कोटा. चंबल नदी पर चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट को 6 दिन पहले देखने आया एक व्यक्ति दीवार से गिर गया था. शुक्रवार रात को उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. इसके बाद मृतक के परिजनों ने आक्रोश में शव उठाने से इनकार कर दिया. परिजनों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
दरअसल, रिवरफ्रंट देखने के चक्कर में एक व्यक्ति 10 सितंबर दोपहर को रामपुरा मुक्ति धाम के पीछे गिर गया था. परिजनों ने आरोप लगाया था कि वहां रेलिंग नहीं लगाई हुई थी. इसीके चलते हादसा हुआ. उसे कोटा के एमबीएस अस्पताल में भर्ती करवाया हुआ था. उसने उपचार के दौरान शुक्रवार रात को दम तोड़ दिया. इस पर परिजन आक्रोशित हो गए. साथ ही उन्होंने शव उठाने से इनकार कर दिया है. एहतियात मोर्चरी के बाहर जाब्ता तैनात किया गया है. करीब 6 घंटे से लगातार इस मामले में कशमकश चल रही है.
मामले के अनुसार वल्लभबाड़ी राजीव गांधी कच्ची बस्ती निवासी 48 वर्षीय तुलसीराम बैरवा पड़ोसी की मौत होने के बाद रामपुरा शमशान घाट पहुंचा था. जहां से शमशान के पीछे ओगड़ की बगीची के नजदीक रिवरफ्रंट देखने के लिए गया था. इस दौरान रिवरफ्रंट के हिस्से में रेलिंग नहीं लगाने के चलते वह फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गया. उसके सिर में गंभीर चोट आई थी. जिससे उसे बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
मृतक तुलसीराम बैरवा के भाई सतीश का कहना है कि जो अधिकारी रिवरफ्रंट के निर्माण को देख रहे थे, उनकी लापरवाही से हादसा हुआ है. करोड़ों के रिवरफ्रंट का निर्माण करवाया है, लेकिन पीछे की तरफ रेलिंग नहीं लगवाई, जिसके चलते हादसा हुआ. इस मामले में उचित मुआवजा इस परिवार को मिलना चाहिए, क्योंकि यह तुलसीराम पर ही परिवार निर्भर था. इस मुद्दे पर पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल का कहना है कि मंत्री शांति धारीवाल की जिद्द के चलते एक और मौत कोटा में हुई है. अभी तक दो दर्जन से ज्यादा लोग इस विकास की भेंट चढ़ गए हैं. भाजपा नेता राकेश जैन का भी कहना है कि प्रशासन को मृतक के परिजनों को मुआवजा देना चाहिए. इस मामले में यूआईटी की लापरवाही भी सामने आ रही है.