कोटा. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी लगातार बढ़ रही है और उनमें आपसी झगड़े भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में वहां से लगातार बाघ पलायन कर दूसरी जगह बढ़ रहे हैं. मुख्य वन्य जीव संरक्षण आनंद मोहन का कहना है कि वर्तमान में रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के 10 नंबर जोन में निवास करने वाले टी-110, टी-115, टी-62 और टी-116 टाइगर है. यह चारों जानवर वहां से लगातार मूवमेंट कर रहे हैं.
वहां पर प्रतिस्पर्धा की स्थिति है और यह सब-एडल्ट है. इनकी उम्र करीब ढाई से तीन साल के बीच है. यह चारों सब चीजों को छानबीन करने में जुटे है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि रणथम्भौर से निकले ये बाघ मुकुंदरा में आ सकते हैं. पिछले साल सुल्तानपुर होते हुए टी-98 भी आया था, जो अब मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का एमटी-3 है, उसी तरह से इनके भी आने की संभावना है.
ऐसे में रणथम्भौर से निकले हुए चारों बाघों की सुरक्षा और उनसे आमजन को किसी तरह का कोई खतरा नहीं हो, इसके लिए कोटा में मुख्य वन संरक्षक ने शुक्रवार को मीटिंग ली. इसमें बूंदी टेरिटोरियल, कोटा टेरिटोरियल, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व और रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के उप वन संरक्षक ने भाग लिया.
टी-110 जा सकता है रामगढ़ विषधारी सेंचुरी में
आनंद मोहन ने कहा कि टी-110 मेज नदी के आसपास पूरी तरह से अपना आवास बना चुका है. वह पिछले 7-8 महीने से इसी एरिया में रह रहा है. वह अधिकांश समय यही गुजार रहा है. लाखेरी के नजदीक इंदरगढ़ की पहाड़ी को पार करेगा तो बूंदी जिले की रामगढ़ विषधारी सेंचुरी में पहुंच जाएगा.
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टी-115 मुकुंदरा की राह पर
वहीं टाइगर टी-115 मेज नदी के दूसरे हिस्से की तरफ खड़ा हुआ है, जो कुवालजी के नजदीक है. यह टाइगर अभी यहां पर आ-जा रहा है और इस बार वो करीब एक से डेढ़ महीने से यहां मौजूद है. यहां से इसके सुल्तानपुर होते हुए मुकंदरा पहुंचने की उम्मीद ज्यादा है. इसी रास्ते से पिछले साल टी-98 आया था जो कि अब मुकंदरा में एमटी-3 है.
मॉनिटरिंग भी कर रही है दो बाघों की मां
इनके पीछे-पीछे टी-116 और टी-62 भी आ जा रहे है. इनका मूवमेंट बूंदी के लाखेरी एरिया तक हो रहा है. वहीं, फीमेल टाइग्रेस टी-59 भी इस एरिया में आ रही है, जो दो टाइगर इस एरिया में बार-बार आ रहे हैं उनकी मां भी है. ऐसे में साफ है कि बाघिन टी-59 अपने दो बच्चे टी-115 और 116 की मॉनिटरिंग करने आ रही है.
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रणथम्भौर में अभी भी 15 शावक
मुख्य वन्य जीव संरक्षण आनंद मोहन ने बताया कि पलायन करने की पीछे मुख्य वजह है कि वहां पर टाइगर की तादाद काफी है. अभी भी 13 शावक वहां पर है. वहां अभी दो शावक देखे गए हैं, लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हुई है. ऐसे में 13 से 15 शावक है और सब एडल्ट भी है. आनंद मोहन के अनुसार बाघों की बड़ी आबादी इतने छोटे क्षेत्र में कैसे रहेगी. इसलिए यह बाघ वहां से बाहर निकल रहे हैं.
हर स्तर पर बनाएंगे समन्वय
सीसीएफ आनंद मोहन ने कहा कि मीटिंग में तय किया गया है कि हर स्तर पर समन्वय हुआ. जिसमें नाकेदार रेंजर और सहायक वन संरक्षक से लेकर उप वन संरक्षक तक अधिकारी शामिल हैं. अपने-अपने स्तर पर वार्ताएं करेंगे और लगातार सूचनाओं का आदान प्रदान करेंगे, जो कि 24X7 जारी रहेगा.
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के जो अधिकारी और कर्मचारी दूसरे टेरिटोरियल के नाकों पर बाघों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, उन्हें हर तरह की सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी. मुख्य वन्य जीव संरक्षक के अनुसार एक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी सभी टेरिटोरियल के स्टाफ को रणथम्भौर रिजर्व के लोग देंगे, जिससे टाइगर के मूवमेंट की जानकारियों को कैसे लेते हैं, यह समझ सके.