्टिंग हो गई थी, लेकिन अब संशय है कि यह घंटी लटकेगी या ऐसी ही रहेगी. इस घंटी के निर्माण में 18 करोड़ रुपए की लागत आई है और इसका वजन 79 हजार किलोग्राम है. तैयार हो रही हुई विश्व के सबसे बड़ी घंटी 28 फीट के व्यास की है. जबकि इसकी ऊंचाई 30 फीट के आसपास है. अब विवाद के चलते यह घंटी भी जमीन पर ही पड़ी है. जबकि इसे कास्टिंग मोल्डिंग बॉक्स से बाहर निकालने का समय निकल गया है. यूआईटी के अधिकारियों के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है.
कर रहे हैं दूसरे लोगों से बात : नगर विकास न्यास के सचिव मानसिक मीणा की बात मानी जाए तो उनका कहना है कि यूआईटी प्रयास कर रही है. इस संबंध में आने वाले दिनों में घंटी को लटकाया जाएगा. विश्व के सबसे बड़े घंटे का निर्माण हमने करवाया है, तो इसे जरूर खोला जाएगा. साथ ही इसे लटकाया भी जाएगा, ताकि लोग इसे बजा सकें. विवाद के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है. इसके लिए अन्य मेटोलॉजिस्ट से बात चल रही है, ताकि वह घंटी को मोल्ड बॉक्स से बाहर निकाल कर उसको लटकाने के काम शुरू कराएं. संवेदक कम कर देगा तो ठीक है, नहीं तो उसे पर कार्रवाई भी की जाएगी.
1 महीने बाद खुलनी थी घंटी निकल गए, 10 दिन ज्यादा : इस घंटी को कास्ट करने वाले मेटोलॉजिस्ट देवेंद्र आर्य का कहना है कि नगर विकास न्यास से उनका कोई विवाद नहीं है. सारा विवाद आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने करवाया है. वह ही नहीं चाहते थे कि यह घंटी को लटकाया जाए और विश्व रिकॉर्ड बने. वह बिना कुछ काम किए ही इसमें क्रेडिट लेना चाहते थे और विश्व रिकॉर्ड भी उनके नाम नहीं बना है. इसलिए वह बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं. पैसे के भुगतान संबंधी कोई विवाद मेरा नहीं है. घंटी को एक महीने बाद खोल देना चाहिए था, लेकिन अब समय भी ज्यादा हो गया है.
जल्दी खुलवाकर खराब करना चाह रहे थे प्रोजेक्ट : देवेंद्र आर्य का कहना है कि अनूप भरतरिया जबरन इसे तीन-चार दिन में ही खोलना चाह रहे थे. साथ ही घंटी को मोल्ड बॉक्स से बाहर निकालना चाह रहे थे. तब मैंने कहा कि यह बाहर की हवा लगने से क्रेक हो जाएगी, क्योंकि घंटी का अंदर का तापमान करीब 80 डिग्री सेल्सियस है. इसमें घंटी के टूटने का खतरा था, इसीलिए मैंने प्रोजेक्ट छोड़ दिया. यूआईटी के अधिकारी मुझसे संपर्क करेंगे, तो मैं इस प्रोजेक्ट को दोबारा पूरा कर दूंगा.
संवेदक ने हाथ किए खड़े, यूआईटी ही से पूछे क्या करें : इस घंटी को बनाने का टेंडर राजीव शर्मा की फर्म के नाम था. ईटीवी भारत में जब राजीव शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने पूरी जिम्मेदारी नगर विकास न्यास पर डाल दिया और कहा कि न्यास ही अब कुछ बता सकता है कि उन्हें क्या करना है. राजीव शर्मा को यह भी नहीं बता पाए कि इस कार्य को आगे करेंगे या नहीं. जब उनसे पूछा गया कि पहले मेटोलॉजिस्ट ने काम छोड़ दिया है कि दूसरे से वह बातचीत कर रहे हैं या नहीं. इस पर भी उन्होंने कहा कि यूआईटी के अधिशासी अभियंता कमल मीणा ही कुछ बता पाएंगे.
दोनों बड़ी घंटिया जमीन पर, कहीं कोटा की भी ऐसी नहीं रहे : पहले बनाई गई विश्व की दो बड़ी घंटियां अभी लटकाई नहीं जा सकी है, ऐसे में यह घंटी भी जमीन पर ही नहीं रह जाएं. देवेंद्र आर्य के मुताबिक विश्व की सबसे बड़ी घंटी अभी चीन और उसके बाद मॉस्को में है. मास्को में पांच पीस में लगी थी. जिसे स्थापित नहीं कर पाए हैं. चीन में स्थापित घंटी पांच पीस की थी. इसको स्थापित करते समय एक हिस्सा निकल गया था. दोनों घंटियों को अभी तक भी लटकाया नहीं जा सका है. जबकि कोटा की घंटी 8.5 गुना 9.25 मीटर की है. वह इन दोनों से भी बड़ी है. इसे बजाकर लोग आनंद लेने की बात कहीं थी.